स्वामी विवेकानंद बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। बाल्यावस्था से स्वामी विवेकानंद को अध्यात्म के प्रति गहन रुचि थी। उनका जन्म पश्चिम बंगाल में कारस्थ परिवार में हुआ था। उनके पिता संस्कृत और फारसी भाषा के विद्वान थे। महज 25 वर्ष की आयु में स्वामी जी के पिता सन्यासी बन गए। माता जी देवों के देव महादेव की भक्त थीं। हर समय शिव भक्ति में लीन रहती थीं। अतः विवेकानंद जी को बचपन से ईश्वर में अगाध श्रद्धा थी। स्वामी जी स्वरं प्रतिदिन ईश्वर की भक्ति करते थे। रामकृष्ण परमहंस जी के संपर्क में आने के पश्चात स्वामी जी मां काली के उपासक बन गए। मां काली की कृपा-दृष्टि से स्वामी जी वेदान्त के विख्यात और प्रभावशाली गुरु बने। उनके विचार आज भी प्रासंगिक हैं। युवाओं को स्वामी जी के विचार जीने की नई राह देते हैं। स्वामी विवेकानंद जी के पद चिन्हों पर चलकर व्यक्ति अपने जीवन में ऊंचा मुकाम हासिल कर सकता है। आइए, स्वामी जी के अनमोल विचार जानते हैं-
स्वामी जी के अनमोल विचार… 1 संगति आप को ऊंचा उठा भी सकती है और रह आप की ऊंचाई से गिरा भी सकती है। इसलिए संगति अच्छे लोगों से करें।
2. उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति ना हो जाए। तुम्हें कोई पढ़ा नहीं सकता, कोई आध्यात्मिक नहीं बना सकता। तुमको सबकुछ खुद अंदर से सीखना है। आत्मा से अच्छा कोई शिक्षक नहीं है।
3. सब कुछ खोने से ज्यादा बुरा उस उम्मीद को खो देना जिसके भरोसे हम सब कुछ वापस पा सकते हैं।
4. पहले हर अच्छी बात का मजाक बनता है। फिर विरोध होता है। अंत में उसे स्वीकार कर लिया जाता है।
5. जिस प्रकार के वल एक ही बीज पूरे जंगल को पुनर्जीवित करने के लिए पर्याप्त है। उसी प्रकार एक ही मनुष्य विश्व में बदलाव लाने के लिए पर्याप्त है।
6. बहुत सी कमियों के बाद भी हम खुद से प्रेम करते हैं, तो दूसरों में एक कमी से कैसे घृणा कर सकते हैं।
7. अगर धन दूसरों की भलाई करने में मदद करें, तो इसका कुछ मूल्य है। अन्यथा ये सिर्फ बुराई का ढेर है। इससे जितना जल्दी छुटकारा मिल जाए, उतना बेहतर है।
जीवन को नई राह दिखाते हैं स्वामी विवेकानंद के विचार
January 11, 2024 बोध कथाखबरें और भी