भगवान शिव है निराकार। ब्रह्मा तन के आधार से अवतरीत होते ही वह सृष्टि के आदि-मध्य-अंत का ज्ञान देते है और एक यज्ञ स्थापन करते है। उसका नाम रखते है राजस्व अश्वमेध अविनाशी गीता ज्ञानयज्ञ। इस यज्ञ में ज्ञान की धारणा करने के बाद साधारण मनुष्य देवता रूप धारण करते है। इस दुनिया में ऐसा कोई भी ज्ञान नही होगा जो धारण करते ही उसका स्वरूप बन जाए। इसका कारण भगवान शिव आत्मा के पिता होने के कारण जैसा बताते है वैसे उसका श्रृंगार भी करते जाते है। उसको अलग अलग शक्तियां प्रदान करते जाते है। सिर्फ पिता ही नही, टीचर और सद्गुरू भी है। टीचर के रूप में ज्ञान देते है और जो रास्ता बताते है उसी रास्ते से लेकर भी जाते है। बाकि आप लौकिक दुनिया मे जाओ तो यह तीनो संबंध एक साथ नही मिल सकते। ब्रह्मा तन लेने के बाद आत्माओं को माता-पिता की भी पालना मिलती है।
ब्रह्मा के तन का आधार लेने के बाद जो भी वह करता है वह सब अतुलनीय होता है। कारण कोई धर्मपिता, लौकिक मातापिता या गुरू इसमे से कुछ भी नही कर सकते। कारण आत्मा की महीनता और उसका श्रृंगार केवल वही जानता है। उसकी जो ज्ञान की पढ़ाई है वह भी बेहद की है और वह जो वर्सा देता है वह भी बेहद का है। पढ़ाई से फरिश्ता-देवता बनेंगे, वह भी ढ़ाई हजार वर्ष। कम बात है? देवता बनने के लिए कुछ हथियार-पंवार भी नही चाहिए, सिर्फ उसे याद करते जाओ, बनते जायेंगे। इसलिए ‘मनुष्य से देवता, किये करत ना लागी वार’ बोलते है। कितना सिंपल? फिर भी लोग यह सच है या नही, भगवान पत्थर मे है, मूर्ति में है, माटी में है या आकाश में है -ढूंढ़ते जा रहे है। सामने जो बताये जा रहे है उसे छोड सब कुछ कर रहे है। भक्ति की आदत छूटती ही नही। कई तो मै ही परमात्मा या मै ही भगवान बोल रहे है। ऐसे बोलना या उसे सर्वव्यापी कहना यह सबसे बडा पाप है।
कई तो प्रमाण मांगते है। अब आप आत्मा हो, शरीर को आत्मा धारण करती है तो वह जीवात्मा कहा जाता है। आत्मा का स्वरूप अतिसूक्ष्म लेकिन अति शक्तिशाली है इसलिए इतना बडा शरीर वह धारण करती है, चलाती है, उससे अलग अलग सेवा लेती है। आत्मा शरीर के द्वारा कर्म करती रहती है और जब कर्म खतम् होता है तो उस शरीर में एक क्षण भी नही रूकती, फटाक् से निकलती है और दूसरा शरीर धारण करती है जहां उसका कर्म है। हम शरीर होते तो आत्मा शरीर छोडने के बाद शरीर को जल्द से जल्द जलाया क्यों जाता है? नही जलाया तो उसका सडना शुरू हो जाता है। कई क्षणों में मृत्यु होनेेवाले व्यक्ति की आत्मा को पकडने के लिए अमरिका में सायंटिस्टो ने एक प्रयोग किया। उसको शीशाबंद डिब्बे में डाला लेकिन शीशा तोडकर आत्मा निकलकर चली गई। निकलते समय किसी को दिखाई नही दी लेकिन जहां से निकली वहां एक छोटा छेद हुआ था। वैसे ही परमात्मा का है, प्यार से उसको याद करेंगे तो वह आकर अपना कार्य करता रहता है, वह दिखाई तो नही देगा लेकिन वह आने की खुशी आत्मा को होगी। वह आनंद, प्रेम, सुख, शांति, शक्ति आदिसे भरपूर होगा और वह भरपूरता उसके खुशनुमा चेहरे से ही मालूम पडेगी। बताना नही पडेगा। आप ही उसे पूछेंगे कि आपको ऐसा क्या मिला है जो आप इतने खुश नजर आ रहे हो?
कोरोना वायरस ने क्या किया? दिखाई देता था। अब तिसरा जागतिक युध्द छिड गया तो क्या होगा। वह अचानक होगा और तब कुछ भी करने का अवसर नही होगा। -अनंत संभाजी
===आते ही करते है यज्ञ की स्थापना===
February 13, 2021 सच क्या है
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Very nice