सभी आध्यात्मिक जगत की सबसे बेहतरीन ख़बरें
ब्रेकिंग
शिविर में 325 रक्तवीरों ने किया रक्तदान सिरोही के 38 गांवों में चलाई जाएगी प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल परियोजना व्यर्थ संकल्पों से अपनी एनर्जी को बचाएंगे तो लाइट रहेंगे: राजयोगिनी जयंती दीदी राजयोगिनी दादी रतन मोहिनी ने किया हर्बल डिपार्टमेंट का शुभारंभ  मप्र-छग से आए दस हजार लोगों ने समाज से नशे को दूर करने का लिया संकल्प चार दिवसीय वैश्विक शिखर सम्मेलन का समापन वैश्विक शिखर सम्मेलन (सुबह का सत्र) 6 अक्टूबर 2024
शांति-धीरज महत्वपूर्ण……… - Shiv Amantran | Brahma Kumaris
शांति-धीरज महत्वपूर्ण………

शांति-धीरज महत्वपूर्ण………

बोध कथा
  • नए विचारों का जन्म प्रकृति के बीच एकांत और शांति के द्वारा ही संभव है, कुछ पल एकांत में रहे।

एक बार महात्मा बुद्ध अपने शिष्य आनंद के साथ कहीं जा रहे थे। राह में काफी चलने के बाद दोपहर में एक वृक्ष तले विश्राम को रुक गए और उन्हें प्यास लगी। आनंद पास स्थित पहाड़ी झरने पर पानी लेने गया लेकिन झरने में अभी-अभी कुछ पशु दौड़ कर निकले थे। जिससे उसका पानी गंदा हो गया। पशुओं की भागदौड़ से झरने में कीचड़ ही कीचड़ और सड़े पत्ते बाहर उभर कर आ गए थे। गंदा पानी होने के कारण आनंद पानी बिना पीए ही लौट आए। उसने महात्मा से कहा कि झरने का पानी निर्मल नहीं है। मैं पीछे लौटकर नदी से पानी ले आता हूं , लेकिन नदी बहुत दूर थी तो बुद्ध ने उसे झरने का पानी ही लाने को वापस लौटा दिया। आनंद थोड़ी देर में फिर खाली लौट आया। पानी अब भी गंदा था। पर बुद्ध ने उसे इस बार भी वापस लौटा दिया। कुछ देर बाद जब तीसरी बार आनंद झरने के पास पहुंचा तो देखकर चकित हो गया। झरना अब बिल्कुल निर्मल और शांत हो गया था। कीचड़ बैठ गया था और जल बिल्कुल निर्मल हो गया था। महात्मा बुद्ध ने उसे समझाया कि यही स्थिति हमारे मन की भी है। जीवन की दौड़ – भाग मन को भी छिन्न कर देती है। मथ देती है पर कोई यदि शांति और धीरज से उसे बैठा देखता रहे तो कीचड़ अपने आप नीचे बैठ जाता है और सहज निर्मलता का आगमन हो जाता है। हमें अपनी जिंदगी में भागदौड़ के बीच रोजाना कुछ पल अपने लिए भी निकालना चाहिए। इन पलों में शांति से एकांत में बैठकर अपनी समीक्षा करना चाहिए। विचारों की गति देखना चाहिए कि क्या मैं सही दिशा में जा रहा हूं। क्यों जीवन में बिना लक्ष्य के ही हम भागे चले जा रहे हैं। जीवन को समझना है तो एकांत और शांति में जाना होगा।

संदेश: दुनिया में जितने भी महापुरुष हुए हैं सभी ने वर्षों तक एकांत में रहकर, प्रकृति के बीच मौन रहकर साधना की और विश्व को नए सूत्र व सिद्धांत दिए। नए विचारों का जन्म एकांत, शांति में ही संभव है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *