सभी आध्यात्मिक जगत की सबसे बेहतरीन ख़बरें
ब्रेकिंग
शांतिवन आएंगे मुख्यमंत्री, स्वर्णिम राजस्थान कार्यक्रम को करेंगे संबोधित ब्रह्माकुमारीज़ में व्यवस्थाएं अद्भुत हैं: आयोग अध्यक्ष आपदा में हैम रेडियो निभाता है संकटमोचक की भूमिका भाई-बहनों की त्याग, तपस्या, सेवा और साधना का यह सम्मान है परमात्मा एक, विश्व एक परिवार है: राजयोगिनी उर्मिला दीदी ब्रह्माकुमारीज़ मुख्यालय में आन-बान-शान से फहराया तिरंगा, परेड की ली सलामी सामाजिक बदलाव और कुरीतियां मिटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा रेडियो मधुबन
क्षणिक और मिथ्या होते हैं सांसारिक संबंध - Shiv Amantran | Brahma Kumaris
क्षणिक और मिथ्या होते हैं सांसारिक संबंध

क्षणिक और मिथ्या होते हैं सांसारिक संबंध

बोध कथा

एक बार संत के पास एक सत्संगी युवक आया। संत ने उससे हाल-चाल पूछा, तो उसने स्वयं को अत्यंत सुखी बताया। वह बोला, ‘ मुझे अपने परिवार के सभी सदस्यों पर बड़ा गर्व है। उनके व्यवहार से मैं संतुष्ट हूँ। संत बोले, तुम्हें अपने परिवार के प्रति ऐसी धारणा नहीं बनानी चाहिए। इस दुनिया में अपना कोई नहीं होता। जहां तक मां-बाप की सेवा और पत्नी-बच्चों के पालन-पोषण का संबंध है, उसे तो कर्तव्य समझकर ही करना चाहिए। उनके प्रति मोह या आसक्ति रखना उचित नहीं।’ युवक को बात जँची नहीं, बोला, आपको विश्वास नहीं कि मेरे परिवार के लोग मुझ पर अत्यधिक स्नेह करते हैं। यदि एक दिन घर न जाऊँ, तो उनकी भूख-प्यास उड़ जाती है और नींद हराम हो जाती है और पत्नी तो मेरे बिना जीवित ही नहीं रह सकती। ’ संत बोले, ‘ तुम्हें प्राणायाम तो आता ही है। कल सुबह उठने के बजाय प्राणवायु मस्तक में खींचकर निश्चेष्ट पड़े रहना। मैं आकर सब संभाल लूँगा। ’ दूसरे दिन युवक ने वैसा ही किया। प्राणायाम से उसने अपनी श्वास को रोक लिया और मृत समान लेटा रहा। उसे निर्जीव जान कर घर के सब लोग विलाप करने लगे। योजना के अनुसार संत उसी समय वहाँ पहुँचे। सब लोग उनके चरणों पर गिर पड़े। संत बोले, ‘ आप लोग शोक मत करें। मैं मंत्र के बल पर इसे जिलाने का प्रयत्न करूँगा, किन्तु इसके लिए कटोरी भर पानी किसी को पीना पड़ेगा। उस पानी में ऐसी शक्ति होगी कि पीने वाला तो मर जाएगा, किन्तु उसके बदले यह युवक जी उठेगा।’ यह सुनते ही सब एक-दूसरे का मुँह देखने लगे। पानी पीने के लिए किसी को आगे न आते देख संत बोले, ‘ तब मैं ही पीता हूँ। ’ इस पर सब उठे, ‘ महाराज! आप धन्य हैं ! सचमुच संत महात्मा परोपकार के लिए ही जन्म लेते हैं। आपके लिए जीवन-मृत्यु एक समान हैं। यदि आप जिला सकें, तो बड़ी कृपा होगी।’ युवक को संत के कथन की प्रतीति हो गई थी। प्राणायाम समाप्त कर वह उठ बैठा और बोला, महाराज, आप पानी पीने का कष्ट न करें। सांसारिक संबंध क्षणिक और मिथ्या होते हैं, वह मैं जान गया हूँ। आपने सचमुच मुझे नया जीवन दिया है। ‘

संदेश: वास्तविकता मे कोई किसी का नही होता …
हम व्यर्थ ही हर किसी से मोह रखते है। हमे इस मानव जीवन में मोह माया से मुक्त होकर जीव मात्र का कल्याण करना चाहिये, क्योंकि बंधन ही आसक्ति से उपजता है और निर्लिप्तता मोक्ष है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *