- विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर समाज में लोगों को व्यसन से दूर होने का संदेश देने की कराई प्रतिज्ञा
- उत्तर प्रदेश से आए पांच हजार लोगों को कराया संकल्प
शिव आमंत्रण,आबू रोड। विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान के शांतिवन परिसर स्थित डायमंड हॉल में चल रहे पांच दिवसीय आध्यात्मिक प्रवचन एवं राजयोग शिविर में उत्तर प्रदेश से आए पांच हजार लोगों को सदा नशे से दूर रहने और समाज, देश को व्यसनमुक्त बनाने का संकल्प कराया गया। इसके साथ ही ब्रह्माकुमार भाई-बहनों ने समाज से व्यसन रूपी बुराई को दूर करने और भारत को संपूर्ण रीति व्यसनमुक्त-नशामुक्त बनाने का संकल्प लिया।
डायमंड हॉल में मेडिकल विंग के सचिव डॉ. बीके बनारसी लाल ने लोगों को प्रतिज्ञा कराते हुए कहा कि आज समाज और देश में व्यसन रूपी बुराई घर-घर में व्याप्त हो गई है। यह देश के साथ-साथ परिवारों को खोखला कर रही है। इससे व्यक्ति स्वयं और परिवार बिखर रहे हैं। आज देश में ऐसे हजारों परिवार हैं जो नशे के कारण बर्बाद हो चुके हैं। परिवार में मुखिया यदि नशा करता है तो उसका असर पूरे परिवार पर पड़ता है। ऐसे में हम सभी का दायित्व बनता है कि समाज से इस व्यसन रूपी बुराई को जड़ से उखाड़ फेकें।
डॉ. बीके बनारसी लाल ने सभी को प्रतिज्ञा कराई कि हम संकल्प लेते हैं कि भारत को संपूर्ण रीति व्यसनमुक्त बनाएँगे। अपने घर के आसपास, पड़ोस में जो भी लोग नशा करते हैं, किसी तरह के व्यसनों का सेवन करते हैं उन्हें इसके दुष्परिणाम बताकर दूर रहने का संकल्प कराएंगे। नशामुक्त भारत अभियान को गति देने में अपने तन-मन-धन से संपूर्ण रीति सहयोग करेंगे।
तंबाकू में होते हैं 18 प्रकार के विषैले तत्व-
चर्चा में डॉ. बीके बनारसी लाल ने बताया कि तंबाकू का सेवन व्यक्ति को मानसिक, शारीरिक, आर्थिक, सामाजिक और नैतिक स्तर से हानि पहुंचाता है। विश्वभर में तंबाकू के सेवन से 70 लाख से अधिक लोग हर साल काल के गाल में समां जाते हैं। भारत में ही तंबाकू से होने वाली बीमारियों से दस लाख से अधिक लोग मौत का शिकार हो जाते हैं। तंबाकू खाने से दिल का दौरा पड़ता है। धमनियों के रोग और कैंसर होता है। तंबाकू में पाए जाने वाले 18 प्रकार के विषैले तत्व प्रूसीड एसिड पायरोडीन, पायकोलीन मुख्य हैं। इसमें सबसे प्रमुख है निकोटिन जो एक पौंड तंबाकू में 350 ग्रेन पाया जाता है।
सोचने-समझने की क्षमता हो जाती है कमजोर-
सबसे बड़ी बात तंबाकू के नियमित सेवन से मस्तिष्क के सोचने-समझने की क्षमता कमजोर होने लगती है। ऐसा व्यक्ति धीरे-धीरे स्वयं से दूर होने लगता है। उसमें चिड़ाचिड़ापन, अनिद्रा, कुंठा व हीन भावना जैसे विकार आ जाते हैं। तंबाकू के सेवन से दांत सड़ने लगते हैं कई मामलों में यह कैंसर का रूप ले लेते हैं। इसलिए जितनी जल्दी हो सके इसे छोड़ने में ही भलाई है।