भगवान का स्वरूप सब धर्मों में एक ही है और वह है निराकार… शीख धर्म वाले उसको एकोहंकार कहते है, ख्रिश्चन धर्म वाले पॉईंट आफ लाइट कहते है तो मुस्लिम उसको नूर कहते है।
उसके लिए भक्ति मार्ग में बहुत कुछ कहते है लेकिन समझते कुछ भी नही। मुख्य बात वह आत्मा का बाप है उसको जानते नही। कईयों को तो हम आत्मा है और आत्मा ही इस शरीर को चलाती है यह भी मालूम नही तो आत्मा का बाप परमात्मा को क्या जानेंगे?
आत्मा के उस निराकार बाप का नाम शिव है। उसको न जानने कारण भारत द्वापार से दुर्गती को पाया है। उसको जानने के बाद भारत सद्गति को पाता है। सब आत्माओं को, सृष्टि को वो मालामाल करते है। आधा कल्प सारी सृष्टि और इस धरती पर रहनेवाले जीव मालामाल रहते है। किसी से कुछ मांगने की दरकार ही नही रहती। सिर्फ सौ बरस में इतना बडा कार्य करके वह चले जाते है और उसका प्रालब्ध दो हजार पांच सौ बरस चलता है, उसमे ब्राह्मण, देवता व क्षत्रिय ऐसे तीन धर्मों की स्थापना करते है। उनका सत्यज्ञान होने का मतलब ही है आप प्राप्ति के अधिकारी बन गये। कारण वह है सर्व आत्माओं के बाप और हर एक आत्मा का उनसे प्राप्ति करने का अधिकार है। उनसे जो प्राप्ति होती है उसमें ज्ञान, आनंद, पे्रम, सुख, शक्ति, खुशी सबकुछ है। उन्हे जानते ही आपकी प्राप्ति शुरू होती है। दुनिया में ऐसा कोई बाप है जो उसका पता चलते ही आपको प्राप्ति शुरू हो… लेकिन इस निराकार, विचित्र बाप का ऐसा है। बच्चों को अपनी पहचान होते ही मालामाल करना शुरू कर देते है।
वैसे देखा जाए तो भक्ति मार्ग में हमको दो बाप रहते है। एक लौकिक और दुसरा आत्मा का अलौकिक बाप। सत्युग मे है एक बाप। संगम युग पर है तीन बाप। प्रजापिता ब्रह्मा द्वारा इस सृष्टि का परिवर्तन करते है इसलिए ब्रह्मा शरीरों का बाप बनते है। शिव है आत्माओं का बाप। वर्सा, सर्व शक्तियों की प्राप्ति शिव से होती है और उनको याद करने से विकर्म विनाश होते है।
उनको पहचानने के बाद वह सच्चा रियल ज्ञान देते है और उस ज्ञान के आधार से ही आत्मा उनको याद करती है…-अनंत संभाजी-6350090453
ऐसा कोई बाप है जिसका पता चलते ही होती है प्राप्ति शुरू…
May 12, 2021 सच क्या हैखबरें और भी