शिव आमंत्रण,आबू रोड, छपरौला :- गौतमबुद्ध नगर उत्तर प्रदेश में कैमिकल फैक्ट्री के निदेशक जयनाथ मौर्य का जीवन राजयोग मेडिटेशन से कैसे बदला और क्या परिवर्तन आया, शिव आमंत्रण से विशेष बातचीत में उन्होंने अपने जीवन के अनछुए पहलुओं को उजागर किया। बता दें कि जयनाथ मौर्य पिछले 20 साल से इस कारोबार से जुड़े हैं। आइए, उन्हीं के शब्दों में जानते हैं जीवन परिवर्तनकारी अनुभव…
15 वर्ष पहले प्रजापिता ब्रह्माकुमारीका से जुडऩा हुआ, लेकिन पिछले 7 साल से इस आध्यात्मिक ज्ञान मार्ग में निरंतर अपनी सेवाएं दे रहा हंू। इस ज्ञान में आने से पहले अनेक देवी-देवताओं का भक्त बनते हुए कन्फ्यूजन रहता था। मेरे मन में विचार उठता था कि सभी देहधारी देवी-देवता महापुरुष किसी न किसी पर निर्भर है। परंतु सत्य क्या है, जिसके जवाब में हमें परमात्मा शिवबाबा का उत्तर मिला और मैं भगवान शिव का बन गया।
हमें जब परमात्मा शिव बाबा का परिचय मिला उसके बाद भी मैं निरंतर उनका महावाक्य इसलिए नहीं सुन पा रहा था कि हमारे रहने की जगह से ब्रह्माकुमारीका सेवाकेंद्र करीब दस किलोमीटर था। इससे रोज वहां पहुंच पाना मुश्किल था, लेकिन हमारी फैक्ट्री के करीब सेवाकेंद्र है, यह मुझे पता ही नहीं था। एक दिन मुझे सपना आया कि भगवान मुझे सपने में कह रहे हैं कि बच्चे तुम रोज मुरली क्यों नहीं सुन रहे हो। अगले दिन मैंने मार्केट में एक सफेद वस्त्रधारी ब्रह्माकुमारी बहन को देखा, तो मन में आया यहां कोई सेवाकेंद्र नहीं है फिर भी बहन यहां कैसे पहुंची। लेकिन उनसे किसी कारण से बात नहीं कर सका। फिर पांच दिन बाद मुझे किसी ने बताया कि आप सफेद ड्रेस में रहते हो एक सफेद ड्रेस वाली बहन यहीं पास में ओम शांति सेंटर में रहती है। मैं उनको ढूंढते जब सेवा केंद्र पर पहुंचा तब वह नहीं मिलीं। फिर मैं अगले दिन उस सेवाकेंद्र की बहनों को खोजते हुए पहुंचा। इसके बाद मैं रोजाना मुरली सुनने लगा। …और सेवाकेंद्र की जिम्मेदारी उठाई
तीन-चार दिन मुरली सुनने के बाद बहन ने बताया कि यहां की स्थिति ठीक नहीं है। मैं यहां छोडक़र कहीं और जाने वाली हूं। तब मैंने उनसे पूछ लिया यहां का खर्चा कैसे चलता है। तो उन्होंने नहीं बताया, लेकिन जब मैं रोज वहां जाने लगा तब मुझे वहां की आर्थिक स्थिति का आभास हो गया। इसके बाद मैंने संकल्प किया कि सेवाकेंद्र संचालन सहित सभी खर्च की जिम्मेदारी मैं उठाऊंगा।
परमात्मा की कृपा से बढ़ गया कारोबार
हमने परमात्म ज्ञान में सुन रखा था कि ज्ञानयज्ञ में अगर आप एक रुपया खर्च करेंगे, एक ईट मकान में लगाएंगे तो भगवान आपको इसके बदले पदम गुना देगा। इस बात पर मुझे पूरा यकीन था है और रहेगा। कुछ दिन बाद मैंने अपना नया मकान ब्रह्माकुमारी बहनों को सेवाकेंद्र चलाने के लिए भी सौंप दिया। क्योंकि हमारी इच्छा हमेशा रहती थी कि भगवान के लिए ब्रह्माकुमारीज संस्थान के लिए कुछ ना कुछ जरूर करूंगा। कुछ समय बाद हमें टचिंग होने लगी कि संस्थान के लिए हमें रोड के बगल में जमीन लेना चाहिए। तब अपना विचार मैंने अपनी बहनों को बताया तो उन्होंने कहा विचार तो श्रेष्ठ है करना चाहिए आपको। वह जमीन करीब तीस लाख का होगा, लेकिन हमारे पास उस समय मात्र डेढ़ लाख रुपये थे। फिर भी भगवान ने तीस लाख का सौदा करवा दिया। यह कोई चमत्कार से कम नहीं था। हमारे लिए भगवान ने पर्वत से राई बना दिया। कहां डेढ़ लाख रुपये और करीब 70 लाख का काम करवा दिया। फिर 2 साल के अंदर करीब 80 लाख की जमीन ली। इस तरह से परमात्मा पर निश्चय रखने से हमने दो-ढाई साल के अंदर डेढ़ लाख रुपये से करीब ढाई-तीन करोड़ का काम परमात्म कृपा से किया।
फैक्ट्री में सभी कुमार भाई ही रखे
हम अपने ब्रह्माकुमारीज के सभी भाई-बहनों से गुजारिश करना चाहूंगा कि जितना आप अपने छोटे से परिवार के लिए कमाने का जद्दोजहद करते हैं उसका 10 परसेंट भी अगर भगवान के कार्य में आप लगाते हैं तो आपको उसका कई गुना रिटर्न मिलेगा। अपने केमिकल फैक्ट्री में जो भी स्टाफ रखता हूं सब कुमार भाई जिसके साथ पवित्रता के साथ भोजन बनाता हूं और सब मिलकर खाते है। इस ज्ञान में आने से पहले भी हमारा भोजन शाकाहारी ही हुआ करता था। लेकिन पिछले 7 साल से बिल्कुल सात्विक बिना प्याज लहसुन का भोजन कर रहा हूं।
बाबा की याद से ब्रह्मचर्य का पालन हो गया आसान, जीवन बन गया पवित्र
परमपिता परमात्मा शिव बाबा की शक्ति और आशीर्वाद से अब पवित्र और ब्रह्मचर्य का जीवन जीना हमारे लिए बहुत ही आसान हो गया है। इसके पीछे कारण यह है कि जैसे हमें कोई कहे कि मैं तुम्हें एक लाख रुपये दूंगा तुम पूरी रात बर्फ वाले पानी में खड़े रहो तो मैं खुशी-खुशी एक लाख के लोभ में ठंड में पूरी रात गुजार लूंगा। तकलीफ नहीं होगी उसी प्रकार भगवान ने कहा है कि तुम अगर ब्रह्मचर्य जीवन जीते हो तो मैं तुम्हें जन्नत का सुख दूंगा। इस लोभ ने हमें ब्रह्मचर्य जीवन को आसान कर दिया है।
कभी खुद को मालिक नहीं समझता
मेरी उम्र 45 साल है और आज भी रोजाना ठंडे जल से हाथ पांव धोकर बाबा की याद में सोता हूं तो कभी गंदे स्वप्न भी नहीं आते, यह मेरा अनुभव है। अपने कारोबार में मैं कई कुमारों के साथ हमजोली बनकर काम करता हूं और करवाता हूं। उन्हें फील नहीं होने देता हूं कि मैं मालिक हूं। जरूरत पडऩे पर डांट-फटकार का नाटक भी करना पड़ता है लेकिन गुस्सा करने की क्रोध करने की असल में जरूरत नहीं होती है। एक परिवार की तरह मैं अपने कारोबार को चलाता हूं।