- आर्थिक और सामाजिक-आध्यात्मिक विकास के लिए सिंधी समागम
- मनमोहिनीवन में सिंधी सम्मेलन जारी
शिव आमंत्रण, आबू रोड। ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान के मनमोहिनीवन स्थित ग्लोबल ऑडिटोरियम में चल रहे सिंधी सम्मेलन में मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी ने शिरकत की और देशभर से आए लोगों को आशीर्वचन दिए। इस दौरान सिंधी समाज की ओर से दादीजी का अभिनंदन, सम्मान किया गया। आर्थिक और सामाजिक-आध्यात्मिक विकास के लिए सिंधी समागम विषय पर आयोजित सम्मेलन में रायपुर से आए शदाणी दरबार पीठाधीश्वर संत डॉ. युधिष्ठिर लाल महाराज ने कहा कि सिंधी समाजजन आर्थिक उन्नति भी करें और आध्यात्मिक उन्नति भी करें। शरीर नाशवान है लेकिन ब्रह्म सत्य है। साधना के लिए भी समय निकालते रहें। सिंध की भूमि सेवाभाव की भूमि है। धर्म की खातिर ब्रह्मा बाबा सब छोड़कर यहां चले आए। धर्म के बिना धन बेकार है।
संस्थान के कार्यकारी सचिव डॉ. बीके मृत्युंजय भाई ने कहा कि आज देशभर से आए सभी सिंधी भाई-बहनों को देखकर बहुत खुशी हो रही है। आप सभी अपने घर में अपने पिता परमात्मा के घर में आए हैं और आगे भी आते रहें। राजयोग मेडिटेशन को जीवन में अपनाएं और आप खुद में आश्चर्यजनक बदलाव पाएंगे। राजयोग के कमाल के आज लाखों लोग साक्षी हैं।
समाज को आध्यात्मिकता से ही बचाया जा सकता है-
जयपुर के वरिष्ठ पत्रकार राजेश असनानी ने कहा कि पूरे विश्व में करीब चार करोड़ सिंधी रहते हैं। सिंधी की अपनी भाषा और पहनावे के कारण विशेष पहचान है। ब्रह्माकुमारीज़ के संस्थापक दादा लेखराज भी सिंधी थे, जिन्होंने विशाल सोच के साथ ब्रह्माकुमारीज़ की नींव रखी। बाद में उन्हें दिव्य नाम प्रजापिता ब्रह्मा बाबा दिया गया। संस्थान की सभी वरिष्ठ दादियां भी सिंधी समाज से हैं। सिंधी समाज की भाषा, बोली पर हमें फक्र करने की जरूरत है। आज के युवाओं को सिंधी इतिहास पढ़ाने की जरूरत है। मैं बचपन में इस संस्था में आया था तब से यहां से मेरा गहरा जुड़ाव है। समाज को सिर्फ आध्यात्मिकता से ही बचाया जा सकता है। आत्मा-परमात्मा का अनुभव ब्रह्माकुमारीज़ में कराया जाता है।
चार विषयों में दिया जाता है राजयोग का ज्ञान-
कृषि एवं ग्राम विकास प्रभाग के उपाध्यक्ष बीके राजू भाई ने कहा कि यहां के ज्ञान के मुख्य चार आधार स्तंभ हैं- ज्ञान, योग, धारणा और सेवा। इन चार विषयों के आधार पर ही राजयोग का ज्ञान दिया जाता है। यदि हमें पवित्र दुनिया में जाना है तो जीवन में पवित्रता का व्रत धारण करना होगा। पवित्रता ही पवित्र दुनिया का आधार है। ब्रह्मा बाबा के 18 जनवरी 1969 में अव्यक्त होने के बाद राजयोगिनी दादी प्रकाशमणि को संस्था की मुख्य प्रशासिका बनाया और यह दिनोंदिन आगे बढ़ती गई।
और मां का बदल गया जीवन-
वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका राजयोगिनी बीके शीलू दीदी ने कहा कि जब मैं दस साल की थी तो मेरी मां को मुंबई में ब्रह्माकुमारीज़ के बारे में पता चला। यहां आध्यात्मिक ज्ञान सुनकर मां का जीवन पूरी तरह बदल गया। बचपन में मैं भी मां के साथ सेवाकेंद्र पर जाती थी और मेरा भी झुकाव हो गया। कुमार अरोड़ा, रिया अरोड़ा ने नृत्य पेश किया। बीके पुष्पा बहन ने स्वागत भाषण दिया। संचालन जयपुर की वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका बीके चंद्रकला दीदी ने किया। स्वागत गीत मधुरवाणी ग्रुप ने पेश किया। युवाओं ने ब्रह्मा बाबा के जीवन पर आधारित नुक्कड़ नाटक की प्रस्तुति दी।