शिव आमंत्रण, आबू रोड (राजस्थान)। राजपुर नामक एक सुंदर राज्य में अर्जुन नाम का एक बुद्धिमान व्यापारी रहता था। वह अपने व्यापार में अत्यंत सफल था, लेकिन उसे हमेशा अधिक धन कमाने की लालसा रहती थी। इसी कारण, वह दिन-रात काम करता और अपने परिवार, स्वास्थ्य और आध्यात्मिक जीवन की उपेक्षा करता था। एक दिन, वह एक संत के पास पहुंचा और बोला, “महाराज, मैंने जीवन में बहुत धन कमाया है, लेकिन फिर भी मन अशांत रहता है। कृपया मुझे शांति का मार्ग दिखाएं। संत मुस्कुराए और उसे एक जलपात्र दिया, जो पानी से भरा हुआ था। उन्होंने अर्जुन से कहा, इसे लेकर इस ऊबड़-खाबड़ रास्ते पर चलो, लेकिन ध्यान रहे कि एक भी बूंद पानी गिरे नहीं। अर्जुन बहुत सावधानी से चलने लगा। जब वह संत के पास लौटा तो संत ने पूछा- क्या तुमने रास्ते के सुंदर पेड़, चहकते पक्षी और ठंडी हवा का आनंद लिया? अर्जुन ने उत्तर दिया- नहीं महाराज, मैं तो केवल इस पात्र को संभालने में लगा रहा, ताकि पानी गिर न जाए। संत मुस्कुराए और बोले- यही तुम्हारी समस्या है। तुम केवल धन कमाने में इतने व्यस्त हो कि जीवन के बाकी पहलुओं का आनंद नहीं ले पा रहे। जीवन में सच्ची शांति और आनंद पाने के लिए संतुलन आवश्यक है – कार्य, परिवार, स्वास्थ्य और आध्यात्मिकता में समरसता होनी चाहिए। अर्जुन को अपनी भूल का अहसास हुआ। उसने निश्चय किया कि अब वह केवल धन ही नहीं, बल्कि अपने परिवार, स्वास्थ्य और आत्मिक शांति का भी ध्यान रखेगा। कहने का भाव यही है कि जीवन में जब हम हर पहलु और पक्ष का ध्यान रखते हैं, जीवन के उतार-चढ़ाव के बीच साक्षी भाव से जीवन में घटने वाली हर परिस्थिति में समान रहते हैं तभी हम जीवन का असली आनंद ले सकते हैं। संतुलित जीवन ही आदर्श, महान और प्रेरक होता है। इतिहास में जितने भी महान पुरुष, संत हुए हैं सभी के जीवन में एक संतुलन था, एक समन्वय था। यदि जीवन में सभी पक्ष मजबूत हैं और आध्यात्मिक पक्ष कमजोर है तो उसे भी संतुलन नहीं कहेंगे। जैसे शरीर के लिए रोजाना भोजन जरूरी है, वैसे ही आत्मा की शांति, उन्नति और खुशहाली के लिए परमात्मा का ध्यान, एकांत, सत्संग और अध्ययन जरूरी है। सकारात्मक ऊर्जा व्यक्तित्व को सशक्त बनाती है
सीख: जीवन यात्रा में बहुत से लोग भौतिक रूप से तो उन्नति कर लेते हैं लेकिन वह जीवन के सबसे महत्वपूर्ण पक्ष आध्यात्मिकता को छोड़ देते हैं। आत्मिक उन्नति ही जीवन की वास्तविक और सच्ची उन्नति है। आत्मा, मन और बुद्धि जितने सशक्त और शक्तिशाली होंगे तो जीवन का स्तर उतना ही ऊंच, दिव्य और महान होगा।