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जाकी रही भावना जैसी ……….. प्रभु मूरत देखी तिन तैसी - Shiv Amantran | Brahma Kumaris
जाकी रही भावना जैसी ……….. प्रभु मूरत देखी तिन तैसी

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बोध कथा

एक महिला रोज मंदिर जाती थी ! एक दिन उस महिला ने पुजारी से कहा कि अब मैं मंदिर नही आया करूँगी !

इस पर पुजारी ने पूछा — क्यों ?

तब महिला बोली — मैं देखती हूँ लोग मंदिर परिसर में अपने फोन से अपने व्यापार की बात करते हैं ! कुछ ने तो मंदिर को ही गपशप करने का स्थान चुन रखा है ! कुछ तो पूजा कम पाखंड, दिखावा ज्यादा करते हैं !

इस पर पुजारी कुछ देर तक चुप रहे , फिर कहा — सही है ! परंतु अपना अंतिम निर्णय लेने से पहले क्या आप मेरे कहने से कुछ कर सकती हैं ?

महिला बोली -आप बताइए क्या करना है ?

पुजारी ने कहा–एक गिलास पानी भर लीजिए और 2 बार मंदिर परिसर के अंदर परिक्रमा लगाइए , शर्त ये है कि गिलास का पानी गिरना नहीं चाहिये !

थोड़ी ही देर में उस महिला ने ऐसा कर दिखाया !

उसके बाद मंदिर के पुजारी ने महिला से 3 सवाल पूछे –

  1. क्या आपने किसी को फोन पर बात करते देखा?
  2. क्या आपने किसी को मंदिर में गपशप करते देखा?
  3. क्या किसी को पाखंड करते देखा? महिला बोली — नहीं मैंने एेसा तो कुछ भी नहीं देखा !

फिर पुजारी बोले — जब आप परिक्रमा लगा रही थीं – तब आपका पूरा ध्यान गिलास पर था कि इसमें से पानी न गिर जाए, इसलिए आपको और कुछ दिखाई नहीं दिया |

अब अगली बार जब भी आप मंदिर आयें, तो वहां जिस काम के लिए आए हैं सिर्फ उसी बात पर ध्यान केंद्रित करें, अर्थात अपना ध्यान सिर्फ़ परमपिता परमात्मा में ही लगायें, फिर आपको दुनियादारी का और कुछ दिखाई नहीं देगा, सिर्फ भगवान ही दिखाई देगें|

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