- मार्च से अप्रैल के बीच की गई स्टडी बताती है कि कम और ज्यादा एक्सरसाइज करने वालों में तनाव स्तर एक जैसा
- एक्सरसाइज के आलावा हेल्दी डाइट, पसंदीदा चीजें करना, लोगों से बातचीत भी स्ट्रेस की स्तर को कम कर सकती है
करोना वायरस जारी है, लेकिन लोग काम पर लौटने लगे है। बच्चों के स्कूल भी खोलने के संकेत भी सरकार ने दे दिए है। हालाकि कुछ महिने पहले हालात यह थे कि लोगों का घर से निकलना बंद हो गया था। ऐसे में करोना से बचाव कर रहे लोग तनाव और चिंता जैसी मानसिक परेशानियों का शिकार हो गये थे। कई लोगों ने इससे उबरने के लिए एक्सरसाइज का सहारा लिया। इतना ही नहीं एक्सपर्ट्स भी तनाव कम करने के लिए आउटडोर एक्टिविटीज की सलाह देते हैं। लेकिन हाल ही में आई एक स्टडी इस दावे को झूठा साबित कर रही है। वॉशिंगटन स्टेट युनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने जुड़वा लोगों पर की गई स्टडी में पाया कि करोना के कारण हुए तनाव और चिंता को कम करने के लिए एक्सरसाइज काफी नहीं है। साइंटिफिक जर्नल पीएलओएस वन में प्रकाशित स्टडी में शोधकर्ताओं ने 900 जोड़ों को शामिल किया था। यह महामारी के शुरुआती दिनों में 26 मार्च से लेकर 5 अप्रैल तक की गई थी।
एक्सरसाइज ज्यादा की फिर भी बढ़ गई चिंता :-
स्टडी में पता चला कि स्टे एट होम यानी घर में रहने के दो हफ्ते बाद फिजिकल एक्टिविटी कम करने वाले लोगों में ज्यादा तनाव और चिंता नजर आई। हालांकि इसकी उम्मीद पहले ही थी, लेकिन दिलचस्प बात है कि जिन लोगों ने ज्यादा एक्सरसाइज की वे भी चिंता और तनाव के शिकार हो गए। एल्सन एस फलॉयड कॉलेज ऑफ मेडिसिन में प्रोफेसर ग्लैन डंकन ने कहा, निश्चित रूप से जो लोग एक्सरसाइज नहीं करते है, वे जानते है कि यह मेंटल हेल्थ से जुड़ा होता है। फिर भी ज्यादा एक्सरसाइज करने वाले लोगों ने तनाव और चिंता को बढ़ा हुआ पाया। उन्होंने कहा, यह कहना मुश्किल है कि आखिरकार चल क्या रहा है, लेकिन ऐसा हो सकता है कि वे लोग एक्सरसाइज का उपयोग कोविड 19 के कारण हुई स्ट्रेस और एन्जायटी से लडऩे के लिए कर रहे है।
जिंस और पर्यावरण है कारण :-
सर्वे में शामिल लोगों से उनकि फिजिक्ल एक्टिविटी के बारे में सवाल किए गए। इनमें से 42 प्रतिशत ने कहा कि कोविड संकट शुरू होने के बाद फिजिक्ल एक्टिविटी में कमी आई है, जबकि 27 प्रतिशत लोगों में फिजिक्ल एक्टिविटीज बढ़ा दी थीं। 31 प्रतिशत लोगों में कोई बदलाव नहीं आया था। स्टडी में शोधकर्ताओं ने पाया कि कम फिजिकल एक्टिविटी और तनाव क कारण जैनेटिक और एनवायरमेंटल चीजें थी। कुछ जुड़वा जोड़ो में दोनों की फिजिक्ल एक्टिविटीज में बदलाव थे, लेकिन तनाव का स्तर एक जैसा था।
एक्सरसाइज के अलावा इन 5 तरीकों से मेंटल हेल्थ का ध्यान रखें
१. जानकार रहे:-
घर में रहने के कारण टीवी, मोबाईल और इंटरनेट से वास्ता बढ़ा है। इसी वजह से हम कोविड 19 की जरूरत से ज्यादा जानकारी हासिल कर रहे है यह मानसिक स्वास्थ के लिए नुकसान पहुँचा सकता है। ऐसे में समाचार देखें, लेकिन केवल अपडेट रहने के लिए। अपने रोज के न्यूज इनटेक को थोड़ा कम कर दें।
२. भावनात्मक रूप से मजबूती:-
परिवार और खुद की मेंटल हेल्थ का ध्यान रखने के लिए आपको इमोशनल तौर पर मजबूत होना होगा। अगर ऐसा नहीं है तो आपको किसी बात को समझने और फैसले लेने में मुश्किल होगी।
३. पसंदीदा काम करें:-
कई बार हम मानसिक रूप से परेशान होने के कारण उन चीजों को पीछे छोड़ देते हैं, जिन्हें हम सबसे ज्यादा पसंद करते हैं। आखिरकार ये वहीं चीजें है जो हमें खुश रखती हैं। लगातार एक रुटीन के कारण भी हमेें उलझन महसूस होती है। अपने लिए नई एक्टिविटीज खोजें और उन कामों में मन लगाएं जो आपको खुशी दें। अपनी एक्टिविटीज में बच्चों और परिवार को भी शामिल करें।
४. समपर्क बढ़ाएं:-
महामारी के दौरान हमारा लोगों से मिलना-जुलना कम हो गया है। मानसिक तौर पर परेशान होने का यह भी एक बड़ा कारण हो सकता है। हम कई बार हमारी मन की बातें किसी से कह नहीं पा रहे और यह बात हमें परेशान कर रही है। ऐसे में टेक्रोलॉजी के मदद लें और वीडियो या कॉन्फ्रेंस कॉल के जरीए दोस्तों या रिश्तेदारों से जुड़ें।
५. बेहतर खान-पान:-
स्ट्रेस से बचना है तो शरीर की देखभाल करे। घर में रहकर ही गहरी सांस,स्ट्रेचिंग और ध्यान लगाएं। हेल्दी और बैलेंस्ड डाइट लें और नियम से एक्सरसाइज करें। इसके अलावा भरपूर निंद ले और ज्यादा नशे से बचें। डायट्री सप्लीमेंट्स लेने से पहले फार्मासिस्ट,डायटीशियन दूसरे हेल्थ केयर एक्सपर्ट्स से सलाह लें।
लम्बे वक्त में अलग हो सकते है परिणाम :-
डंकन कहते है,‘‘ऐसा जरूरी नहीं है कि एक्सरसाइज आपको स्ट्रेस संभालने में मदद नहीं करेगी। बात इतनी सी है कि ऐसा कुछ है जो दोनों को जैनेटिक और एनवायरमेंट के तौर पर जोड़ता है। ऐसा लगता है कि स्ट्रेस और एन्जायटी संभालने के मामले में फिजिकल एक्टिविटी कम करने या बढ़ाने से कोई फर्क नहीं पड़ता है, लेकिन कोविड पाबंदियों में दो या तीन महिने बाद इसका परिणाम अलग हो सकते हैं।’’
बहुत सुन्दर, पूरी टीम को धन्यवाद
Thanks from Shiv Amantran