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आत्मा का भान आने से हम बनते है निर्भय - Shiv Amantran | Brahma Kumaris
आत्मा का भान आने से हम बनते है निर्भय

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मलेशिया के ऑनलाइन कार्यक्रम में व्यक्त विचार

शिव आमंत्रण, कुआलालुंपुर। मलेशिया के एशिया रिट्रीट सेंटर द्वारा न्यू कॉन्शसनेस फॉर ग्रेट कंजक्शन ऑफ टाइम विषय पर ऑनलाइन इवेंट ऑर्गनाइज़ किया गया जिसमें ऑस्ट्रेलिया से बीके चार्ली हॉग, मलेशिया से सुप्रसि़द्ध इन्वायरमेंटल साइंटिस्ट प्रोफेसर डॉ. कन्नन नारायणन, एआरसी की निदेशिका बीके मीरा मुख्य वक्ता रहीं।
इस मौके पर बीके चार्ली ने कहा, मै शरीर नही आत्मा हूं, मै आत्मा अविनाशी हूं, मै आत्मा अजर-अमर हूं यह बाते ध्यान में रखो, मन मे दोहराते रहो। मृत्यु का जो भय है वह शरीर के भान से आता है। शरीर को चलानेवाली शक्ति आत्मा है यह समझ में आया तो हम शक्तिशाली बनते है, खुशी की प्राप्ति होना शुरू होता है, दिनचर्या सेट होती है।
इन्वायरमेंटल साइंटिस्ट प्रोफेसर डॉ. कन्नन नारायणन ने कहा, हम शरीर नही, शरीर से परे आत्मा है यह समझ में आने के बाद बहुत सारी समस्याओं से हम निजात मिलता है।
बीके मीरा ने कहा, सच मे मै कौन हूं? जब हम अपनी पहचान दूसरों को देते है तो हम उनको अपना नाम, पता वगैरा देते है। शारीरिक पहचान देते है। वही मै हूं या अलग हूं? थोडा सोच लीजिये।
डॉ. स्टीफैनी ने कहा, ये जो जगत् है वह सत्य नही है। यह जगत उस पवित्र जगत् की सिर्फ छाया है। वह जगत् जिसको स्वर्ग कहते है वह बहुत ही अलग और अकल्पनीय है। हम समझते यह अच्छा है लेकिन अनेक गलत चीजे इसमे है, यह दोषों से भरा हुआ है।

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