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शुगर फ्री कैलोरी काउंटिंग…… - Shiv Amantran | Brahma Kumaris
शुगर फ्री कैलोरी काउंटिंग……

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अलविदा-डायबिटीज़

अधिकतर लोग उपवास के बाद फिर ज्यादा भोजन कर लेते हैं। इसलिए जितना वजन घटाया था थोड़े दिन में पुन: उससे भी ज्यादा वजन बढ़ जाता है। यदि कोई नियमित व्यायाम के साथ बीच-बीच में फास्टिंग करता है और एक संतुलित आहार पद्धति को अपनाते हैं तो शारीरिक वजन घटाने में अवश्य ही मदद करेगा। परंतु जो (INSULIN) इंसुलिन वा डायबिटीज की दवाईयां लेते हैं, वे अगर उपवास करते हैं तो नुकसान हो सकता है। क्योंकि इंसुलिन (INSULIN) वा दवाईयों का असर कभी-कभी २४ घंटे तक भी रहता है। और कोई अगर ४-५ घंटे से ज्यादा समय खाली पेट रहता है। उसका रक्त में शुगर की मात्रा घटने लगती है। और जो लंबे समय तक उपवास करते हैं तो (Hypoglycemia) अर्थात (Low Blood Suger) हो कर बेहोश भी हो सकते हैं। कभी-कभी शुगर (Suger) ज्यादा या (Low) होने से जानलेवा भी हो सकता है। इसलिए डायबिटीज मरीज उपवास ना करें तो बहुत ही अच्छा है। दिन में कम से कम ४-५ बार भोजन अवश्य करें। नाश्ता माध्याहन भोजन और रात्री भोजन तो करना ही है। परंतु बीच में लंच से पहले ११-१२ बजे कुछ न कुछ नाश्ता अवश्य करें। इससे शुगर की मात्रा नियंत्रित रहेगी और ज्यादा ऊपर नीचे नहीं होगी।

कैलोरी काउन्टिंग (âCalorie counting)
डायबिटीज का एक मुय कारण मोटापा है। शरीर में जब चर्बी ज्यादा जमा हो जाती है। इंसुलिन (Insulin) जो शुगर की मात्रा को नियंत्रित रखती है। ठीक रीति से काम नहीं कर पाती है। इसे (Insulin Resistence) कहा जाता है।
जैसे-जैसे मोटापा कम होता है उसके बाद Insulin पुन: काम करना शुरू कर देती है। शरीर का वजन ठीक रखने के लिए हम सारे दिन में जो खाते हैं, उसमें कितनी कैलोरीज् होती है यह जानना बहुत आवश्यक है। हम भोजन कितना खाते हैं क्या-क्या खाते हैं और हमारे खाद्य पदार्थ में कितनी मात्रा में कैलोरीज् है यह सब बहुत महत्वपूर्ण है। हमारा शरीरिक वजन सही रखने के लिए (I€deal Body weight) हमें कैलोरीज काउन्टिंग सीखने की आवश्यकता है।

कैलोरीज क्या होती है?
मनुष्य का शरीर एक मशीन की तरह है। और जन्म से लेकर मृत्यु तक यह मशीन चलती रहती है। हमारा हृदय, फेफड़े, किडनी, लीवर, दिन-रात कार्य करती रहती है। तो प्रश्र उठता है कि यह शरीर रूपी मशीन को चलाने के लिए उर्जा कहां से मिलती है? वास्तव में सारे दिन में हम जो कुछ खाते हैं- उन खाद्य पदार्थो से हमें उर्जा प्राप्त होती है।

मोटापा का मुख्य कारण
सारे दिन में हम जो भी कार्य करते हैं इसके लिए हमें उर्जा (Calories) खाद्य पदार्थो से ही मिलती है। हम अगर कुछ भी कार्य नहीं करते हैं तो भी शरीर रूपी मशीन को चालू रखने के लिए भी उर्जा की आवश्यकता होती है। जब हम आवश्यकता से ज्यादा मात्रा में खाते हैं तो खाद्य पदार्थो से प्राप्त उर्जा शरीर में (Positive Balance) होने के कारण चर्बी के रूप में अथवा (Reserve Energy) के रूप में जमा रहती है। और शरीर में अधिक मात्रा में चर्बी जमा होने को मोटापा (Obesity) कहा जाता है। जब हम कम मात्रा में भोजन करते हैं अथवा उपवास आदि करते हैं तब शरीर रूपी मशीन को चालू रखने के लिए इस (Reserve Source) अर्थात चर्बी से उर्जा का उपयोग होता है और हमारा वजन घटने लगता है।

हमारा शारीरिक वजन कितना होना चाहिए?
क्योंकि मोटापा के कारण (INSULIN) ठीक से नहीं काम कर पाती है। इसलिए हमारे शरीर का वजन को (Ideal) रखना पड़ेगा। ऐसे भी स्वस्थ्य रहने के लिए हमारा (Body wt.Ideal) होना आवश्यक है। प्रत्येक वस्यक व्यक्ति की शारीरिक उच्चता अनुसार, वजन कितना होना चाहिए निर्धारित किया गया है और यह महिला और पुरूषों के लिए अलग-अलग है।
निम्न फॉर्मूला (Formula) से हम जान सकते हैं कि हमारा शरीरिक वजन सही है या नहीं।
शारीरिक उच्चता (सेंटीमीटर में)-१००=शारीरिक वजन (किलोग्राम में)-पुरूषों के लिए।
शारीरिक उच्चता (सेंटीमीटर में)-१०५=शारीरिक वजन (किलोग्राम में)-महिलाओं के लिए।
उदाहरण:-
१) यदि किसी पुरूष की उच्चता ५ फूट है अर्थात १५० सेंटीमीटर है, उनका वजन -१५०-१००=५० कि.ग्रा.होने चाहिए।
२) यदि किसी महिला की उच्चता भी ५ फूट तो उनका वजन-१५०-१०५=४५ कि.ग्रा.होने चाहिए।
देखा गया है पाश्चात्य विकसित राष्ट्रों में अधिकांश मनुष्य सारे दिन में आवश्यकता से ज्यादा कैलोरीज का सेवन करते हैं। इसलिए अमेरिका में ६५’ वयस्क (OBESE) मोटे हो चुके हैं और स्वास्थ्य का एक बहुत बड़ी समस्या है। भारतवर्ष में यह समस्या अब शुरू हो चुकी है। परंतु विदेश और हमारी समस्या में एक मुय अंतर यही है की हमारे लोगों का शारीरिक वजन इतना ज्यादा तो नहीं है, हाथ पांव भी साधारण वा दुबले -पतले हैं। परंतु पेट के अंदर और ईर्द-गिर्द में चर्बी जमा होने के कारण कमर की साईज ज्यादा है जिसे (Central Obesity) कहा जाता है। और यही अनेक बीमारियों का जड़ है। जैसे कि डायबिटीज़, हृदयरोग, उच्च रक्तचाप, हाई कोलेस्टेरल आदि-आदि।

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