ब्रह्मा बाबा स्मृतिदिन पर बीके शान्ति के विचार
शिव आमंत्रण, गुमला। झारखंड के गुमला में ब्रह्माकुमारीज़ संस्था के साकार संस्थापक पिताश्री ब्रह्मा बाबा के 52वीं पुण्य स्मृति दिवस पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें 8 दशकों से ब्रह्माकुमारीज के द्वारा किए जा रहे सामाजिक एवं नैतिक उत्थान के कार्य को याद किया गया। सेवाकेंद्र प्रभारी बीके शांति ने स्मृति दिवस पर प्रकाश डालते हुए कहा, कि जिनकी दृष्टि सृष्टि बदल देती थी, जिनकी आवाज रूहानियत बिखेरती थी, उनके कर्मों में सिद्धि का तिलिस्म था। उन्हीं का नाम नवयुग निर्माता प्रजापिता ब्रह्मा था। प्रजापिता ब्रह्मा ने 18 जनवरी 1969 में अपनी साकार देह का त्याग कर संपूर्ण और संपन्न स्थिति को प्राप्त किया। उनका स्मृति दिवस हमें सशक्त और समर्थ बनने तथा उनके दिव्य कर्तव्य एवं जीवन चरित्रों का स्वरूप बनने की प्रेरणा देता है।
दीदी ने कहा, कि वे योगियों में शिरोमणि थे और गुणों से भरपूर भी थे। परंतु विशेष बात यह है कि वह दूसरों में गुण भरने में, उन्हें वरदान देने में, उनमें योग्यता लाने, उनकी उन्नति में खुश होने, उनको संरक्षण, स्नेह व सहयोग देने में भी कलावान थे। बाबा का शरीर पांच तत्वों से ही गढ़ा हुआ था, तथापि वह एक चुंबकीय प्रभाव से आत्माओं को अपनी ओर खींचते थे।
कर्नल नीलांबर झा, भाजपा जिलाध्यक्ष अनूप अधिकारी, एराउस के निदेशक फादर अनुरंजन पूर्ति और सेवाकंद्र प्रभारी बीके शांति ने अपना वक्तव्य दिया।