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आत्महत्या का विचार अर्थात जीवन को भयंकर संकट में डालना। - Shiv Amantran | Brahma Kumaris
आत्महत्या का विचार अर्थात जीवन को भयंकर संकट में डालना।

आत्महत्या का विचार अर्थात जीवन को भयंकर संकट में डालना।

मध्य प्रदेश राज्य समाचार

अलीराजपुर, 10 सितंबर, 2020 : वर्तमान समय चारों ओर हिंसा, लूटमार ,धोखाधड़ी, परिवार में कलह क्लेश ,संबंधों में कटुता, व्यवहार में स्वार्थ भावना आदि के कारण मानव मन में  अवसाद, दुख, चिंता ,हताशा ,हीन भावना, निराशा, नशे की प्रवृतियां बढ़ती जा रही है। मन नकारात्मकता का शिकार बनता जा रहा है जिससे अनेक मानसिक रोग डिप्रेशन तनाव बढ़ते जा रहे हैं। इतना ही नहीं यक्ति आत्महत्या कि ओर दिन प्रतिदिन अग्रसर होता जा रहा है। विवेक शुन्य बनता जा रहा है। समस्या का समाधान आत्महत्या नहीं है, बल्कि यह विचार, कर्म हम कर लेते हैं तो वर्तमान परिस्थितियों से तो छूट जाएंगे लेकिन पुनः दूसरे जन्म में रहे हुए संचित पाप कर्म, साथ में आत्महत्या का पाप कर्म व इस जन्म में रहे हमारे कार्मिक खाते के रूप में आत्माओं के हिसाब उनकी बद्दुआ के कारण भी दूसरा नवजीवन अनेक दुविधा, संकट, रोग,  व मानसिक परेशानियां  बढ़ाने वाला मिल जाता है ।वह दूसरे जन्म में भी सुख शांति की स्वास नहीं ले सकता है ।इसिलए कहा गया की आत्महत्या जैसा पाप दूसरा कोई होता नहीं । यह विचार इंदौर से पधारे जीवन जीने की कला के प्रणेता ब्रह्मा कुमार नारायण भाई ने विश्व आत्महत्या निषेध दिवस के अवसर पर नगर वासियों को दीपा की चोकी में स्तिथ ब्रहमा कुमारी सभागृह में संबोधित करते हुए बताया कि इसका परिणाम बहुत गुणा दुखदाई खतरनाक होते हैं। भ्राता अरविंद गहलोत संयोजक जिला आनंद संस्थान अलीराजपुर ने बताया कि इससे छुटकारा पाने के लिए सबसे पहले एकांत में ईश्वर के साथ बातें करें तो आपको समाधान भी मिलेगा, साथ ही मन को शांत बनाने के लिए सत साहित्य का अध्ययन, राजयोग का अभ्यास ,साथियों से वार्तालाप, सही समय पर निद्रा, समय पर भोजन कुछ समय प्रकृति के साथ बिताएं ।इसके साथ किसी मुसीबत में फंसे व्यक्ति की मदद करें। इलेक्ट्रॉनिक साधनों से दूर रहें तो आत्महत्या जैसे महापाप  से बच सकते हैं ।किसी ने कहा जीवन ईश्वर का सुंदर उपहार है इसका  उपहास करेंगे तो प्रकृति इसकी सजा मानसिक रोगों के रूप में देती है। इस अवसर पर तेज सिंह मंडलोई कार्यालय सहायक जिला योजना विभाग अलीराजपुर ने बताया कि आत्महत्या के विचार जैसी हमारी जीवन में प्रवेश करें तुरंत उसको परिवर्तन करके अपने जीवन में अच्छे विचारों में परिवर्तन करे कि यह दिन भी बीत जायेगा, आया है जाने के लिए। तो शीघ्र ही हम आत्महत्या जैसे विचारों से ऊभर कर बाहर आ सकते हैं। कार्यक्रम के अंत में सेवा केंद्र संचालिका माधुरी बहन ने मानसिक शांति हेतु राजयोग का सभी को प्रैक्टिस करवाई।

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