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आत्मा की शक्ति है मन - Shiv Amantran | Brahma Kumaris
आत्मा की शक्ति है मन

आत्मा की शक्ति है मन

सम्पादकीय

शिव आमंत्रण, आबू रोड। जैसे घर परिवार को चलाने के लिए कर्मचारी, अधिकारी और मुखिया होता है। ऐसे ही इस शरीर को चलाने के लिए मन, बुद्धि के साथ कर्मेन्द्रियां और ज्ञानेन्द्रियां होती हैं। मन अधिकारी है परन्तु आत्मा इन कर्मेन्द्रियों का राजा है। इसलिए मन हमारे वश में होना चाहिए ना कि आत्मा। मन में ऐसी शक्ति है कि वह दुनिया की हर चीज आपके चरणों में ला सकता है। उसके अन्दर इतनी शक्ति है कि दुनिया की हर चीज पर विजय प्राप्त करा सकता है। परन्तु हमारा मन पर कितना अधिकार है यह जानना जरूरी है। जितने अधिकार पूर्वक हम उससे आदेश करेंगे उतना ही वह आपका कहना करेगा। क्योंकि मन के राजा हम हैं ना कि मन हमारा राजा है। यह अधिकार आपको समझना और जानना होगा। इसलिए मन को अधिकार पूर्वक आदेशित करना सीखें। इससे ही आपके जीवन में तरक्की की राह खुलेगी। यही नहीं बल्कि आपके वश में सारी कर्मेन्द्रियां और ज्ञानेन्द्रियां होंगी। फिर आप राजा को दु:ख आने का कोई भी कारण नहीं होगा। क्योंकि दु:ख और सुख का खेल केवल सोच के रूप पर ही निर्भर है। अपने आपको अंदर से इतना मजबूत करें कि वह आपका पूरा कहना माने। इसके लिए आपको कोई खास प्रकार के भोजन की जरूरत नहीं बल्कि आत्मा और मन का भोजन सकारात्मक विचार हैं। सकारात्मक विचार के साथ कर्म ही आत्मा और मन को सही दिशा में ले जा सकते हैं। मन से जो काम हम सफलता पूर्वक करवाना चाहते हैं उसे हम पहले स्पष्ट रूप से लक्ष्य निर्धारित कर देखना शुरू करें, फिर हम उन विचारों को सोते उठते हर कर्म करते हम बार-बार दोहराते रहें तो मन आदेश मान कर सफलता अवश्य प्राप्त कराएगा।

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