पर्व-त्योहार और नए साल पर हम बड़े-बड़े संकल्प करते हैं। कुछ दिन उन पर अमल भी करते हैं। नए संकल्प के अनुसार हमारी दिनचर्या या आदत होती है। धीरे-धीरे समय के साथ हमारा वह संकल्प कमजोर पड़ने लगता है। एक दिन हम फिर से वही पुरानी दिनचर्या या जिंदगी जीने लगते हैं। इसके पीछे हम कभी गौर भी नहीं करते हैं कि आखिर क्यों उस संकल्प को मंजिल तक नहीं ले जा सके? क्यों उसे बीच में छोड़ना पड़ा? क्यों चंद दिनों के बाद हतोत्साहित हो गए? क्यों उसे पूरा करना हमें असंभव लगने लगा। दरअसल इसके समुचित पहलुओं पर नजर डालें तो एक बात निकलकर सामने आती है कि हम कोई भी नया संकल्प जल्दबाजी में, भावनाओं में आकर और उत्साह में आकर ले लेते हैं लेकिन वह पूरा कैसे होगा इसकी विधिवत प्लानिंग नहीं करते हैं। उस पर पर्याप्त अध्ययन और तैयारी नहीं करते हैं। जबकि होना यह चाहिए कि कोई भी नई आदत बनाने के लिए या हमारे द्वारा लिए गए किसी नए संकल्प को पूरा करने के लिए उसकी पूर्व प्लानिंग की जाए। उसे पूरा करने में किन-किन बाधाओं का सामना करना पड़ेगा और उन बाधाओं से कैसे निकलेंगे, किन परिस्थितियों में हमें उस संकल्प को साधने में सबसे ज्यादा संघर्ष करना पड़ता है, आदि बातों को गहराई से चिंतन के बाद एक डायरी में नोट करना जरूरी है। फिर पूरी तैयारी के साथ संकल्प करें और उसे पूरा करने में जी-जान लगा दें।
अपने श्रेष्ठ संकल्प को पूरा करने में लगा दें पूरी ऊर्जा
January 10, 2024 सम्पादकीयखबरें और भी