हम शरीर नही है। दिखाई तो शरीर ही देता है, लेकिन उसे चलानेवाली शक्ति आत्मा है। आत्मा प्रचंड ऊर्जा से भरी है लेकिन उस ऊर्जा का इस्तेमाल कैसे करना यह हमे मालूम नही है। आत्मा अणु से भी सूक्ष्म है। उसमे नकारात्मक विचार इतने भरे है कि उसकी सकारात्मक शक्ति बाहर आने के लिए रास्ता ही नही मिल रहा है। हमारे विचार कम हो गये तो उसमे से आनंद, खुशी, शांति, शक्ति आदि उस से बाहर आने लगते है। बुध्दि को निर्मल और सरल बनाया जाय तो यह उसके मूल गुण बाहर आने लगेंगे।
बुध्दि मे इतनी शक्ति होते हुए भी हम उसका दो चार प्रतिशत इस्तेमाल करते है। आईनस्टाईन नाम के शास्त्रज्ञ ने भी अपने बुध्दि का सिर्फ सोला प्रतिशत इस्तेमाल किया था। बुध्दि में हजारो कोशिकाये है और वह एक दूसरे से संबंधित है।
बुध्दि का सही इस्तेमाल करके आप अपनी कमजोरी को शक्ति में बदल सकते है। कैन्सर पेशन्ट को कैन्सर का पता चला तो उसे उसका बहोत टेन्शन आता है। लेकिन जब वह यह बात स्वीकार करता है कि अब मरना है तो उसका सारा टेन्शन खतम हो जाता है। वह इतने रिलैक्स हो जाते है कि बात मत पूछो। जब वह रिलैक्स हो जाते है उसी समय उनमे सुधार शुरू हो जाता है।
इसको ही शक्ति में रूपांतर करना कहा जाता है। माईंड पॉवर इज थॉट पावर। कोई भी विचार पर सोलह सेकण्ड आप एकाग्रता करो तो वह विचार सत्यता में परिवर्तित होता है। आफिस का काम ही कर रहे हो तो थोडा अलग अँगल से करना शुरू कर दो तो बुध्दि के विविध सेल्स काम करने लगेंगे। राईट ब्रेन पिक्चर्स को समझता है तो विज्युअलाईज करने की भी क्षमता अपने अंदर लाओ।
कई लोग मानते है कि मृत्यु जीवन का अंत है। लेकिन जब आप मानते है कि मृत्यु के बाद भी जीवन है, बेलिफ सिस्टम को पॉजिटीव बनाते है तो जीवन जीना अच्छा हो जाता है। अंधश्रध्दा मे नही जाओ। उलटा उसमे नुकसान है। श्रध्दा को सायंटिफिक बेस पर डेवलप करना है। -अनंत संभाजी
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बुध्दि का कमाल………..
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