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गांधीजी का मंत्र था, मेरा मन मंदिर है - Shiv Amantran | Brahma Kumaris
गांधीजी का मंत्र था, मेरा मन मंदिर है

गांधीजी का मंत्र था, मेरा मन मंदिर है

छत्तीसगढ़ राज्य समाचार

शिव आमंत्रण, धमतरी। ब्रह्माकुमारीज के धमतरी सेवाकेंद्र के तत्वावधान में गांधी जयंती के अवसर पर ऑनलाइन प्रोग्राम के द्वारा सबको सन्देश दिया गया। गांधीजी के जीवन को याद करते हुए बीके सरिता ने कहा, गांधीजी को स्वच्छता के साथ सत्यता, प्रेम, अहिंसा, सादगी और एकता उनके जीवन का मूल मन्त्र था। सत्यागृह आंदोलन कर उन्होंने भारत को स्वराज्य दिलाया। गांधीजी का एक बहुत सुन्दर मंत्र था मेरा मन एक मंदिर है, मै किसी को भी गंदे पाव से इस मंदिर से गुजरने नहीं दूंगा। आज स्वच्छ भारत अभियान की बहुत जरूरत है जो हमारे प्रधानमंत्री द्वारा चलाया जा रहा है। स्वच्छ भारत अभियान के लिए उन्हों ने दादी जानकी को ब्रांड एम्बेसेडर बनाया था। दादी जानकी भी कहा करती थी कि सच्चाई, सफाई सादगी हमारे जीवन में संस्कारो में होनी चाहिये। जब हमारा मन स्वच्छ होगा तभी बाहर भी स्वच्छता होगी। जहा गंदगी होगी वहां बीमारी फैलेगी। जब तक ये कार्य वैचारिक रूप में हमारे जीवन में नहीं आएगा तब तक स्वच्छ भारत का सपना पूरा नहीं होगा। आज कोरोना वायरस की बीमारी जो फैली है उससे मुक्त होने का साधन भी स्वच्छता ही है। परमपिता परमात्मा शिव ने हमें मन्त्र दिया है स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत के साथ अब हमें स्वर्णिम भारत लाना है। आज यदि हमारे मन किसी के लिए ईष्र्या, अशुभ भावना, हिंसा, दु:ख देने की भावना से ग्रसित है तो स्वर्णिम भारत कैसे बनेगा। हमारा मन ही गंदगी से भरा है तो हम कभी स्वच्छ नहीं बन सकते। स्वच्छ नहीं तो स्वस्थ भी नहीं।
राजयोग ही एक ऐसी विधि है जो हमारे विचारों को शुद्ध करती है, राजयोग में आत्मा के ज्ञान से स्वयम् को आत्मा समझने से मन स्वच्छ होगा, आत्मा में प्रेम, सुख, शांति, शक्ति आदि गुणों का विकास होगा तो वो दिन दूर नहीं जो स्वर्णिम दुनिया इस धरा पर आएगी।

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