मैं आत्मा इस देह रूपी मंदिर में भृकुटि के मध्य विराजमान हूँ! मैं आत्मा अविनाशी ; मेरा शिव पिता अविनाशी! शिव पिता का ब्रह्मा बाबा के माध्यम से दिया गया गुप्त ज्ञान अविनाशी! शिव बाबा की ये सृष्टि अविनाशी है!
मैं आत्मा बाप-दादा को नमन: करता हूँ और आह्वान करता हूँ कि मुझ आत्मा के आत्मा सिंहासन पर भृकुटि के मध्य कम्बाइन रूप से विराजमान हों!
मीठा बाबा! प्यारा बाबा! परमधाम से आते हैं और ब्रह्मा जी के सूक्ष्म तन में अवतरित होकर मुझ आत्मा के आत्म सिंहासन पर भृकुटि के मध्य कम्बाइन रूप से विराजमान होते हैं!
स्वागत है! स्वागत है! बाप-दादा का हार्दिक स्वागत है! स्वागत है! फूलों से स्वागत है! स्वागत है ! हार्दिक अभिनंदन है! अभिनंदन है!
मैं आत्मा बाप-दादा का सानिध्य पाकर प्रफुल्लित हो रहा हूँ! हेल्दी वेल्दी हेप्पी एण्ड होलीनस स्वरूप का अनुभव कर रहा हूँ! दिव्य शक्तियों, दिव्य गुणों का अनुभव कर रहा हूँ! सर्व शक्ति वान का बच्चा मास्टर सर्व शक्ति वान अनुभव कर रहा हूँ!
मैं आत्मा ज्वाला – मुखी योग अग्नि गुफा मे स्थित हूँ! आखिरी जन्म से लेकर पहले जन्म तक, पहले जन्म से लेकर 21 वें जन्म तक, + 22 वें जन्म से लेकर 84 वें जन्म तक किए गए सूक्ष्म विकर्म व विकर्मों के बोझ भी जलकर भस्म हो गए हैं!! कर्म भोग भी जलकर भस्म हो गए हैं! शारीरिक व मानसिक व्याधियाँ, विकृत्तियां, कमजोरियां भी जलकर भस्म हो गई हैं! कंचन आत्मा, कंचन शरीर से युक्त हो गया हूँ! हेल्दी वेल्दी हेप्पी एण्ड होलीनस हो गया हूँ! मायाजीत, प्रकृति जीत, जगतजीत, इन्द्रिय जीत, निद्रा जीत हो गया हूँ!
मैं आत्मा ज्वाला- मुखी योग अग्नि गुफा मे स्थित हूँ!! आदि से लेकर अब तक किसी आत्मा को मेरे द्वारा मनसा, वाचा, कर्मणा व किसी भी रूप से शारीरिक व मानसिक दु:ख व कष्ट पहुँचा हो तो मैं उन सभी आत्माओं से, हाथ जोड़कर विनम्र भाव से क्षमायाचना करता हूँ! भूलचूक के लिए सभी संबंधित आत्माओं से दिल से माफी मांगता हूँ ; बाप-दादा को हाज़िर नाजिर जानकर माफी मांगता हूँ!
अब मैं आत्मा सुखद अनुभूति का अनुभव कर रहा हूँ! सर्व बोझों व व्याधियों से स्वयं को हल्का अनुभव कर रहा हूँ! ईश्वर से प्रार्थना व कामना करता हूँ कि सभी आत्माओं को सुखी रखें! खुश रखें! सदा प्रसन्न रखें!