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भगवान का साथ-ऐसी मृत्यु हर एक की हो - Shiv Amantran | Brahma Kumaris
भगवान का साथ-ऐसी मृत्यु हर एक की हो

भगवान का साथ-ऐसी मृत्यु हर एक की हो

बोध कथा

एक लडक़ी चर्च में जाती है और फादर से कहती है मेरे पिताजी बहुत बीमार हैं, किसी भी वक्त मौत हो सकती है, क्या आप मेरे घर आ सकते हो? फादर कहते हैं हां, क्यों नहीं मैं आता हूं। जब फादर घर पहुंचते हैं, तो वहां एक बुजुर्ग व्यक्ति बिस्तर पर लेटा मिलता है और सामने एक खाली चेयर रखी होती है। पादरी को लगता है शायद मेरे लिए चेयर रखी है, तो वह पूछता है कि आपको पता था मैं आने वाला हूं। बुजुर्ग ने कहा मुझे तो पता ही नहीं कि आप आने वाले हो। अच्छा! तो चेयर क्यों रखी हुई है? बुजुर्ग बोला- आप बैठो, मैं एक राज की बात बताता हूं। ये चेयर वाली बात मैंने अपनी बेटी को भी नहीं बताई। मैं रोज चर्च जाता और प्रार्थना करता था लेकिन मन नहीं लगता था केवल एक दिखावा था, एक ढोंग था। अंदर से एक खालीपन था। एक बार अपने मित्र से मैंने कहा कि मैं भगवान से तो बहुत दूर हूं। केवल दिखावा मात्र है, मैं क्या करूं? तो मित्र ने कहा तुम अपने बिस्तर के सामने एक खाली चेयर रख दो और सोचो कि यह भगवान बैठा हुआ है। उससे अपने दिल की सारी बातें बताओ, तबसे मैंने ये काम चालू किया रोज दो-तीन घंटा मैं खाली चेयर रखता हूं, सोचता हूं कि भगवान है, इससे मैं बात करते रहता हूं। तब से मेरा जीवन बहुत खुशमय हो गया है। इस घटना के बाद एक दिन वह लडक़ी फादर से फिर से मिलती है। फादर उससे पूछते हैं पिता जी कैसे हैं? वो कहती है पिताजी ने कल रात को ही शरीर छोड़ दिया। फादर पूछते हैं उनकी मृत्यु कैसे हुई और मन की स्थिति कैसी थी। उसने कहा कि पिताजी जब गुजर रहे थे तो उन्होंने मुझे बुलाया, गले लगाया और खाली चेयर के पास जाकर उस पर माथा रख दिया। बस वहीं शरीर छोड़ दिया, आत्मा निकल गई। यह सुनते ही फादर मन ही मन कहते हैं कि ऐसी मृत्यु हर एक की हो।

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