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प्राकृतिक-यौगिक खेती से बदलेगी किसानों की तकदीर - Shiv Amantran | Brahma Kumaris
प्राकृतिक-यौगिक खेती से बदलेगी किसानों की तकदीर

प्राकृतिक-यौगिक खेती से बदलेगी किसानों की तकदीर

मुख्य समाचार


– पांच दिवसीय राष्ट्रीय यौगिक कृषि-वैश्विक कृषि का प्रकाश स्तंभ महासम्मेलन का समापन
– यौगिक कृषि द्वारा किसानों का सामाजिक, आर्थिक और मानसिक विकास विषय पर समापन सत्र आयोजित

एसडीएयू के कुलपति डॉ.आरएम चौहान संबोधित करते हुए।

शिव आमंत्रण, 20 सितंबर, आबू रोड/राजस्थान। ब्रह्माकुमारीज के शांतिवन मुख्यालय में चल रहे पांच दिवसीय राष्ट्रीय यौगिक कृषि-वैश्विक कृषि का प्रकाश स्तंभ महासम्मेलन का मंगलवार को समापन हो गया। पांच दिन देशभर से आए कृषि विशेषज्ञ, मेडिटेशन एक्सपर्ट और प्रगतिशील किसानों ने मंथन-चिंतन कर निष्कर्ष निकाला कि प्राकृतिक-यौगिक खेती से ही किसानों की तकदीर बदलेगी। अब समय आ गया है कि किसानों को फिर से अपनी प्राकृतिक, जैविक, यौगिक खेती की ओर लौटना होगा।
समापन सत्र सरदार कृषि नगर दांतीवाड़ा से आए एसडीएयू के कुलपति डॉ. आरएम चौहान ने कहा कि गेहूं और चावल के उत्पादन में आज हम विश्व में दूसरे नंबर पर हैं। साथ ही इन दोनों अनाज का निर्यात भी कर रहे हैं। जल्द ही हम इनमें प्रथम स्थान पर प्राप्त करेंगे। नई पद्धति बायोगैस प्लांट को किसान अपने खेत में लगाकर डबल लाभ प्राप्त कर सकते हैं। किसान खेत के साथ पशुपालन जरूर करें। जब किसान आत्मनिर्भर बनेंगे तो समाज और देश आत्मनिर्भर बनेगा। साथ ही अपनी कुल जमीन में से कुछ हिस्से में यौगिक खेती जरूर करें।
प्रभाग की अध्यक्षा बीके सरला दीदी ने कहा कि यौगिक खेती ब्रह्माकुमारीज द्वारा विकसित की गई एक नई पद्धति है। इसे लेकर संस्थान नित नए-नए शोध कार्य कर रही है। इसका लाभ लेकर आज हजारों किसान सफलतापूर्वक खेती कर रहे हैं।

कार्यक्रम में मंचासीन अतिथिगण।

ग्रामीणमहिलाएं समृद्धि के दीप जलाएं….
चौथे सत्र में पानीपत से आए हरियाणा सरकार के पूर्व कृषि मंत्री बचन सिंह आर्य ने ग्रामीण महिलाएं समृद्धि के दीप जलाएं विषय पर संबोधित करते हुए कहा कि हमारा वह महान देश है जहां माता सीता हुईं, गार्गी हुईं, जानकी हुईं। वर्तमान परिवेश पर नजर डालें तो पुरुषों के साथ महिलाओं को भी अपने आचरण में सुधार की जरूरत है। हमारे देश में पन्ना धाईं जैसे मां भी हुईं हैं। ब्रह्माकुमारीज में इन बहनों ने आध्यात्म के संदेश को गांव-गांव तक पहुंचा दिया यह इनकी शक्ति और साहस का ही कमाल है।
मुंबई से आए जियोलाइफ के सीएमडी विनोद लाहोटी ने कहा कि यौगिक खेती की शुरुआत आप गृह वाटिका के रूप में भी कर सकते हैं। जैसे यदि शरीर स्वस्थ है, रोग प्रतिरोधक क्षमता सही है तो बीमारियां कम आती हैं। इसी तरह यदि पौधों की रोग प्रतिरोधकता क्षमता ठीक है तो उसे बीमारियां कम लगती हैं और उत्पादन अधिक होता है। मैं दस साल से राजयोग मेडिटेशन का अभ्यास कर रहा हूं। इन दस साल में कई परिस्थितियां आईं लेकिन मैं कभी निराश नहीं हुआ। आज हमारी कंपनी द्वारा देशभर में यौगिक खेती के लिए बीज उपलब्ध कराए जाते हैं।

मैं अपने घर का दीपक बनूंगी-
गोधरा से आईं प्रभाग की जोनल को-ऑर्डिनेटर बीके सुरेखा दीदी ने कहा कि नारी वह शक्ति है जो अपना दीप जलाकर घर-परिवार का दीपक बन सकती है। प्रेम दिया, शक्ति दी, शुभभावना दी। जब हम आत्मा का दीपक जलाएंगे तो यह सब दीए जल जाएंगे। घर को श्रेष्ठ संस्कार देने वाली माताएं ही होती हैं। सभी माताएं यह संकल्प लेकर जाएं कि मैं अपने घर का दीपक बनूंगी। हमें परिवार को, समाज को रोशनी देनी है।

नारी में छिपी हैं अनंत शक्तियां-
हांसी से आईं प्रभाग की एक्जीक्यूटिव मेंबर बीके लक्ष्मी दीदी ने कहा कि नारी के अंदर अनंत शक्तियां छिपी हुई हैं जरूरत है तो केवल उन शक्तियों का जागृत करने की। आध्यात्म के द्वारा उन शक्तियों को फिर से जागृत कर सकते हैं। आध्यात्म से नारी फिर से शक्ति स्वरूपा बन सकती है। आध्यात्म का मतलब घरबार छोडऩे की जरूरत नहीं है। घर में रहते हुए ही खुद को आत्मा समझकर परमपिता परमात्मा को याद करना ही आध्यात्म है। मन को ईश्वर से जोडऩा ही राजयोग मेडिटेशन है।

डायमंड हॉल में मौजूद नागरिकगण। 

गुलाबो सपेरा ने साबित की अपनी प्रतिभा-
पानीपत से आए ज्ञानमान सरोवर के निदेशक बीके भारत भूषण ने कहा कि यदि महिलाएं ठान लें तो जीवन में कुछ भी कर सकती हैं। ऐसी ही एक राजस्थान की एक महिला हैं गुलाबो सपेरा। जिन्होंने कालबेलिया नृत्य से छोटे से स्तर से उठकर देशभर में नाम कमाया। उन्हें भारत सरकार की ओर से पद्यश्री दिया गया। एक महिला थीं सालूराम। उन्होंने अपने जीवन में इतने वृक्ष लगाए कि उन्हें लोग प्यार से वृक्ष माता कहने लगे। बाद में उन्हें राष्ट्रपति ने पद्यश्री से सम्मानित किया। यदि महिलाएं ठान लें तो कुछ भी कर सकती हैं। ऐसी सैकड़ों महिलाओं के उदाहरण देश में भरे पड़े हैं।
गोवा से आईं प्रभाग की सक्रिय सदस्य बीके दर्शना दीदी ने कहा कि  मेरे पति बहुत नशा करते थे बहुत प्रयास किए लेकिन उनका नशा नहीं छूटा। लेकिन जब उन्हें ब्रह्माकुमारीज आश्रम लाई तो उनका नशा छूट गया और पूरी तरह बदल गए। आज वह योगी बनकर दूसरों को ज्ञान सुनाते हैं। योग का प्रयोग मैंने अपनी खेती में किया और फसल की रक्षा हो गई।
इस दौरान संस्थान के कार्यकारी सचिव बीके मृत्युंजय, माधापुर से आए श्रीरामकृष्णा ट्रस्ट के मनोज सोलंकी ने भी अपने विचार व्यक्त किए। संचालन बिलासपुर से आईं बीके राखी दीदी और एसोसियट प्रो. डॉ. किरण रावल ने किया ने किया। आभार प्रभाग के मुख्यालय संयोजक बीके शशिकांत भाई ने किया।

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