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काम,क्रोधादि विकार त्यागने से ही होता है भगवान दर्शन - Shiv Amantran | Brahma Kumaris
काम,क्रोधादि विकार त्यागने से ही होता है भगवान दर्शन

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ओड़ीशा राज्य समाचार

खोरधा के कार्यक्रम में बीके भगवान के विचार

शिव आमंत्रण, खोरधा। ओडि़शा के खोरधा रोड सेवाकेन्द्र द्वारा एक दिवसीय राजयोग साधना कार्यक्रम का आयोजन हुआ, जिसका विषय रहा राष्ट्र शांति एवं स्व उन्नति के लिए राजयोग ध्यान। इस कार्यक्रम में मुख्यालय माउण्ट आबू से आए वरिष्ठ राजयोग प्रशिक्षक बीके भगवान ने राजयोग पर विस्तार से चर्चा करते हुए बताया, कि स्वयं को परमात्मा से जोडऩा ही राजयोग है।
बीके भगवान ने कहा, कि मन और बुद्धि का आध्यात्मिक अनुशासन राजयोग है। यह विचारों के आवेग व संवेग का मार्गान्तरीकरण कर उनके शुद्धिकरण की प्रक्रिया है। राजयोग व्यक्ति के संस्कार शुुद्ध बनाने और चरित्रिक उत्थान द्वारा शारीरिक एवं आध्यात्मिक स्वास्थ्य लाभ का नाम है। इसके साथ ही यह जीवन की विपरीत एवं व्यस्त परिस्थितियों में संयम बनाए रखने की कला है। आध्यात्मिकता का अर्थ स्वयं को जानना है। साधन बढ़ रहे हैं, लेकिन जीवन का मूल्य कम होता जा रहा है। उन्होंंने कहा, कि सभी को भगवान से प्रेम है। परमात्मा सूर्य के समान है। उनसे निकलने वाली प्रेम रूपी किरणें सभी पर समान रूप से पड़ती है। शांति हमारे अंदर है, इसे जानने के साथ ही महसूस करने की भी जरूरत है। भगवान कभी किसी को दुख नहीं देता बल्कि रास्ता दिखाता हैे। काम, क्रोध, लोभ, मोह एवं अहंकार के त्याग से ही भगवान के दर्शन होते हैं।
उन्होंने कहा, कि मानव जीवन की सार्थकता व सफलता के लिए सत्संग आवश्यक है। सत्संग को पाकर जीवन मंगलमय बन जाता है, जबकि कुसंगति से जीवन नरक बनता है। संतों की संगति से ही जन्म-मरण के कष्टों से मुक्ति मिलती है।
बीके ज्योति ने राजयोग की विधि बताई। बीके अनु ने राजयोग का महत्व बताया। समाजसेवक सुरेश
राठोड, बीके अशोक ने भी इस वक्त अपने विचार रखे। कार्यक्रम की शुरूवात दीप प्रज्ज्वलन से की गई।

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