सभी आध्यात्मिक जगत की सबसे बेहतरीन ख़बरें
ब्रेकिंग
देश-विदेश से पांच लाख लोग पहुंचे ब्रह्माकुमारीज़ मुख्यालय दिव्यांग सेवा के लिए एसबीआई ने प्रदान की ट्रेवलर गाड़ी दुनिया भर में दादी ने बढ़ाया नारी शक्ति का मान-मोहिनी दीदी दादी ने विश्वभर में पहुंचाया अध्यात्म-योग का संदेश शिविर में 381 रक्तवीरों ने किया रक्तदान आध्यात्मिक जागरूकता से समाज में परिवर्तन ला सकती है नारी एक-दूसरे को लगाएं प्रेम, खुशी, शांति और आनंद का रंग: बीके गीता दीदी
पाप की बिक्री………….. - Shiv Amantran | Brahma Kumaris
पाप की बिक्री…………..

पाप की बिक्री…………..

बोध कथा

एक बार कवि कालिदास बाजार में घूमने निकले। वहां उन्होंने एक स्त्री को एक घड़ा और कुछ कटोरियां लिए ग्रहकों के इंतजार में बैठे देखा। कालिदास यह देखकर परेशानी में पड़ गए। वह उस स्त्री के पास गए। उन्होंने वहां जाकर पूछा किबहन तुम क्या बेचती हो। उस स्त्री ने कहा मैं पाप बेचती हूं। मैं स्वयं लोगों से कहती हूं कि मेरे पास पाप हैं, मर्जी हो तो ले लो। लोग रुचि से ले जाते हैं। इस जबाव को सुनकर कालिदास उलझन में पढ़ गए। उन्होंने पूछा कि घड़े में कैसे पाप हो सकता है? स्त्री बोली, हां होता है, जरूर होता है। देखो , मेरे आठ घड़े में आठ पाप भरे हैं। बुद्धिमान, पागलपन, लड़ाई-झगड़े, बेहोशी, विवेक का नाश, सदगुण का नाश, सुखों का अंत औ नर्क में ले जाने वाला दुष्कर्म। और भी हैरानी में पड़ते हुए कालिदास ने पूछा, अरे बहन। इतने सारे पाप बताती हैं आप, तो आखिर इन घड़ों में है क्या? स्त्री बोली, शराब, वह शराब ही उन सभी पापों की जननी है। जो शराब पीता है, वह व्यक्ति इन आठ पापों का शिकार हो जाता है। कालिदास उस स्त्री की चतुराई को देखकर दंग रह गए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *