85 वीं महाशिवरात्रि महोत्सव पर प्रो. बलदेव शर्मा के विचार
शिव आमंत्रण, रायपुर। कुशाभाउ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बलदेव शर्मा ने कहा, कि शिव का स्वरूप कल्याणकारी है। शिव की अराधना करने का मतलब सिर्फ अक, धतूरा चढ़ाना मात्र नहीं है, वरन् जगत के कल्याण के लिए जीना सीखना होगा। अपने उन्नयन और जगत के कल्याण के लिए जीना ही शिव तत्व है। इस शिव तत्व को अन्तर्मन में समाहित करने की जरूरत है।
प्रो. बलदेव शर्मा बह्माकुमारीज द्वारा नवा रायपुर के शान्ति शिखर भवन में आयोजित महाशिवरात्रि महोत्सव कार्यक्रम में बोल रहे थे। विषय था -परमात्मा शिव का दिव्य अवतरण कब, क्यों और कैसे?
उन्होंने आगे कहा, कि आजकल इस तरह का जीवन हो गया है कि सब कुछ प्राप्त करने की चाह में हम दौड़ते रहते हैं। यह दौड़ ज्यादा से ज्यादा सुख प्राप्त करने के लिए होती है किन्तु अन्त में पता चलता है कि हमें कुछ भी हासिल नहीं हुआ है। दरअसल आत्मा में आनन्द समाया हुआ है। उसको पहचानने की जरूरत है। ज्ञान को जब तक आचरण में नहीं लाएंगे तब तक वह व्यर्थ है।
गृह सचिव अरूण देव गौतम ने रामचरित मानस के श्लोकों पर प्रकाश डालते हुए कहा, कि उसमें शिव को श्रद्घा और विश्वास के रूप में माना गया है। उन्होंने कहा, कि हम अपने स्वरूप को भूल गए हैं। अपने को पंचभूत देह मान बैठे हैं। अपने सही स्वरूप की पहचान दिलाने का कार्य ब्रह्माकुमारी बहनें कर रही हैं। इसी से सारे दुखों और कष्टों का अन्त होगा।
भारतीय प्रबन्धन संस्थान (आई.आई.एम.) के डायरेक्टर भरत भास्कर ने कहा, कि अपने अन्दर की ज्योति को प्रकाशित करना ही सच्ची शिवरात्रि है।
ब्रह्माकुमारी संस्थान की क्षेत्रीय निदेशिका बीके कमला ने कहा, कि भारत त्यौहारों का देश है। लेकिन जब तक उन त्यौहारों का यथार्थ अर्थ न समझें उसका पूरा लाभ नहीं उठा सकते। वर्तमान समय लोगों का अपनी कर्मेन्द्रियों पर नियंत्रण नहीं रहा है। यह अति धर्मग्लानि का समय है।
राजयोग शिक्षिका बीके नीलम ने कहा, कि राजयोग के सतत् अभ्यास से मन की वृत्तियॉं शुद्घ होती हैं तथा सभी को आत्मिक रूप में समान दृष्टिï से देखने के परिणामस्वरूप समाज में सद्भावना की स्थापना होती है।