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चित्रगुप्त कैसे रखते हैं हिसाब… - Shiv Amantran | Brahma Kumaris
चित्रगुप्त कैसे रखते हैं हिसाब…

चित्रगुप्त कैसे रखते हैं हिसाब…

आध्यात्मिक

धर्म-ग्रंथों से धर्म-ग्रंथों से स्न ईमानदारी से जीवन जीएं, भगवान के घर में देर है पर अंधेर नहीं है। कठिन परिस्थितियों में धैर्य बनाए रखें।

शिव आमंत्रण/ आबूरोड । उन सबकी संतुष्टि के लिए भगवान ने चित्रगुप्त को बुलाया। उनके आने पर भगवान ने कहा- मृत्यु लोक के इन दोनों व्यक्तियों के हिसाब-किताब के चौपड़े-लेकड़े लेकर आओ। दोनों व्यक्तियों के हिसाब का चौपड़ा लाया गया। देखने पर मालूम पड़ा कि जो अभी बेईमान है वह पहले बहुत ही ईमानदार था। उसके ईमानदारी के फलस्वरूप उसको बहुत प्रालब्ध मिलनी थी। उसने इतने अच्छे कर्म किये थे, इतनी ईमानदारी रखी थी कि बहुत बड़ा भाग्य उसको प्राप्त होना था। लेकिन उसके भाग्य प्राप्ति से पहले अन्तिम परीक्षा आई। उस परीक्षा के आने पर उसका धीरज समाप्त हो गया और वहां से उसने अपने जीवन का रास्ता बदल दिया और बेईमानी वाला जीवन अपना लिया और बेईमानी वाला जीवन अपनाने से उसे जो सारी प्रालब्ध पानी थी वो कम होते-होते इतनी कम हो गयी कि एक बटुआ ही मिला जिसमें केवल 1000 रुपये थे। जिसके लिए वह कह रहा था कि यह पैसे उसके नसीब का प्राप्त हुआ है। वैसे उसके नसीब में क्या था? बहुत बड़ी प्रालब्ध थी। लेकिन अन्तिम परीक्षा में ही उसका धैर्य खत्म हो गया और उसने बेईमानी का रास्ता अपना लिया। वहाँ से जो मोड़ आया उसके कारण उसकी सारी के सारी प्रालब्ध खत्म हो गयी। जो ईमानदार था उसका हिसाब भी निकाला तो देखा गया कि वह पहले बहुत ही बेईमान था, उसकी बेईमानी के कारण उसे बहुत कड़े से कड़ी सज़ा होने वाली थी। लेकिन सजा खाने के पहले उसको जीवन में सुधरने की अन्तिम मौका मिला। उसने वह मौका जीवन में उठा लिया। वहाँ से उसने अपने जीवन को सुधार लिया और बहुत सुन्दर ईमानदारी वाली जीवन शैली को अपना लिया। तो उसकी सारी सज़ा भी क्षीण होते-होते सिर्फ एक काँटा चुभने जितनी रह गई। उसे जो काँटा चुभा वह उसकी ईमानदारी का फल नहीं था लेकिन उसका पूर्व बेईमानी वाली जीवन की इतनी ही सज़ा शेष थी। बेईमान को जो हज़ार रुपया मिला वो उसकी बेईमानी का फल नहीं था लेकिन उसकी ईमानदारी का उतना ही पुण्य का फल जमा था जो उसे प्राप्त हो गया।

इसलिए कहा जाता है कि भगवान के घर में देर है पर अंधेर नहीं है। भगवान हर बुरे व्यक्ति को भी सुधरने का मौका देता है और हर अच्छे व्यक्ति की अच्छाई की परीक्षा भी लेता है। संसार में आज कई लोग कहते हैं कि बेईमानी से जीवन जीओ तो मौज करेंगे, लेकिन यह मौज थोड़े समय की है, क्योंकि जैसे ही पुण्य क्षीण हो जाएगा, उसके बाद की जो भोगना होगी, वो बहुत कड़ी होगी। इसी तरह यह नहीं समझना चाहिए कि जो काँटा चुभा वो ईमानदारी का फल है। इसीलिए कहा कि जीवन में हर घड़ी जो कुछ भी कर्म होता है, कर्मों की गुह्म गति उसके साथ जुड़ी हुई होती है। कैसे रखता है चित्रगुप्त करोड़ों मनुष्यों का हिसाब? अनेक लोगों के मन मेंयह सवाल उठ सकता है कि दुनिया में सात अरब से भी अधिक जनसंख्या है तो फिर चित्रगुप्त सबका हिसाब कैसे रखता होगा? चित्रगुप्त कभी हिसाब रखने में कोई गलती नहीं करते हैं, क्योंकि उनका हिसाब रखने का तरीका बहुत अच्छा है। हमारे जीवन का हिसाब रखने वाला चित्रगुप्त कौन है? चित्र + गुप्त कहने का भाव है कि चित्रगुप्त माना हमारे हर भाव, भावना, वृति और कर्म का गुप्त रुप से चित्र खींचा जाता है और वह अंत में सारे जीवन की एक फिल्म की रील की तरह पेश हो जाता है जिस कारण मनुष्य यह नहीं कह सकता कि यह कर्म मेरा नहीं है या यह बुरी वृति या भावना मेरी नहीं हैं।

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