सभी आध्यात्मिक जगत की सबसे बेहतरीन ख़बरें
ब्रेकिंग
थॉट लैब से कर रहे सकारात्मक संकल्पों का सृजन नकारात्मक विचारों से मन की सुरक्षा करना बहुत जरूरी: बीके सुदेश दीदी यहां हृदय रोगियों को कहा जाता है दिलवाले आध्यात्मिक सशक्तिकरण द्वारा स्वच्छ और स्वस्थ समाज थीम पर होंगे आयोजन ब्रह्माकुमारीज संस्था के अंतराष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक शुरू दादी को डॉ अब्दुल कलाम वल्र्ड पीस तथा महाकरूणा अवार्ड का अवार्ड एक-दूसरे को लगाएं प्रेम, खुशी, शांति और आनंद का रंग: राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी
लालची बंदर - Shiv Amantran | Brahma Kumaris
लालची बंदर

लालची बंदर

शिक्षा

एक व्यापारी ने एक मंदिर बनवाना शुरू किया और मजदूरों को काम पर लगा दिया। एक दिन, जब मजदूर दोपहर में खाना खा रहे थे, तभी बंदरों का एक झुंड वहाँ आ गया।
बंदरों को जो सामान हाथ लगता, उसी से वे खेलने लगते। एक बंदर को लकड़ी का एक मोटे लट्टे में एक बड़ी-सी कील लगी दिखाई दी।
कील की वजह से लट्टे में बड़ी दरार सी बन गई थी। बंदर के मन में आया कि वह देखे कि आखिर वह है क्या।
जिज्ञासा से भरा बंदर जानना चाहता था कि वह कील क्या चीज है। बंदर ने उस कील को हिलाना शुरू कर दिया।
वह पूरी ताकत से कील को हिलाने और बाहर निकालने की कोशिश करता रहा। आखिरकार, कील तो बाहर निकल आई लेकिन लट्टे की उस दरार में बंदर का पैर फँस गया।
कील निकल जाने की वजह से वह दरार एकदम बंद हो गई। बंदर उसी में फँसा रह गया और पकड़ा गया। मजदूरों ने उसकी अच्छी पिटाई की।
Moral of Story
शिक्षा : जिस बात से हमारा कोई लेना-देना न हो, उसमें अपनी टाँग नहीं अड़ाना चाहिए।
स्पस्टीकरण-इस बंदर महाशय की तरह संसार में अनेकों-अनेक मनुष्य निवास करते हैं जिन्हें अन्य कार्य में कोई लेना-देना नहीं है फिर भी वे उस कार्य में अनायास ही टांग अड़ाया करते हैं और अंत में पछतावे के सिवाय उनको कुछ नहीं मिलता। शिव पिता परमात्मा ने भी हमारे लिए कुछ अण्डर लाइन किए रहैं, मर्यादाएं बनाई है और हम उनकी बात मानते हुए भी कहीं न कहीं बंदर मिशल कार्य कर लेते हैं और फिर वही हस्र होता है जो उस बेचारे बंदर का हुआ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *