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ब्रह्माकुमारीज की प्रथम मुख्य प्रशासिका मातेश्वरी जगदम्बा सरस्वती का 58वां पुण्य स्मृति दिवस आध्यात्मिक ज्ञान दिसव के रूप में मनाया - Shiv Amantran | Brahma Kumaris
ब्रह्माकुमारीज की प्रथम मुख्य प्रशासिका मातेश्वरी जगदम्बा सरस्वती का 58वां पुण्य स्मृति दिवस आध्यात्मिक ज्ञान दिसव के रूप में मनाया

ब्रह्माकुमारीज की प्रथम मुख्य प्रशासिका मातेश्वरी जगदम्बा सरस्वती का 58वां पुण्य स्मृति दिवस आध्यात्मिक ज्ञान दिसव के रूप में मनाया

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शिव आमंत्रण, आबू रोड/राजस्थान. ब्रह्माकुमारीज संस्थान की प्रथम मुख्य प्रशासिका मातेश्वरी जगदम्बा सरस्वती (मम्मा) का 58वां पुण्य स्मृति दिवस शनिवार को आध्यात्मिक ज्ञान दिसव के रूप में मनाया। शांतिवन के डायमंड हॉल में आयोजित पुष्पांजली कार्यक्रम में संयुक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी मुन्नी दीदी ने कहा कि मातेश्वरी मम्मा सदा अंतर्मुखी रहती थीं। मम्मा हमेशा कहती थीं कि सदा दो मंत्र याद रखो- एक हर घड़ी अंतिम घड़ी है। दूसरा हुक्मी हुक्म चला रहा है। इन्हीं मंत्रों से सहज नष्टोमोहा स्मृति स्वरूप हो जाएंगे। इससे ही शिव बाबा और ब्रह्मा बाबा की आशाओं को पूरी कर सकेंगे। मम्मा बचपन से ही तपस्वी, और दिव्य बुद्धि की धनी थीं। उनके सामने कैसी भी परिस्थति आई लेकिन वह कभी विचलित नहीं हुईं। उन्होंने कठिन योग-साधना से स्वयं को इतना शक्तिशाली बना लिया था कि कैसा भी क्रोधी व्यक्ति उनके सामने आता था तो वह शांत हो जाता था। आप रात में 2 बजे से योग-साधना करती थीं। आपने सदा हां जी का पाठ पढ़ा। मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी ने भी मम्मा को पुष्पांजली अर्पित की।
उन्होंने कहा कि मम्मा का जीवन हम ब्रह्मा वत्सों के लिए प्रेरणादायी, पथप्रदर्शक और ईश्वरीय मार्ग पर चलने के लिए एक मिसाल है। मम्मा ने अल्पायु में ही कठिन योग साधना से संपूर्णता की स्थिति बना ली थी। आज आपके बताए मार्ग पर चलकर लाखों ब्रह्माकुमार भाई-बहन अपना जीवन श्रेष्ठ बनाने के मार्ग पर अग्रसर हैं। सुबह मम्मा की याद में सबसे पहले भोग लगाया गया।

पुष्पांजली कार्यक्रम में मंचासीन दादी रतनमोहिनी व अन्य वरिष्ठ बीके भाई-बहनें।

वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका बीके गीता दीदी ने कहा कि मम्मा कहतीं थीं कि जब मैं परमात्मा का बना हूँ, एक उसका ही सहारा लिया है तो मेरा सब अच्छा हो जाना चाहिए, परन्तु ऐसा नहीं है। कई ऐसे ख्याल करते हैं कि हमारे पास कोई तकलीफ नहीं आनी चाहिए। परन्तु परीक्षाएं जरूर होंगी, तरह-तरह की बहुत बातें आएंगी। तो ऐसा ख्याल नहीं करना कि शायद मुझे भगवान ही नहीं मिला है। यह भगवान है या नहीं, पता नहीं हम कहीं उल्टे रास्ते पर तो नहीं हैं, जो भगवान नाराज हुआ है। ऐसे कई संकल्प आएंगे। ऐसे-ऐसे विघ्नों के कारण कई टूट जाते हैं। लेकिन यह सब तो होता आया है। परमात्मा पर अटल निश्चय रख करके अपना पुरुषार्थ करना है।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से कार्यकारी सचिव बीके डॉ. मृत्युंजय भाई, मीडिया निदेशक बीके करुणा भाई, मीडिया विंग के उपाध्यक्ष बीके आत्मप्रकाश भाई, बीके रुक्मिणी दीदी सहित देशभर से आए बीके सदस्य मौजूद रहे।

डायमंड हॉल में मौजूद बीके सदस्य।

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