- सहन करने व समाने की शक्तिका दूसरा नाम है मां: बीके मंजू
- टिकरापारा सेवा केंद्र पर मातृ दिवस पर व्यक्त विचार
शिव आमंत्रण, बिलासपुर। बिलासपुर के टिकरापारा सेवाकेंद्र द्वारा मातृत्व दिवस के उपलक्ष्य में ऑनलाइन प्रोग्राम मे सेवाकेंद्र प्रभारी बीके मंजू ने कहा, कि जिस प्रकार सागर में सभी नदियों का जल समा जाता है उसी तरह मां भी अपने बच्चों के गुण-अवगुण, विशेषता-दोष सभी अपने में समा लेती है, मां का प्यार सभी बच्चों के लिए एक समान होता है। ठीक उसी तरह परमात्मा भी हम सभी प्राणीमात्र के मात-पिता हैं जो हमें शिक्षाएं व सावधानियां देकर हमारी सभी कमियों को निकाल हमें सर्वगुण संपन्न, शक्ति संपन्न बनाते हैं।
बताया, कि मां हमारे जीवन की प्रथम गुरू तो होती ही है किन्तु मां के अतिरिक्त अनेक अन्य हमारे बडे भी होते हैं जो हमें बिना किसी स्वार्थ के हमारी कमियों पर ध्यान खिंचवाते हैं, हमें आगे बढने की हिम्मत देते हैं। उनका भी एहसान चुकाया नहीं जा सकता। मातृ दिवस, पितृ दिवस, शिक्षक दिवस आदि दिवस एक दिन के लिए नहीं होते बल्कि हमेशा के लिए अपनी स्मृति में उनके महत्व, त्याग, बलिदान व एहसानों को याद रखने के लिए एक प्रेरणा का दिवस होता है। हालांकि यह दिवस विदेशों में शुरू किया गया क्योंकि वहां अधिकतर परिवार में बच्चे जल्दी ही अपने मात-पिता से दूर रहने लग जाते हैं। भारत में संयुक्त परिवार की संस्कृति है लेकिन हम मातृ दिवस को मां के प्रति समर्पित करके एक अवसर के रूप में लेकर मनाते हैं। हमारे देश में जितने भी महापुरूष हुए हैं उनकी माताएं मन से बहुत ही शक्तिशाली, निडर और महान थीं। महापुरूषों, वीर पुरूषों आदि की महानता में उनकी मां का ही महत्वपूर्ण योगदान रहा।
बीके मंजू ने कहा, कि इस कोरोना काल में अनेक लोगों ने अपनी मां को खोया होगा उन्हें हम ईश्वरीय परिवार की ओर से भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और सारे विश्व की आत्माओं प्रति यही शुभभावना व शुभकामना रखते हैं कि सभी स्वस्थ रहें, निरोगी रहें, किसी को कोई भी प्रकार का दुख न रहे।