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संवेदनशीलता और सही दिशा - Shiv Amantran | Brahma Kumaris
संवेदनशीलता और सही दिशा

संवेदनशीलता और सही दिशा

बोध कथा

क समय की बात है, एक गांव में अर्जुन नामक एक युवक रहता था। वह बड़ा ही समझदार और परिश्रमी था, लेकिन उसके जीवन में कुछ ऐसी चीजें थीं जो हमेशा उसकी हार का कारण बनती थीं। अर्जुन का सपना था कि वह अमीर बनें, लेकिन हमेशा कुछ ना कुछ कामयाबी की राह में रुकावटें आती रहीं। एक दिन, अर्जुन अपने दोस्त सुरेश के साथ गांव के पंचायत भवन में गया। वहां उन्होंने सुना कि एक महान योगी गांव के पास आ रहे हैं और वह सभी जीवों के कर्मों को जान सकते हैं। अर्जुन ने दोस्त सुरेश के साथ तय किया कि वे इस योगी के पास जाकर अपने कर्मों के बारे में जानने का प्रयास करेंगे। योगी के पास पहुँचकर, अर्जुन और सुरेश ने उनकी आज्ञाओं का पालन किया और उनके सामने बैठे। योगी ने दोनों के कर्मों को जानने का प्रयास किया और बताया कि उनके कर्मों के बल पर ही उनकी समस्याओं का समाधान हो सकता है। अर्जुन ने सबसे पहले योगी को अपने कई सारे परिश्रमों के बारे में बताया। उसने कहा कि वह हमेशा परिश्रम करता है, लेकिन फिर भी उसका सपना पूरा नहीं हो पाता। योगी ने उसके कर्मों को देखकर बताया कि उसने तो परिश्रम किया, लेकिन उसके कर्मों में संवेदनशीलता और सही दिशा नहीं दी। उसने कहा कि अगर वह अपने कर्मों को सही दिशा में ले जाता तो उसका सपना पूरा हो सकता था। अर्जुन ने इसे सबसे गहराई से समझने की कोशिश की, और योगी के संदेश को समझकर उसने अपने कर्मों में सुधार करने का निर्णय लिया। उसने योगी से सीखा कि कर्मों को न केवल बिना उम्मीद के किया जाना चाहिए, बल्कि उन्हें सही दिशा में करने की भी आवश्यकता होती है। अर्जुन ने योगी की सीखों का पालन किया और अपने कर्मों में संवेदनशीलता और सही दिशा देने लगा। उसके कर्मों में सुधार होता गया और वह अपने सपने की ओर बढ़ता गया। कुछ महीनो बाद अर्जुन का सपना पूरा हो गया और वह अमीर बन गया। वह समझ गया कि कर्मों को सही दिशा में करने से ही सफलता मिलती है। आत्मा की शक्ति है मन संवेदनशीलता और सही दिशा। 

संदेश: केवल मेहनत करने से नहीं, बल्कि मेहनत सही दिशा में करने से ही सफलता मिलती है। हमें अपने कर्मों को संवेदनशीलता और सही दिशा में करने की कोशिश करनी चाहिए। यह हमारे जीवन में सफलता की ओर एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।

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