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सद्भावना और उदारता का जीता जागता उदाहरण है ब्रह्माकुमारीज - Shiv Amantran | Brahma Kumaris
सद्भावना और उदारता का जीता जागता उदाहरण है ब्रह्माकुमारीज

सद्भावना और उदारता का जीता जागता उदाहरण है ब्रह्माकुमारीज

मुख्य समाचार

-ब्रह्माकुमारीज के शांतिवन पहुंचे आचार्य श्री महाश्रमण मानिषी तेरापंथ
-शिष्य मंडली के साथ पहली बार शांतिवन पहुंचे आचार्यश्री

शिव आमंत्रण,आबू रोड/राजस्थान। ब्रह्माकुमारीज संस्थान के शांतिवन में शुक्रवार को आध्यात्मिक कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें तेरापंथ संप्रदाय के आचार्य श्रीमहाश्रमण मानिषी अपने मंडली के साथ पहुंचे। इस दौरान उन्होंने डायमंड हॉल में राजस्थान के प्रदेशभर से पधारे लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि हमारा जीवन दो तत्वों का योग है। एक तत्व है आत्मा दूसरा तत्व है शरीर। आत्मा और शरीर का मिश्रित हमारा जीवन है। जहां सिर्फ आत्मा है शरीर नहीं है वहां जीवन नहीं हो सकता।
बता दें कि तेरापंथ संप्रदाय के आचार्य श्रीमहाश्रमण मानिषी कई देशों की यात्रा पैदल ही कर चुके हैं। आप अब तक 52 हजार किमी की यात्रा पैदल ही अपनी मंडली के साथ कर चुके हैं। आपके प्रवचनों में खासतौर पर सद्भावना को बढ़ावा देने पर जोर रहता है।
आचार्यश्री ने कहा कि पिछले कई सालों से ब्रह्माकुमारीज परिवार के सदस्य हमारे पास आते रहे हैं, लेकिन आज हम ब्रह्माकुमारीज परिवार में आ गए हैं। ऐसे तो कई सेंटर पर गया हूं लेकिन मुख्यालय में आने का पहली बार सौभाग्य मिला। मैं अपने जैन धर्म में सद्भावना की बात करता हूं, लेकिन सद्भावना का जीता जागता उदाहरण ब्रह्माकुमारीज के भाई-बहनों के अंदर पाता हूं। आप लोग काफी उदारता के साथ मिलते हैं, बात करते हैं, साथ में उपहार लेकर भी आते हैं। उदारता की मिसाल ब्रह्माकुमारी भाई-बहन है। हमारे गुरुदेव कभी बहुत पहले माउंट आबू पधारे थे, उनकी कृपा से आज मुझे भी सौभाग्य मिला है।
भारतीय परंपरा ऋषि परंपरा रही है- साध्वीजी
साध्वी प्रमुखा विश्रुत विभा ने कहा कि भारत की परंपरा ऋषि परंपरा रही है। आचार्यश्री आज से 30 वर्ष पूर्व माउंट आबू में पधारे थे। वहां उन्होंने योग, ध्यान के बारे में चर्चा की थी। भारतीय परंपरा में शांति प्राप्ति का लक्ष्य रहा है। शक्ति प्राप्त करने का लक्ष्य है। मोक्ष प्राप्त करने का लक्ष्य है। भारतीय परंपरा में अनेक मार्ग बताए गए हैं जिन पर चलकर आप अपने लक्ष्य तक पहुंच सकते हैं। राजयोग में भी आध्यात्म और ध्यान पर अधिक बल दिया गया है। ब्रह्माकुमारी बहनें ध्यान के द्वारा अपने लक्ष्य पर पहुंच सकते हैं। जैन परंपरा में भी ध्यान को अधिक महत्व दिया गया है। प्रेक्षा ध्यान की पद्धति आज भी हमारे जैन धर्म में चल रही है। इसमें अनेकों लोगों को अनुभव रहा है कि ध्यान के माध्यम से हम शांति प्राप्त कर सकते हैं और अपने लक्ष्य पर पहुंच सकते हैं। प्रेक्षा ध्यान से अनेक लोगों ने अपने जीवन को रुपांतरित किया है। जितना हम ध्यान करेंगे उतना हमारी भीतर की ज्योति प्रकट होती जाती है।

डायमंड हाल में मौजूद नागरिकगण।

आचार्यश्री और ब्रह्माकुमारीज दोनों का एक ही उद्देश्य-
आचार्यश्री के शिष्य ने कहा कि अब तक बहनों आचार्यश्री से मिलने आती थीं लेकिन आज आचार्यश्री खुद आज बहनों के घर में आ गए हैं। जिस उद्देश्य के साथ शांति और सद्भावना के लिए आचार्यश्री समर्पित रूप से जुटे हैं उसी उद्देश्य को लेकर ब्रह्माकुमारी बहनों भी सेवा में समर्पित हैं। जैसे ब्रह्माकुमारी बहनें अमृतवेला में सुबह चार बजे उठते हैं वैसे ही आचार्यश्री भी सुबह 4 बजे उठ जाते हैं। ध्यान एक रुपांतरण की प्रक्रिया है। ध्यान से ही हम ज्योति का अनुभव कर सकते हैं।

सामाजिक सद्भाव लाने के लिए संस्थान जुटा है-
इस मौके पर संस्थान के मीडिया प्रभाग के अध्यक्ष बीके करूणा, कार्यकारी सचिव बीके डॉ. मृत्युंजय ने कहा कि आज का दिन बहुत ही महान है कि आज तेरापंथ संप्रदाय के आचार्यश्री शांतिवन पधारे हैं। आपका ब्रह्माकुमारीज परिवार हृदय से स्वागत करता है। आप जैसे लोग समाज में सामाजिक सद्भाव लाने के लिए तन-मन से जुटे हुए हैं। यही उद्देश्य ब्रह्माकुमारीज संस्थान का भी है। वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका बीके डॉ. सविता ने कहा कि राजयोग मेडिटेशन से आज लाखों लोगों को जीवन पूरी तरह से बदल गया है। संस्थान की मुख्य शिक्षा राजयोग मेडिटेशन ही है। जो स्वयं परमपिता परमात्मा आकर हमें सिखा रहे हैं। इस मौके पर बीके शील, बीके फूल, बीके गीता सहित सभागार में पांच हजार से अधिक लोग मौजूद रहे।

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