सभी आध्यात्मिक जगत की सबसे बेहतरीन ख़बरें
ब्रेकिंग
युवाओं ने लिया मूल्यनिष्ठ पत्रकारिता करने का संकल्प मूल्यनिष्ठ पत्रकारिता को बढ़ावा देने आगे आए युवा नशा छोड़ आदर्श जीवन जी रहे लोगों की कहानियों से लोगों को रुबरु कराएं: कलेक्टर शुभम चौधरी मम्मा ने अपने श्रेष्ठ कर्मं, मर्यादा और धारणाओं से आदर्श प्रस्तुत किया विश्वभर में एक करोड़ लोगों को दिया योग का संदेश एक करोड़ लोगों को देंगे राजयोग का संदेश योग को खेती में शामिल करने से होगा पूरे समाज का कल्याण: कुलपति
बच्चों को राजयोग का ज्ञान बचपन से दिया जाए, युवा इसे व्यायाम की तरह दिनचर्या में शामिल करें - Shiv Amantran | Brahma Kumaris
बच्चों को राजयोग का ज्ञान बचपन से दिया जाए, युवा इसे व्यायाम की तरह दिनचर्या में शामिल करें

बच्चों को राजयोग का ज्ञान बचपन से दिया जाए, युवा इसे व्यायाम की तरह दिनचर्या में शामिल करें

शख्सियत

आबू रोड। बिना नेता के समाज नहीं होता और नेता के लिए समाज का होना आवश्यक है। वह अपने सहज स्वभाव, कुशल वक्ता, सेवक तथा अपनी सामाजिक उपयोगिता के कारण माननीय होता है। देश तथा समाज का उत्थान नेता पर निर्भर करता है। नेता यदि पथ भ्रष्ट हुआ तो देश और समाज भी पतन की ओर अग्रसर हो जाता है। वर्षों तक हमारी कई परेशानियों की जड़ हमारा गलत नेता ही है। प्राचीन भारतीय संस्कृति ने बहुत सोच समझकर नेता की व्याख्या की थी जो व्यक्ति नीति का पालन करे और चलाए वही नेता होगा। इसलिए अपने समाज में उन्नति लाने के लिए ऐसे नेता का चुनाव करना चाहिए, जिसके अंदर समाज और देशहित में उनकी भावनाएं कर्मठ, सुयोग्य, सहयोगात्मक एवं जिम्मेदार हों तभी हम उनको अपना नेता चुनें। ऐसे ही एक 2016 में चुने गए नेता जो मंगल डे विधानसभा क्षेत्र, जिला धरम, असम राज्य के 42 वर्षीय विधायक गुरु ज्योतिदास जो अपने राजनीतिक जीवन में सामाजिक सेवाओं का अनुभव ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान के मुख्यालय स्थित शिव आमंत्रण पत्रिका से खास बातचीत के दौरान साझा किया, जो उनके ही शब्दों में वर्णित है…

राजनीति से सामाजिक बदलाव संभव…
चर्चा में विधायक गुरु ज्योतिदास ने कहा कि बीकॉम की पढ़ाई पूरी करके एक एनजीओ ज्वाइन किया, उसके बाद स्कूल में काम किया। राजनीति में 2013-2014 में आया। मंगल डे विधानसभा का 2016 से विधायक हूँ। कम उम्र में राजनीतिक जीवन में आना नहीं चाहता था लेकिन सामाजिक विवशता के कारण मेरा मन बदल गया। ऐसा लगा कि समाज के प्रति जो कुछ करना है उसे राजनीति में आकर ही पूरा किया जा सकता है। राजनीति की बात अगर हम छोड़ दें तो सभी धर्म-सम्प्रदाय के प्रति मेरा नजरिया समभाव का है।

