- समाज सेवा प्रभाग का चार दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन शुरू
- मूल्य आधारित सेवा द्वारा समृद्ध समाज की पुनर्स्थापना विषय पर आयोजन
शिव आमंत्रण, आबू रोड/राजस्थान। विज्ञान और आध्यात्मिकता दोनों का काम खोज करना है। जब यह दोनों एक साथ चलेंगे तो हम नई दुनिया की स्थापना कर पाएंगे। सत्य से बढ़कर कोई धर्म नहीं है। इस पावन भूमि पर हम सत्य की खोज करने आए हैं। ब्रह्माकुमारीज़ में आकर अध्यात्म और राजयोग मेडिटेशन की शिक्षा लेकर मेरे विचारों में सकारात्मकता बढ़ गई। पहले की अपेक्षा गुस्सा शांत हो गया। जब से सुबह मेडिटेशन करना शुरू किया है तो मन में असीम शांति की अनुभूति होती है। वाणी महाभारत करा देती है और यही वाणी मधुर संगीत बन जाती है।
उक्त उद्गार नई दिल्ली से आईं अनुसूचित जाति राष्ट्रीय आयोग की सदस्य डॉ. अंजू बाला ने व्यक्त किए। वह ब्रह्माकुमारीज़ के शांतिवन परिसर स्थित डायमंड हाल में आयोजित समाज सेवा प्रभाग के राष्ट्रीय सम्मेलन के शुभारंभ सत्र को संबोधित कर रहीं थीं। मूल्य आधारित सेवा द्वारा समृद्ध समाज की पुनर्स्थापना विषय पर आयोजित सम्मेलन में देशभर से छह हजार से अधिक समाजसेवी, रोटरी क्लब के पदाधिकारी भाग ले रहे हैं।
डॉ. अंजू ने कहा कि देश-विदेश में ब्रह्माकुमारीज़ संगठन एक मिसाल है कि इसकी बागडोर हमारी बेटियों ने ही संभाली है। कौन कहता है कि बेटियां नाम रोशन नहीं करती हैं ब्रह्माकुमारियां इसका साक्षात् उदाहरण है कि बेटियां जब कदम बढ़ाती हैं तो अपने साथ परिवार और देश का नाम रोशन करती हैं। दूसरों के लिए जीना ही जीना है। समाजसेवा का क्षेत्र भी दूसरों के लिए होता है।
यहां चरित्र निर्माण किया जा रहा है-
उत्तराखंड से आईं भगवानपुर विधायक ममता राकेश ने कहा कि यहां आकर खुद को भाग्यशाली महसूस कर रही हूं। ब्रह्माकुमारीज़ में चरित्र निर्माण की शिक्षा दी जा रही है जिसकी आज समाज में बहुत जरूरत है। ब्रह्मा बाबा ने जिस उद्देश्य के साथ इस संगठन की नींव रखी थी आज ब्रह्माकुमारी बहनें उस पावन उद्देश्य में सेवा में समर्पित रूप से जुटीं हैं। जनता की सेवा के लिए मैं शिक्षिका की नौकरी छोड़कर राजनीति में आई हूं। कलियुग के दौर में आज ब्रह्माकुमारीज़ के ज्ञान की बहुत आवश्यकता है। रामराज्य तब होगा जब हमारी बेटियां रात के अंधेरे में बिना किसी डर के निकलेंगी। इंसान को देवता बनाने के लिए चरित्र निर्माण का पाठ ये बहनें पढ़ा रहीं हैं।
संतुष्टता से आती है सुख-शांति-
अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका और समाजसेवा प्रभाग की अध्यक्ष राजयोगिनी संतोष दीदी ने कहा कि जीवन में इतनी उन्नति होने के बाद भी मनुष्य हताश हो रहा है क्योंकि जीवन में शांति-सुख की कमी है। राजयोग मेडिटेशन और अध्यात्म को जीवन में शामिल करने से सुख-शांति और संतुष्टता आती है। यदि जीवन में सबकुछ है और संतुष्टता नहीं है तो सुखी नहीं रह सकते हैं। संतुष्टता सर्वगुणों की जननी है। जीवन में प्रसन्नता आ जाती है। मनुष्य जीवन हीरे जैसा है, इसे सफल करना है। इच्छा कभी अच्छा नहीं बनने देती है। आनंदित नहीं होने देती है। यदि हम यह याद रखें कि मनुष्य जीवन मिला है यह सर्वश्रेष्ठ जीवन है और परमात्मा का शुक्रिया अदा करते रहें तो जीवन आनंदित हो जाता है। परमात्मा यही चाहते हैं कि जैसे मैं सुख का सागर हूं वैसे मेरे बच्चे भी सदा सुख पूर्वक रहें। दिल्ली की जोनल को-ऑर्डिनेटर बीके आशा दीदी ने राजयोग मेडिटेशन से गहन शांति की अनुभूति कराई।
राजयोग से सब संभव है-
प्रभाग के उपाध्यक्ष गुलबर्गा के प्रेम भाई ने कहा कि आप सभी को यहां बुलाने का मकसद है कि आप जानें कि ब्रह्माकुमारीज़ क्या करता है। हमारी अवधारणा क्या है। इस ईश्वरीय विश्व विद्यालय की बहनों जो भाषा नहीं जानती हैं फिर भी दूसरे प्रदेशों में जाकर सेवा करती हैं। यह सब राजयोग मेडिटेशन की शक्ति से ही संभव हो पाता है। महासचिव बीके निर्वैर भाई, अतिरिक्त महासचिव बीके बृजमोहन भाई ने भी विचार व्यक्त किए। मधुरवाणी ग्रुप के कलाकारों ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। प्रभाग के राष्ट्रीय समन्वयक बीके अवतार भाई ने स्वागत भाषण दिया। संचालन प्रभाग की अतिरिक्त राष्ट्रीय संयोजिका बीके वंदना दीदी ने किया। आभार मुख्यालय संयोजक बीके बीरेंद्र भाई ने माना।