सच क्या है
भगवान शिव है निराकार। ब्रह्मा तन के आधार से अवतरीत होते ही वह सृष्टि के आदि-मध्य-अंत का ज्ञान देते है और एक यज्ञ स्थापन करते है। उसका नाम रखते है राजस्व अश्वमेध अविनाशी गीता ज्ञानयज्ञ। इस यज्ञ में ज्ञान की धारणा करने के बाद साधारण मनुष्य देवता रूप धारण करते है। इस दुनिया में ऐसा […]
नारी तुम अबला नहीं सबला हो। तुम पांव की जूती नहीं सिर का ताज हो। तुम दीन-हीन नहीं शक्ति का अवतार हो। तुम नरक नहीं स्वर्ग का द्वार हो। तुम ही शक्ति हो। तुम्हारा जन्म महान कार्यों और जग के कल्याण के लिए हुआ है। हे! मातृ शक्ति अब जागो, उठो और विश्व परिवर्तन के […]
इस सृष्टि पर पहले मनुष्य जीवन नहीं था, अलग अलग प्रकार के जानवर थे और बंदर की उत्क्रांत अवस्था यह मानव है ऐसा बताया जाता है। पर ब्रह्मा तन के मुख कमल से हम आत्माओं के पिता परमपिता परमात्मा शिव जो बता रहे हैं वह सत्य कुछ अलग ही है। जैसे किसी बीज से वही […]
शिव आमंत्रण, आबू रोड। वर्तमान समय सोशल मीडिया लोगों के जीवन का हिस्सा बन गया है। हर कोई वाट्सएप, ट्विटर, फ़ेसबुक आदि इंटरनेट के साधन का फेक उपयोग कर रहे हैं। परन्तु सोशल मीडिया पर कुछ ऐसी जानकारियां आ जाती है जो बिल्कुल गलत होती है। जबकि पहली बार देखने में सत्य प्रतीत होती है […]
गीता में शुरूआत से अंत तक मन्मनाभव का पाठ है पर उसका अर्थ न किसी को पता है ना ही किसी को पता पड सकता है। कारण लिखा है श्रीकृष्ण भगवानुवाच। कोई भी देहधारी भगवान नही हो सकता। और तो और किसी देहधारी को याद करने से कोई प्राप्ती होना केवल असंभव है। सांप्रत किसी […]
भारत के लोग प्रतिवर्ष रावण का बुत जलाते है | उनका काफी विश्वास है की एक दस सिर वाला रावण श्रीलंका का रजा था, वह एक बहुत बड़ा राक्षस था और उसने श्री सीता का अपहरण किया था | वे यह भी मानते है की रावण बहुत बड़ा विद्वान था इसलिए वे उसके हाथ में वेद, शास्त्र इत्यादि दिखाते है | साथ ही वे उसके शीश पर गधे का […]
इसका विनाश निकट है और शीघ्र ही सतयुग आने वाला है | आज बहुत से लोग कहते है , “कलियुग अभी बच्चा है अभी तो इसके लाखो वर्ष और है शस्त्रों के अनुसार अभी तो सृष्टि के महाविनाश में बहुत काल है |” परन्तु अब परमपिता परमात्मा कहते है की अब तो कलियुग बुढ़ा हो […]
आज परमात्मा के दिव्य जन्म और “रथ” के स्वरुप को न जानने के कारण लोगो कि यह मान्यता दृढ़ है कि गीता-ज्ञान श्रीक्रष्ण ने अर्जुन के रथ एम् सवार होकर लड़ाई के मैदान में दिया आप ही सोचिये कि जबकि अहिंसा को धर्म का परम लक्षण माना गया है और जबकि धर्मात्मा अथवा महात्मा लोग नहो […]
सामने दिए गए चित्र में दिखाया गया है कि स्वस्तिक सृष्टि- चक्र को चार बराबर भागो में बांटता है — सतयुग, त्रेतायुग, द्वापर और कलियुग | सृष्टि नाटक में हर एक आत्मा का एक निश्चित समय पर परमधाम से इस सृष्टि रूपी नाटक के मंच पर आती है | सबसे पहले सतयुग और त्रेतायुग के […]
परमात्मा सर्व व्यापक नहीं है ! यह कितने आश्चर्य की बात है कि आज एक और तो लोग परमात्मा को ‘माता-पिता’ और ‘पतित-पावन’मानते है और दूसरी और कहते है कि परमात्मा सर्व-व्यापक है, अर्थात वह तो ठीकर-पत्थर, सर्प,बिच्छू, वाराह, मगरमच्छ, चोर और डाकू सभी में है ! ओह, अपने परम प्यारे, परम पावन,परमपिता के बारे […]
बहुत से लोग शिव और शंकर को एक ही मानते है, परन्तु वास्तव में इन दोनों में भिन्नता है |आप देखते है कि दोनों की प्रतिमाएं भी अलग-अलग आकार वाली होती है | शिव की प्रतिमा अण्डाकार अथवा अंगुष्ठाकार होती है जबकि महादेव शंकर की प्रतिमा शारारिक आकार वाली होती है | यहाँ उन दोनों […]
शिव आमंत्रण। समय प्रति समय विरेन्द्र देव दीक्षित नामक व्यक्ति द्वारा संचालित संस्था पूर्व में आध्यात्मिक विश्वविद्यालय लिखती थी लेकिन अब उसपर भी दिल्ली हाईकोर्ट ने भी रोक लगा दी। यही नहीं जितने भी बोर्ड लगाये गये थे सभी उतारने का आदेश भी दिया गया था। तब से सिर्फ यह विरेन्द्र देव दीक्षित का आश्रम […]