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राजयोग मेडिटेशन से त्रस्त जीवन हो जायेगा मस्त - Shiv Amantran | Brahma Kumaris
राजयोग मेडिटेशन से त्रस्त जीवन हो जायेगा मस्त

राजयोग मेडिटेशन से त्रस्त जीवन हो जायेगा मस्त

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आयुष मंत्री श्रीपाद येस्सो नाईक ने दिया वेबीनार में विचार

शिव आमंत्रण, माउण्ट आबू। ब्रह्माकुमारी संस्थान के मेडिकल प्रभाग द्वारा मेडिकल और पैरामेडिकल प्रोफेशनल्स के लिए अवेकनिंग टू अ न्यू वे ऑफ हीलिंग ऑनलाइन वेबसीरिज के उद्घाटन में ब्रह्माकुमारीज संस्था की अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी, महासचिव बीके निर्वैर समेत देश के प्रतिष्ठित चिकित्सा विद्वान शामिल हुए।
इस मौके पर देश के आयुष मंत्री श्रीपाद येस्सो नाईक, ने कहा कि मेडिटेशन के द्वारा अनुभूतियों की मदद से हर व्यक्ति सशक्त अनुभव करे। मेडिटेशन या ध्यान पुरातन काल से व्यक्ति के सशक्तिकरण का सर्वश्रेष्ठ माध्यम रहा है। मुझे विश्वास है कि ब्रह्माकुमारी द्वारा सिखाया जानेवाले सहज राजयोग मेडिटेशन से सभी का त्रस्त जीवन सहज ही मस्त हो जायेगा। मै आशा करता हूं कि इस तीन मास चलनेवाले ऑनलाईन योग सत्र से आप के त्रस्त जीवन मे ज्ञान का प्रकाश और मेडिटेशन का बल भरे ताकि आप वर्तमान परिस्थितियोंं का सामना कर सकें।
महासचिव बीके निर्वैर ने कहा, अपने जीवन मे मन-वाणी-कर्म से पवित्रता को धारण करो। पवित्रता सिर्फ एक बात की नही है। ओवरऑल एक लाईफ स्टाईल। जहां पवित्रता है वहां शांति है, पवित्रता है वहां देवत्व है, जहां पवित्रता है वहां पर आपस में बहुत रूहानी प्यार रहता है।
ग्लोबल हॉस्पिटल के प्रताप मिड्ढा ने कहा, मुझे आशा और विश्वास है कि आनेवाले तीन महिनों में परिस्थिती का पूरा लाभ उठायेंगे और अपने आप को ऐसा इक्विप करेंगे एक ऐसे टूलसे जिसमें कोई कॉस्ट नही इनवॉल्व है, लेकिन उसके डिविडंडस् बहुत है, उसका फायदा बहुत है।
अनिल जैन ने कहा, कोई भी अच्छा संगीत सुने, अच्छी किताबें पढ़े, कुछ अच्छी सामाजिक गतिविधियाँ करे, या किसी भी तरीके से यदि कोई आंतरिक शांति प्राप्त करने में सक्षम होता है तो इसे आध्यात्मिक अभ्यास कहा जाता है। इसलिए मुझे यकीन है, कि अगर कोई इस साधना का पालन करेगा तो वो अच्छी स्थिति में होंगे। इन व्यक्तियों की प्रकृति ठीक होने की क्षमता तेज होगी और वे तनाव और चिंता की स्थिती में स्थिर रहेंगे।
दादी रतनमोहिनी ने कहा, परमात्मा द्वारा जो बल प्राप्त किया जाता है वह और किसी से प्राप्त नही किया जा सकता। यह निश्चय हो कि अपने को आत्मा समझ उसके वास्तविक स्वरूप को याद करने से ही आत्मिक शक्ति प्राप्त होती है।

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