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दुनिया भर में नारी शक्ति के लिए प्रेरणास्रोत थी दादी जानकी: दादी रतनमोहिनी - Shiv Amantran | Brahma Kumaris
दुनिया भर में नारी शक्ति के लिए प्रेरणास्रोत थी दादी जानकी: दादी रतनमोहिनी

दुनिया भर में नारी शक्ति के लिए प्रेरणास्रोत थी दादी जानकी: दादी रतनमोहिनी

मुख्य समाचार

– दादी जानकी की दिव्य स्मृति में बने शक्ति स्तंभ का किया अनावरण
– वैश्विक आध्यात्मिक जागृति दिवस के रूप में दादीजी की प्रथम पुण्यतिथि मनाई

शिव आमंत्रण,आबू रोड, 27 मार्च (निप्र)। दादी जानकी की प्रथम पुण्य तिथि पर श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया। दादी जानकी समस्त विश्व के लिए नारी शक्ति के लिए प्रेरणास्रोत थी। दादी का जीवन सच्चाई, सफाई और सादगी की मिसाल रहा। दादी हमेशा कहती थीं कि सखी री मैंने पाओ तीन रतन- बाबा, मुरली और मधुबन। दादी ने खुद के बल पर बाबा को साथी बनाकर अपने जीवन में त्याग, तपस्या और सेवा से विश्व के 120 देशों में राजयोग और आध्यात्मिकता का संदेश पहुंचाया।

उक्त उद्गार ब्रह्माकुमारीज संस्थान प्रमुख राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी ने व्यक्त किए। मौका था पूर्व मुख्य प्रशासिका दादी जानकी की प्रथम पुण्यतिथि का। शनिवार को दादीजी की पुण्यतिथि वैश्विक आध्यात्मिक जागृति दिवस के रूप में मनाई गई। इस दौरान संस्थान के वरिष्ठ पदाधिकारी सहित चंद लोग ही मौजूद रहे। साथ ही कोरोना गाइड लाइन का पालन किया गया।
संस्थान की अतिरिक्त स्प्रीचुअल हैड ईशु दादी ने कहा कि दादीजी के साथ बिताए अनमोल पल सदा याद आते रहेंगे। उनकी शिक्षाएं बीके भाई-बहनों का मार्गदर्शन करती रहेंगी। अफ्रीका देशों में ब्रह्माकुमारीज की निदेशिका बीके वेदांती बहन ने कहा कि दादी जानकीजी को परमात्मा पर विश्वास और आत्मबल इतना मजबूत था कि पहली बार अकेले ही विदेश यात्रा पर गईं थीं। वहां उन्होंने विपरीत परिस्थितियों में आध्यात्मिकता और राजयोग का संदेश लोगों तक पहुंचाया। उनकी मेहनत से लंदन में ग्लोबल को-ऑपरेशन हाऊस रिट्रीट सेंटर की स्थापना की गई जो आज हजारों लोगों के लिएआध्यात्म का केंद्र बन गया है। दादी कहती थीं कभी भी छोटा दिल नहीं करना चाहिए।

शक्ति स्तंभ पर पहुंचकर दादी को भावभीनी पुष्पांजली अर्पित की।

दादी के शब्द होते थे वरदान…
यूरोप में ब्रह्माकुमारीज की निदेशिका बीके जयंती बहन ने कहा कि  दादीजी के सानिध्य में बचपन से ही साथ रहने का मौका मिला। मैंने अपने जीवन में दादीजी की कई घटनाएं ऐसी देखीं हैं जब दादीजी ने जिसे जो आशीर्वाद दे दिया तो वह शब्द वरदान बन गए। बीके चक्रधारी बहन ने कहा कि दादीजी को परमात्मा पर इतना विश्वास था कि वह जो शब्द कहती थीं तो वह लोगों के लिए वरदान बन जाते थे। उनका जीवन बदल जाता था। इस दौरान उन्होंने दो सत्य घटनाओं को भी सुनाया। संस्थान के अतिरिक्त महासचिव बृजमोहन भाई, दादी की निजी सचिव रहीं बीके हंसा बहन ने भी अपने अनुभव सुनाए।
इस मौके पर संस्थान की प्रबंधिका बीके मुन्नी बहन,  सूचना निदेशक बीके करुणा, कार्यकारी सचिव बीके मृत्युंजय, वरिष्ठ राजयोग शिक्षक सूर्य भाई, महाराष्ट्र जोन की निदेशिका बीके संतोष बहन, ओआरसी गुरुग्राम की डायरेक्टर बीके आशा बहन मुख्य रूप से मौजूद रहे। संचालन बीके शारदा बहन ने किया।

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