पार्टी धर्मनिरपेक्षता की ओर बढ़ी…
उन्होंने कहा कि वोट की राजनीति का जहां तक प्रश्र है तो भाजपा के संबंध में लोगों का यह विश्वास था कि यह हिन्दू धर्म में ज्यादा विश्वास रखता है जो अब धीरे-धीरे खत्म होकर धर्मनिरपेक्षता की ओर बढ़ा है। भाजपा के शासनकाल में जब से प्रधानमंत्री मोदीजी हैं तब से सबका साथ सबका विकास हुआ है। हर महिला की इज्जत बचाने के लिए खुले में शौच की परम्परा को खत्म किया गया, जिसकी सराहना पूरे देश में काफी की गयी।

हमारी संस्कृति हजारों वर्ष पुरानी है…
सनातन हिन्दू धर्म में पैदा होने के वजह से शिव, विष्णु, राम, कृष्ण आदि सब में मेरी मान्यता है। हमारे देश में जो संस्कृति है वह हजारों वर्ष पुरानी है जो हमारे पूर्वजों के समय से है। यह एक विश्वास है कि भगवान दुनिया को चलाता है। मैं नियमित रूप से पूजा-पाठ के साथ ध्यान-साधना भी करता हूं। मानव के कल्याण के लिए ध्यान तपस्या तो हमारे ऋषि-मुनियों ने प्रारंभ की जो हमारे समाज में दया, करुणा, प्रेम और मानवता को बनाए रखने में बहुत ही मददगार है।
मेरा अनुभव कहता है कि किसी भी तरह का ध्यान-पूजा ईश्वर को किसी भी रूप में मानने वाला व्यक्ति प्राय: किसी भी तरह की बुराई और अपराधों से मुक्त होकर रहना चाहता है। जिसके वजह से हमारे समाज में एक प्रकार की सत्यता के साथ निर्भयता, निडरता बनी रहती है। गलत करने से पहले लोग एक बार जरूर सोचते कि भगवान देख रहा है जिससे कुकर्मों में कमी बनी रहती है। मोदी और योगी के आध्यात्मिक और राजनीतिज्ञ व्यक्तित्व से मैं काफी प्रभावित हूँ।

