महिलाओं के लिए आयोजित कार्यक्रम मे व्यक्त विचार
शिव आमंत्रण, गुरूग्राम। महिलाओं के लिए खास ऑनलाइन इवेंट का आयोजन गुरूग्राम के ओम शांति रिट्रीट सेंटर द्वारा भी किया गया जिसमें जिम्मेवारी संभालते हुए भी अपनी स्थिति को डबल लाइट कैसे बनाएं इस पर ओआरसी की निदेशिका बीके आशा, लखनउ के गोमती नगर सेवाकेंद्र प्रभारी बीके राधा, दिल्ली से निरोगम मेडिकेयर की को-डायरेक्टर डॉ. मंजू गुप्ता, निज़ाम्स इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस हैदराबाद में न्यूक्लियर मेडिसीन विभाग की हेड और प्रोफेसर डॉ. कविता ने मुख्य रूप से प्रकाश डाला।
इस मौके पर बीके आशा ने कहा, डबल लाईट कैसे रहे? आप सब बहने देवियां, शक्तियां, मातायें, कन्याए भी है। आप सब वृक्ष के सदस्य हो। एक वृक्ष सूर्य से रोशनी लेता है, खाना बनाता है और जिस समय जिसको जिस चीज की जरूरत होती है वह देता है। आप बहने प्यारे बाबा से शक्ति लेकर स्वयं को एक वृक्ष की तरह समझते हुए बाबा के कार्य में अपनी छोटी उंगली दे रहे है। जो बच्चे उंगली देते है तो पिता उंगली सदा पकड के रखता है। जिसकी उंगली स्वयं भगवान पकड के रखे वह वैसे भी लाइट रहेंगे। मन से भी लाइट और वोरा मे भी लाइट। सवाल डबल लाइट रहने का नही है डबल लाइट का साक्षात्कार कराने का है। जहां भी रहते है वहां सेवा से, कर्म से बाबा का परिचय देना है।
लखनउ के गोमती नगर सेवाकेंद्र प्रभारी बीके राधा ने कहा, भोजन हजम होने के बाद खून मे उसका परिवर्तन होता है वैसे वैसे ज्ञान को हजम किया तो वह शक्ति में परिवर्तन होता है। इसलिए नॉलेज इज लाइट नॉलेज इज माइट कहा जाता है। ज्ञान को चिंतन, मनन के रूप में हजम करेंगे तो वह शक्ति के रूप में बदल जायेगा।
दिल्ली से निरोगम मेडिकेयर की को-डायरेक्टर डॉ. मंजू गुप्ता ने कहा, अपनी स्वस्थिति को बहुत बहुत शक्तिशाली बनाना है, उसको संभालना है। बाहर नकारात्मकता है लेकिन मै उस नकारात्मकता का हिस्सा नही हूं। मेरे पास उस पर विजय पाने के लिए भगवान ने सकारात्मक ज्ञान और शक्तियां दी है। समुंदर के अंदर पानी का भंवरा है लेकिन मुझे तैरने आता है तो मै उसको पार कर के आ सकती हूं। वैसे ही हमने अपने अंदर कहां से भी नकारात्मकता आने को मार्जिन दिया तो हमारी नाव डूबेगी ही डूबेगी। उसकी अपने को संभाल करनी है। हमे कर्मेंद्रिय जीत बनना है।