लगभग 200 वर्ष पूर्व जापान में एक ऐसा योगी रहता था नित कहता था जागो! नींद को त्यागो, जागो! वहां के सम्राट ने उस योगी की ख्याति सुनी और उसे राजमहल बुलाया, कहा कि हमारे राजकुमार आपके प्रशिक्षण में जीवन की कुछ बातें सीखे तो आप उसे यहीं रहकर सिखाओ। योगी कहता है कि यदि राजकुमार को कुछ सीखना होगा तो उसे मेरे पास आना होगा। मैं उसके पास नहीं आऊंगा। मैं उसे अपने ढंग से सिखाऊंगा। इसमें कितना भी समय लग सकता है ये निर्भर करता है उसकी प्रतिभा पर एक साल, दो साल या और अधिक। जो मैं कहूंगा उसे करना होगा और बीच में छोड़ कर नहीं आ सकता है। अगर ये शर्त मंजूर है तो ही मैं सिखाऊंगा। वो राजा मान जाता है और राजकुमार योगी के आश्रम में पहुंचता है। आश्रम बहुत छोटा है, छोटी सी कुटिया। आते ही वो योगी उसे कहता है कि जो मैं तुमसे कहूंगा वो तुम्हें करना होगा और उसे कहा तुम्हें अपने आप को बचाना है मैं लकड़ी की नकली तलवार से तुम पर वार करुंगा और मैं कभी भी वार कर सकता हूं। तुम खाना खा रहे हो, झाड़ू लगा रहे हो या आश्रम की कोई भी सेवा कर रहे हो कुछ भी कर रहे हो किसी भी समय मैं तुम पर वार कर सकता हूं। ये सुनकर राजकुमार घबरा जाता है और कहता है मैं यहां तलवार सीखने नहीं आया हूं। जीवन के पाठ सीखने आया हूं। वो योगी कहता है यही मेरा ढंग है अगर तुम्हें कुछ सीखना है तो यह करना पड़ेगा अगले एक हफ्ते तक वो राजकुमार इतनी मार खाता है वो लकड़ी की तलवार बार-बार चलती है वो कोई काम कर रहा होता है पीछे से योगी आता है और जोर से उसे मारता है। हड्डी- पसलियां दुखने लगती हैं। धीरे धीरे वो जागृत रहने लगता है कुछ भी करते उसे ख्याल है कि कभी भी वार हो सकता है। एक ढाल वो रख लेता है अपने पास। धीरे धीरे तीन मास हो जाते हैं अब एक भी वार उसे नहीं लगता है क्योंकि अब हमेशा जगा हुआ है। गुरु आते हैं कि तुम्हारा पहला पाठ पूरा हुआ, अब दूसरा पाठ है कि अब मैं तब आक्रमण करूंगा जब तुम नींद में होंगे। राजकुमार कहता है सोये हुए मुझे कैसे पता चलेगा कि आप आ रहे हो। योगी कहता है तुम्हें पता करना होगा। वो जैसे सोने जाता है आक्रमण होता है एक हफ्ते तक बहुत बुरी हालत होती है परन्तु धीरे-धीरे वो सोते हुए भी जाग्रत है।
जीवन में संपूर्ण जागृति हो बेहोशी नहीं
November 27, 2020 बोध कथाखबरें और भी