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दौडनेवाले पानी को चलाओ, चलनेवाले को रुकाओ, रुके हुए पानी को जमीन मे पीने के लिए लगाओ - Shiv Amantran | Brahma Kumaris
दौडनेवाले पानी को चलाओ, चलनेवाले को रुकाओ, रुके हुए पानी को जमीन मे पीने के लिए लगाओ

दौडनेवाले पानी को चलाओ, चलनेवाले को रुकाओ, रुके हुए पानी को जमीन मे पीने के लिए लगाओ

मुख्य समाचार
  • ग्रामीण विकास प्रभाग द्वारा आयोजित दो दिवसीय ऑनलाइन कांफ्रेंस
  • केंद्रीय जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी के विचार

शिव आमंत्रण, माउंट आबू। आत्मनिर्भर भारत के लिए आत्म निर्भर ग्रामीण भारत बनाना जरुरी है। दौडऩे वाले पानी को चलने के लिए लगाओ, चलने वाले पानी को रुकने के लिए लगाओ और रुके हुए पानी को जमीन में पिने के लिए लगाओ। यह सारे मंत्र आपने सुने केंद्रीय जल संसाधन एवं सडक़ परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से। यह बाते उन्होंने संस्थान के कृषि एवं ग्रामीण विकास प्रभाग द्वारा आयोजित दो दिवसीय ऑनलाइन कांफ्रेंस के पहले सत्र में रखे जिसका विषय रहा ‘सशक्त भारत की शान, आत्मनिर्भर किसान’। इसी सत्र में आगे संस्थान की संयुक्त मुख्य प्रशासिका बीके संतोष, संस्थान के एडिशनल सेक्रेटरी जनरल बीके बृजमोहन, प्रभाग की अध्यक्षा बीके सरला, उपाध्यक्षा बीके राजू समेत अन्य वक्ताओं ने अपने विचार रखे।
बीके संतोष ने कहा, हमारे किसान आत्मनिर्भर बन जाए। यह तभी हो सकता है जब वह अपने पैर पर खडे हो जाए। यह तभी हो सकता है जब अपने अंदर कोई व्यसन न हो। व्यसन के कारण आत्मा की शक्ति खलास हो जाती है। तन और मन दोनों को तंदुरुस्त करने के लिए हमे थोडा आध्यात्मिकता का साथ लेना पडेगा। उस साथ से हम देखते है कि हमारा जीवन कितना ऊंचा और श्रेष्ठ बन जाता है।
बीके बृजमोहन ने कहा, ब्रह्माकुमारीज और यह जो ग्राम विकास प्रभाग है, हमारा असली पर्पज यह रहता है कि जहां अधिक जनसंख्या रहती है वहां पर श्रेष्ठ कर्मों की खेती का ज्ञान दिया जाए। उस पर ध्यान देने से बाकी चीजे अपने आप अच्छी व सुंदर बनती है।
बीके सरला ने कहा, धरती पर बीडी, सिगरेट, गुटखा यह सारी चीजों ने बैर, वैमनस्य डालकर धरती की शक्ति को समाप्त किया। एक तरफ रासायनिक खाद तो दूसरी तरफ वीषयुक्त पदार्थ धरती में डालकर मां को बिल्कुल कमजोर किया। इस समय किसानों को आत्मनिर्भर बनाकर अपने भारत देश को सशक्त बनाना है।
बीके राजू ने कहा, दो दिवसीय सम्मेलन में जो विचार सुने है वह जीवन में लाकर के भारत देश की कृषि को सशक्त बनाकर खुद भी सशक्त बनेंगे, कृषि के क्षेत्र में भी एक नई प्रगति करेंगे, शाश्वत योगिक खेती की विधि सीखेंगे और भारत देश को आत्मनिर्भर बनाएंगे।
इस कांफ्रेंस के अगले सत्र का विषय रहा ‘समय की पुकार: प्रकृति पर्यावरण जैव विविधता का संरक्षण…’ इस सत्र में विशेष अतिथियों में महाराष्ट्र के गृह राज्य मंत्री सतेज डी पाटिल, उत्तर प्रदेश बिज विकास निगम के प्रबंधन निदेशक जीतेन्द्र के तोमर, नई दिल्ली से कृषि मंत्रालय में एडिशनल कमिश्नर डॉ नविन के पटेल तो संस्थान के पदाधिकारियों में इंदौर की जोनल चीफ को-ऑर्डिनेटर बीके हेमलता समेत अन्य अतिथियों ने सभा को संबोधित किया।
सतेज डी पाटिल ने कहा, कि यह केवल किसानों का कार्यक्रम न रहे तो यह हर एक की भावना होनी चाहिए कि अपने आसपास के वातावरण को सुरक्षित रखे और हमारे आसपास जो भी चीजे उपलब्ध है उनका समुचित उपयोग करना सीखे, दूसरे लोगों को भी बताए यह बहुत जरूरी है।
जीतेन्द्र के तोमर ने कहा, शाश्वत योगिक खेती के जो कार्यक्रम चल रहे है वह निश्चित रूप से प्रभावशाली है और उनमें जो गुणवत्तायुक्त उत्पादन हो रहा है उसे किसान बहुत पसंद कर रहे है।
बीके हेमलता ने कहा, जैसा अन्न वैसा मन और जैसा मन वैसा तन अर्थात जैसा अन्न हम लेते है वैसा ही उसका प्रभाव पडता है। बाहर जो भी प्रदूषण दिखाई देते है उसका कारण हमारे मन का प्रदुषण है। मनोवृत्तियों को शुध्द बनाने के लिए हमे आवश्यकता है कि संस्था द्वारा सिखाए जा रहे आध्यात्मिक ज्ञान और राजयोग की शिक्षा द्वारा मनोवृत्तियों को शुध्द करे।

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