सब धर्मों के निराकार पिता परमपिता, परमात्मा शिव इस धरती पर कल्प में एक ही बार अवतरीत होते है लेकिन आत्माओं का और इस धरती का, प्रकृति का कल्पनातीत परिवर्तन करते है। वह निराकार, विदेही है पर एक ब्रह्मा के शरीर मे अवतरीत होने के बाद अपने सब बच्चों को शरीर में होते हुए आत्मिक शक्तियां प्राप्त करने का मंत्र देते है। वह मंत्र है मन्मनाभव। मतलब मन ही मन निराकार स्वरूप उस शिव की वो जहां रहते है उस जगह पर याद करो।
तो ऐसे आतेही रूहानी शक्तिसेना को उपस्थित करते है और जो भी आत्माये उनकी उस स्थिति में याद करते है उनको शक्ति देते रहते है। उनको दिव्य दृष्टि होने के कारण परमधाम या ब्रह्माण्ड में स्थित होते भी उनको याद करनेवाली आत्माये दिखाई देती है। यह रूहानी शक्तिसेना विश्व को शान्ति देने के लिए खडी की जाती है। यह सेना अहिंसक है और शान्ति की शक्ति इस सेना का विशेष शस्त्र है। न सिर्फ मनुष्य आत्माओं को लेकिन प्रकृति को भी यह परिवर्तन करनेवाली है।
शान्ति की शक्ति के साधन है शुभ संकल्प, शुभ भावना और नयनों की भाषा। नयनों द्वारा भी यह सेना परमपिता विदेही शिव का अनुभव सबको करा सकती है। शान्ति की शक्ति द्वारा इस रूहानी सेना का हर सदस्य परमपिता शिव के भिन्न भिन्न अनुभव करा सकता है। इस सेना के स्नेह और शुभ भावना से अनेक आत्माओं को विविध भावनाओं का आदान प्रदान होगा। जैसे साइन्स की शक्ति के साधन टेलिफोन, वायरलेस है ऐसे इस सेना के शुभ संकल्प सम्मुख बात करने का अनुभव करायेंगे।
इस शान्ति की शक्ति में सुख समाया हुआ है। इसके लिए अन्तर्मखता और एकान्तवास जरूरी है। इस सेना के सदस्यों की शान्ति की शक्ति एक सेकण्ड वा एक मिनट भी औरों को बहुत लाभ दे सकता है। मन को भटकने की आदत रहती है लेकिन शिव की याद शक्तिशाली होने से एकान्तवासी बनना इस सेना को सहज लगता है। इस विचित्र रूहानी सेना के शुभ संकल्पों से अनेक आत्माओं के व्यर्थ संकल्प समाप्त हो जाते है और उनको भी इनकी शक्ति से कुछ ना कुछ प्राप्ति होती है। इस रूहानी सेना की शुभ भावना से स्नेह भावना निर्माण होती है और हिंसक वृत्ति वाले भी अहिंसक बन जाते है।
ऐसे करते करते एक दिन इसी धरती पर कल्पनातीत स्वर्ग की स्थापना होती है।
यह सेना कौन है? हम धरती पर रहनेवाली ही कई आत्माए है लेकिन फर्क सिर्फ ज्ञान का है। शिव का रूहानी ज्ञान प्राप्त होने के कारण यह सेना यह कार्य बहुत ही आसानी से करती रहती है। स्वर्ग कहां इस धरती से दूर आकाश में नही बसा है। वह इसी धरती पर आता है शिव के सत्य ज्ञान से… ओम् शान्ति। अनंत संभाजी – 6350090453
इसी धरती पर स्वर्ग…? कैसे…?
March 17, 2021 सच क्या हैखबरें और भी