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खुशनुमा जीवन के लिए तन के साथ मन का नृत्य भी जरूरी… - Shiv Amantran | Brahma Kumaris
खुशनुमा जीवन के लिए तन के साथ मन का नृत्य भी जरूरी…

खुशनुमा जीवन के लिए तन के साथ मन का नृत्य भी जरूरी…

शख्सियत

आस्था दीक्षित एक बेहतरीन अदाकारा के साथ नृत्यांगना भी हैं जो दुनिया के कई देशो में सूफी कलाम पर आधारित नृत्य कार्यक्रम पेश कर चुकी हैं। वह अपनी अथक मेहनत और लगन का सफलतम परिणाम का श्रेय राजयोग मेडिटेशन को देती हैं।

शिव आमंत्रण आबू रोड। नृत्य एक मानवीय अभिव्यक्तियों का रसमयी प्रदर्शन कला है। यह संसार की सार्वभौमिक कला भी है। जिसका जन्म मानव जीवन के साथ हुआ है। भारतीय संस्कृति एवं धर्म की आरंभ से ही जीवन नृत्य से जुड़ा है। पत्थर के समान कठोर व दृढ़ प्रतिज्ञ मानव ह्रदय को भी मोम सदृश पिघलाने की शक्ति नृत्य कला में है। इसी मनमोहक कला को विश्व रंगमंच पर प्रस्तुत कर एक कलाकार ने दुनियाभर में करोड़ों का दिल जीता है। जिनका नाम है आस्था दीक्षित। भारतीय मूल की आस्था का जन्म अमेरिका के लॉस एंजिल्स में हुआ। वह महान सूफी फकीरों के कलाम (काव्य) की जीवंत प्रदर्शन कर अपनी नृत्य कलाओं से भाव-विभोर करने वाली बेहतरीन नृत्यांगना हैं।
ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान के आबू रोड शांतिवन परिसर में एक कार्यक्रम के दौरान शिव आमंत्रण से खास बातचीत में उन्होंने अपने जीवन से जुड़े कई पहलुओं पर बात की। साथ ही अपनी सफलता के राज बताए। उन्हीं के शब्दों में जाने अब तक का सफर…

भारत की मिट्टी से है विशेष प्यार
आस्था ने कहा मेरे मात-पिता भारतीय हैं। मैं अमेरिकन नागरिक हूं। फिर भी मुझे भारत की मिट्टी से बहुत प्यार है। मैं हमेशा भारतीय संस्कृति से जुड़ी रहती हूं। मेरी पढ़ाई यूसए में ही हुई। कंप्यूटर इंजीनियर की डिग्री ली है। लेकिन अभिनय में बचपन से ही रुचि रही है। मेरी सफलता में माता-पिता का बड़ा योगदान है। मेरे एक्टिंग और डांसिंग का बेजोड़ सम्मिश्रण मुझे दक्षिण भारतीय फिल्मों के अन्य अभिनेत्रियों से अलग करता है। चंद्रहास फिल्म की मुख्य भूमिका और पेलैना कोथालो में सहायक भूमिका निभाई थी। बता दें कि आस्था ने दो साल तक संगीत नाटक अकादमी के तहत कत्थक नृत्य के लिए कत्थक केंद्र के प्रतिनिधि के रूप में काम किया।

इन महान सूफी संतों के कलाम पर आधारित करती हैं नृत्य
आस्था बताती हैं कि मैं अब तक अमीर ख़ुसरो, बुल्ले शाह, ख्वाजा गुलाम फरीद, ज़हीन, नज़ीर अकबराबादी, सुल्तान बहू, तुरब अली शाह जैसे हस्तियों के कलामों से दुनिया के कई देशों में तथा भारत के कई शहरों में जहान-ए-ख़ुसरो सूफी संगीत समारोह के लिए नृत्य किया है।
विश्व प्रसिद्ध सिनेमा जगत के नृत्य गुरु मुजज्फर अली, बिरजु महाराज जैसे महान कलाकारों के साथ भी शास्त्रीय रचनाओं, गजल, कव्वाली पर आधारित कई बड़े प्रोग्राम को कोरियोग्राफ किया है। जहांं कथक नृत्य के साथ दक्षिण भारतीय फिल्मों में भी पौराणिक कथा आधारित अभिनय किया है।
जहां-ए-खुसरू विश्व सूफी संगीत समारोह, हुमायूं मकबरा दिल्ली, दिलकुशा पैलेस लखनऊ, लीड एक्ट्रेस / डांसर इन म्यूजिकल प्ले बादशाह रंगीला, दिल्ली एनसीआर। शंघाई वल्र्ड एक्सपो फेस्टिवल ऑफ इंडिया चीन, विश्व संस्कृति महोत्सव, बर्लिन जर्मनी। बौद्ध समारोह नेपाल। संगीत नाटक अकादमी द्वारा रवीन्द्र प्रणति, मेघदूत, नई दिल्ली संस्काराना, इंडिया इंटरनेशनल सेंटर, नई दिल्ली आदि विश्वस्तरीय कार्यक्रमों में प्रस्तुति देना मेरे लिए सौभाग्य की बात रही है।

राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय स्तर पर लहराया अपना परचम
मालती श्याम प्रमुख राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के नृत्य समारोहों जैसे- खजुराहो नृत्य महोत्सव, कोणार्क महोत्सव, कत्थक महोत्सव, भारत महोत्सव, चीन, इंडिया शो, चेकोस्लोवाकिया के लिए अपने कोरियोग्राफिक कार्यों में शामिल रही हूं। ओमान, बहरीन, लेबनॉन, दुबई, चेकोस्लाबिया में जाकर नृत्य प्रस्तुत किया। मैंने अपनी नृत्य कंपनी बनाई है जिसको लेकर पूरे अमेरिका में दौरा किया। वर्ष 2005 में एस्टा और उनकी नृत्य कंपनी ने विश्व प्रसिद्ध पॉप गायिका क्रिस्टीना एगुइलेरा के साथ प्रदर्शन किया हैै।

खुद को डुबोकर ही शानदार प्रस्तुति दी जा सकती है…
आस्था की नृत्य प्रस्तुति मुगल सम्राट के दरबार की तरह होती है। इस कला में भाव-भंगिमा बहुत मायने रखता है। मेरा मानना है कि खुद को किसी भी प्रस्तुति में डुबोकर ही शानदार प्रस्तुति दी जा सकती है। दिन रात-रात साधना करना होती है।
जितना तप उतनी निखरती कला
पहले नृत्य और गायन शुद्ध भावनाओं के साथ राजाओं-महाराजाओं के दरबार में शुभ मुहूर्त पर होते थे। उनमें फूहड़ता नहीं थी। लेकिन आज जिस तरह से व्यावसायिक स्तर पर जो चीजें होने लगी हैं उसका स्वरूप बदल गया है जो चिंताजनक है। एक कलाकार की जितनी तपस्या होती है, उसकी कला उतनी ही निखरती चली जाती है। इसके लिए कोई शार्टकट तरीका नहीं है। जितनी आपकी मेहनत होगी उतना ही आप अपने मुकाम को हासिल कर सकते हैं। जब मन में शुद्धता की भावना होगी तब स्वयं तथा औरों को भी संतुष्ट कर सकेंगे।

महिलाएं अपनी मर्यादाओं के सिद्धांतों पर अडिग रहें
महिलाओं को अपनी मर्यादाओं के सिद्धांत पर अडिग रहकर व्यक्तित्व को निखारना चाहिए। महिलाओं का आध्यात्मिक सशक्तिकरण जरूरी है। परंतु आप पर निर्भर करता है कि आप अपने को किस स्तर पर रखते हैं? ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान में महिलाओं का सशक्तिकरण बेमिसाल है। इससे ही नारी एक शक्ति का रूप बन रही है।
भारत की महिमा आज पूरे विश्व में है जिसके सूफियाना अंदाज और नृत्य आज भी पुरातन सभ्यता को संजोए हुए हैं। अपनी मेहनत के दम पर आगे बढ़ें और खुद को साबित करें। अंत में आपका काम ही बोलता है। लोगों की दुआ, मां-बाप के आशीर्वाद और ईश्वर की कृपा से आज दर्शकों ने मुझे इतना प्यार, स्नेह और सम्मान दिया।
आपके श्रेष्ठ कर्म ही आपको बड़ा बना देगा। मैं अपने साथ हुई हरेक परिस्थिति रूपी विघ्न को आगे बढऩे की सीढ़ी समझ पॉजीटिव लेती हूं। राजयोग मेडिटेशन का अभ्यास लंबे समय से कर रही हूं। आनंदमयी जीवन के लिए तन के नृत्य के साथ मन का भी नृत्य करती हूं, इससे आत्मबल बढ़ता है। अपनी जीवन की सफलता में राजयोग मेडिटेशन की अहम भूमिका मानती हूं।

खुद को हमेशा सकारात्मक रखती हूं।
मैं हमेशा पॉजीटिव महसूस करती हूं। आपके मन की नकारात्मक चीजें आपके शरीर और मन पर बुरा प्रभाव डालती हैं। मैं अपना मन साफ रखती हूं। वर्क आउट और योगा कर अंदर से मजबूत स्वस्थिति बनाए हुए संतुलित रहती हूं। डाइट पर ध्यान देती हूं। डांस मेरा बहुत फेवरेट है तो वह भी करती रहती हूं। मैं महिला प्रधान फिल्में करना चाहती हूं। फिल्मों को लेकर बहुत चूजी हूं इसलिए बहुत सोच-समझकर अच्छी पटकथा वाली फिल्में ही करती हूं। मैं ऐसा कोई काम नहीं करना चाहती जिसे देखकर मेरे प्रशंसकों को बुरा लगे।

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