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परमात्मा के अवतरण का महापर्व है महाशिवरात्रि: राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी - Shiv Amantran | Brahma Kumaris
परमात्मा के अवतरण का महापर्व है महाशिवरात्रि: राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी

परमात्मा के अवतरण का महापर्व है महाशिवरात्रि: राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी

मुख्य समाचार

– ब्रह्माकुमारीज शांतिवन में 87वीं त्रिमूर्ति शिव जयंती महोत्सव धूमधाम से मनाया गया
– मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी ने किया शिव ध्वजारोहण
– पांच हजार से अधिक लोग रहे मौजूद

शिव आमंत्रण,आबू रोड/राजस्थान। महाशिवरात्रि पर ब्रह्माकुमारीज संस्थान के अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय  शांतिवन में शनिवार को 87वीं त्रिमूर्ति शिव जयंती महोत्सव धूमधाम से मनाया गया। इस मौके पर कार्यक्रम में मौजूद पांच हजार से अधिक लोगों को शिव ध्वज के नीचे जीवन में व्याप्त बुराइयां, गलत आदतें शिव पर अर्पण करने का संकल्प दिलाया गया।
झंडावंदन के दौरान मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी ने कहा कि महाशिवरात्रि का महापर्व कई आध्यात्मिक रहस्यों को समेटे हुए है। यह पर्व सभी पर्वों में महान और श्रेष्ठ है, क्योंकि शिवरात्रि परमात्मा के दिव्य अवतरण का यादगार महापर्व है। महाशिवरात्रि पर्व पर हम शिवालयों में अक-धतूरा, भांग, आदि अर्पित करते हैं। इसके पीछे आध्यात्मिक रहस्य यह है कि जीवन में जो कांटों के समान बुराइयां हैं, गलत आदतें हैं, गलत संस्कार हैं, कांटों के समान बोल, गलत बोल- सोच को आज के दिन शिव पर अर्पण कर मुक्त हो जाएं। हम दुनिया में देखते हैं कि दान की गई वस्तु वापस नहीं ली जाती है, इसी तरह परमात्मा पर आज के दिन अपने जीवन की कोई एक बुराई जो हमें आगे बढऩे से रोक रही है, सफलता में बाधक है उसे शिव को सौंपकर मुक्त हो जाएं। अपने जीवन की समस्याएं, बोझ उन्हें सौंप दें। फिर आपकी जिम्मेदारी परमात्मा की हो जाएगी।
सारी जिम्मेदारियां परमात्मा को सौंप दें-
न्यूयार्क से पधारीं संस्थान की अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी मोहिनी दीदी ने कहा कि एक बच्चे का हाथ जब उसके पिता पकड़कर चलते हैं तो वह निश्चिंत रहता है, इसी तरह हम भी यदि खुद को परमात्मा को सौंपकर जीवन में चलते हैं तो सदा निश्चिंत रहते हैं। परमपिता शिव इस धरा पर अवतरित होकर हम सभी विश्व की मनुष्य आत्माओं को सहज राजयोग की शिक्षा दे रहें हैं। परमात्मा आह्नान करते हैं मेरे बच्चों तुम मुझ पर अपनी बुराइयों अर्पण कर दो। अपने बुरे विचार, भावनाएं, गलत आदतें शिव पर अर्पण करना ही सच्ची शिवरात्रि मनाना है। अपने अंदर के अंधकार को मिटाकर जीवन में ज्ञान की ज्योत जगाएं।
अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी जयंती दीदी ने कहा कि धर्म का आचरण ड्रेस पहनने से नहीं बन जाता है। उसे जीवन चरित्र में उतारना होगा। जिसे हम युगों-युगों से पुकार रहे थे, जिसकी तलाश में हमने वर्षों तक जप-तप और यज्ञ किए। आज वही भगवान इस धरा पर पुन: अवतरित हो चुके हैं। अपने पांच खोटे सिक्के अर्थात् काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार को प्रभु को अर्पण कर रोज ईश्वर के दर पर एक बार आना अर्थात् भगवान के घर में एक बार जरूर आना।

शक्ति स्तंभ प्रांगण मौजूद नागरिकगण।

ज्योतिर्बिंदु स्वरूप हैं परमात्मा-
संयुक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी बीके मुन्नी दीदी ने कहा कि भारत में 12 ज्योतिर्लिंग प्रसिद्ध हैं और गली-गली में शिवालय बने हुए हैं। इससे स्पष्ट होता है कि वह परमपिता परमात्मा कभी इस सृष्टि पर आएं हैं और विश्व कल्याण का कार्य किया है, तभी तो हम उन्हें याद करते हैं। परमात्मा का स्वरूप ज्योतिर्बिंदु है। श्रीमद्भ भगवत गीता से लेकर महाभारत, शिवपुराण, रामायण, यजुर्वेद, मनुस्मृित सभी में कहीं न कहीं परमात्मा के अवतरण की बात कही गई है। किसी भी धर्म ग्रंथ में परमात्मा के जन्म लेने की बात नहीं है। हर जगह प्रकट होने, अवतरण पर परकाया प्रवेश की बात को ही इंगित किया गया है। क्योंकि परमात्मा का अपना कोई शरीर नहीं होता है। वह परकाया प्रवेश कर नई सतयुगी सृष्टि की स्थापना का दिव्य कार्य कराते हैं। यहां तक कि शिवपुराण में स्पष्ट लिखा है कि मैं ब्रह्मा के ललाट से प्रकट होऊंगा। शिव जन्ममरण से न्यारे हैं। ब्रह्मा, विष्णु और शंकर के भी रचयिता त्रिमूर्ति हैं, जिन्हें हम परमात्मा शिव कहते हैं।

मीडिया निदेशक बीके करुणा भाई ने कहा कि सभी पर्वों में महाशिवरात्रि महान पर्व है। ज्ञान के सागर परमात्मा शिव हमें इस समय सच्चा गीता ज्ञान दे रहे हैं। संस्थान के कार्यकारी सचिव बीके डॉ. मृत्युंजय ने कहा कि शिवरात्रि महापर्व संस्थान के देश-विदेश के सेवाकेंद्रों पर धूम धाम से मनाया जाता है। इस मौके पर जयपुर सबजोन की निदेशिका बीके सुषमा दीदी, बीके पूरन दीदी, बीके हंसा दीदी, बीके नीलू दीदी, बीके डॉ. सविता दीदी सहित राजस्थान से आए पांच हजार से अधिक लोग मौजूद रहे।

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