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क्रिसमस और संगमयुग मे है समानता - Shiv Amantran | Brahma Kumaris
क्रिसमस और संगमयुग मे है समानता

क्रिसमस और संगमयुग मे है समानता

ओड़ीशा राज्य समाचार

भुवनेश्वर के कार्यक्रम मे बीके भगवान का विश्लेषण

शिव आमंत्रण, भुवनेश्वर। क्रिसमस डे के उपलक्ष्य में भुवनेश्वर के डिवाईन रिट्रीट सेन्टर में कार्यक्रम का आयोजन हुआ, जहां मुख्यालय से पहुंचे वरिष्ठ राजयोग प्रशिक्षक बीके भगवान ने सभी को पर्व का आध्यात्मिक रहस्य बताते हुए हर्षोल्लास से पर्व को मनाने की शुभकामनाएं दी। इस अवसर पर भुवनेश्वर सबज़ोन प्रभारी बीके लीना भी मुख्य तौर से वहां मौजूद रही।
इस मौके पर बीके भगवान ने क्रिसमस का आध्यात्मिक रहस्य बताते हुए कहा, की क्रिसमस असल में कलियुग अंत के समय और शिव अवतरण के अभी के संगमयुग का ही यादगार हैं। जैसे संगमयुग काल-चक्र के अंत के थोडा पहले आता हैं वैसे ही क्रिसमस भी साल के अंत से थोडा ही पहले आता हैं। क्रिसमस में यह माना जाता हैं कि एक सांता क्लोज नामक वृद्ध देहधारी लाल और सफेद कपडे पहने आते हैं। उसका मतलब यह है कि आसमां से बहुत दूर लाल रंग परमधाम का या ब्रह्मांड का है और सफेद रंग सूक्ष्म वतन का है। ठीक वैसे ही निराकार परमात्मा शिव एक वृद्ध तन ब्रह्मा बाबा का आधार लेते है। सांता क्लॉज भी गुप्त रीती से आधी रात में और चिमनी के रास्ते आते है। परमात्मा शिव भी चुपके से आते है। उन्होंने बताया, कि जब दुनिया की हालत बद्तर हो जाती है तब वे विश्व परिवर्तन अर्थ पतित दुनिया में अवतरित होते हैं। सांता क्लॉज सिर्फ बच्चों को उनके गुजरे हुए वर्ष के प्रदर्शन के आधार पर सौगात देते हैं जहां भगवान शिव अपने बच्चों पर वरदानों की वर्षा करते है और सर्व शक्तियां, अतिन्द्रीय सुख तथा स्वर्ग की सौगात उनके पुरुषार्थ के आधार पर देते हैं। पेड़ की चोटी पर जगमगाता तारा हैं शिव पिता का प्रतिक और छोटे छोटे स्टार है विश्व परिवर्तन के निमित्त ब्राह्मण आत्माये। क्रिसमस का पेड़ भी मनुष्य आत्मा रूपी कल्प वृक्ष का प्रतीक है। यह वृक्ष पिरामिड के आकार का बताते हैं जो दर्शाता हैं कि कैसे शुरुआत में जनसंख्या कम थी और फिर बढती ही गयी और इसीलिए कहते हैं मेरी क्रिस्मस ।
उपस्थित सभी ने गीत गाए, डांस भी किये, केक भी काटा और खुशियां मनाई।

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