असम का एनआरसी मुद्दा
एनआरसी का मुद्दा आज हमारे देश में असम को लेकर जोर-शोर से उठाया जाता है। भारतीय राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) के अंतर्गत जिस व्यक्ति का नाम जांच के बाद पाया जाएगा, उसे ही इस देश मे रहने का हक है। उसे ही देश की संपदा और सुविधाओं पर हक होना चाहिए। जिसका नाम नहीं होगा उसे घुसपैठिया करार देकर देश से निकाला जा सकता है। ऐसे अवैध रूप से देश में रह रहे लोगों के वजह से कई तरह की खतरा उत्पन्न होने की संभावना बनी रहती है। एनआरसी जांच से देश में सुरक्षा और पारदर्शिता बनी रहे, इसके लिए नागरिकता रजिस्टर की जांच-पड़ताल होना आवश्यक है। एनआरसी के जांच से यह पता चला है कि अभी तक करीब-करीब चालीस लाख ऐसे लोग हैं जिनका नाम भारतीय नागरिक रजिस्टर से बाहर है। यदि हमारी सरकार समय रहते ऐसे लोगों पर कानूनी कार्रवाई नहीं करती है तो वह देश के लिए वाकई खतरा साबित हो सकता है।
ब्रह्माकुमारीज़ के ज्ञान से अधिक से अधिक लोगों को जोडऩे का मकसद
मंगल डे में ब्रह्माकुमारीज़ का सेन्टर है जहां मुझे वहां की इंचार्ज बहनें बुलाती रहती हैं उन्हीं के संकल्प के वजह से ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान में मेरा आना हुआ जो आज के दिन मुख्यालय भी पहुंचा हूँ। मैं काफी व्यस्त रहता हूँ। जिसके वजह से ब्रह्माकुमारीज़ के कार्यक्रमों में कम भाग ले पाता हूँ। मेरा मन रहता है कि अधिक से अधिक लोगों को इस आध्यात्मिक ज्ञान के साथ जोड़ दूं। राजयोग सीखने के लिए खुद की तरह लोगों भी को प्रेरित करूं। एसेम्बली चुनाव, पंचायत चुनाव और लोक सभा चुनाव आम चुनाव में व्यस्त होकर भी मेरा ध्यान इस ओर उन्मुख रहता है। राजयोग से निश्चिततौर पर लाभ होता है। इसस हमारा मन शांत होने लगता है। साथ ही मन की शक्ति भी बढ़ती है।
आज मनुष्य कुम्भकरण की तरह अज्ञान की नींद में सोया हुआ है…
ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान में आकर देखा, सब तरफ साफ-सुथड़ा, चाहे वह डायनिंग हो, कचेन हो, जहां देखो वहीं सफाई जो स्वत: किसी का भी ध्यान अपनी ओर खींचता है। आसामी में कहा जाता है कि जहां साफ-सफाई है वहां सबकुछ मिलता है। माउंट आबू ज्ञान सरोवर भी गया वहां कुम्भकरण वाला ज्ञान प्रदर्शनी से मैं काफी प्रभावित हुआ। जहां मुझे यह सीखने को मिला कि सच में आज मनुष्य कुम्भकरण की भांति अज्ञानता की नींद में सोया है। उसे ज्ञान रूपी जल छिडक़ कर अज्ञानता के अन्धकार से निकालने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि असम में बोडो, कछारी, करबी, मिरी, मिशिमी, राभा आदि जैसे विभिन्न जनजातियां मौजूद हैं। बीहु नृत्य राज्य की सांकृतिक उत्सव है जो साल में तीन बार मनाया जाता है। हमारा राज्य चाय की खेती और सिल्क के लिए विश्व प्रसिद्ध है। देश का पहला तेल भंडार यहां ही निकला। हमारे यहां का मौसम काफी सुहावना होता है।

ब्रह्माकुमारीका नहीं छुड़ाती किसी का घर…
अभी हम इक्कीसवीं सदी में हैं जहां विज्ञान का ही बोल बाला है। जहां हम आध्यात्म को भूल चुके हैं जिसके वजह से हर क्षेत्र में असंतुलन की स्थिति हो गयी है। जब इंसान में मानवता का भाव आएगा तभी दुनिया का कल्याण सही मायने में संभव है। हीरे जैसा बनने के लिए हमें मधुबन के भाई-बहनों से सीख लेनी है, वे न केवल इस देश के लिए बल्कि विश्व के लिए एक उदाहरण हैं, आदर्श हैं। मैं इस आदर्श को लेकर यहां से जाउंगा। यहां से जाने के बाद मैं अपने साथी और विधायक को न केवल बताउंगा बल्कि उन्हें आने के लिए पे्ररणा भी दूंगा। अभी ऐसा देखा जा रहा है कि सेवानिवृति के बाद ही लोग पूजा पाठ में अपना ध्यान देते हैं लेकिन मैं तो यह कहना चाहूंगा कि आध्यात्मिकता का ज्ञान युवाओं को बचपन से ही दिया जाना चाहिए। वे राजयोग को अपने दिनचर्या में व्यायाम की तरह ही जोड़ें। यह न केवल एक व्यक्ति के रूप में बल्कि देश और समाज के भी हित में होगा। इससे एक अच्छी संस्कृति का जन्म नि:संदेह होगा। आज के युवाओं मेें ब्रह्माकुमारीज़ के संबंध में यह मान्यता है कि यहां का होने से घर-परिवार छोड़ दिया जाता है जबकि मैंने यह देखा है कि यहां ऐसी कोई बात नहीं है। राजनीति में होने से मैं यह कह सकता हूँ कि आध्यात्मिक के साथ राजनीतिज्ञ होना आज के समाज में चौमुखी विकास के लिए जरूरी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *