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सुबह-सुबह खुद को परमात्मा की याद से चार्ज करें - Shiv Amantran | Brahma Kumaris
सुबह-सुबह खुद को परमात्मा की याद से चार्ज करें

सुबह-सुबह खुद को परमात्मा की याद से चार्ज करें

जीवन-प्रबंधन

आत्मा बैटरी के समान है जिसे सुबह-सुबह चार्ज करना जरूरी है। सारे दिन में हम कुछ दूसरा सुन, पढ़, देखकर इसे भर देते हैं।

शिव आमंत्रण आबू रोडअपने मन का ध्यान रखना हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। बचपन से दो बातें सुनते आए हैं- पहली, संकल्प से सृष्टि और दूसरी, संकल्प से सिद्धि। संकल्प से सृष्टि मतलब हमारी दुनिया हमारी सोच से बनती है। लेकिन हमने सोच की तरफ ध्यान ही नहीं दिया। हमें तो लगा सोच तो अपने आप बन रही है। जब परिस्थिति ठीक हो जाएगी तो मन भी ठीक हो जाएगा। अब हम अपने नजरिए को बदलते हैं। संकल्प से सृष्टि होती है न कि सृष्टि से संकल्प।
हमारे संकल्पों की रचना किस आधार पर होती है इसे समझना जरूरी है। इसका मुख्य आधार है जो हम सुनते, पढ़ते, देखते हैं और जो हम खाते-पीते हैं। ये पांच चीजें हमारे अंदर जाती हैं और हमारी सोच का निर्माण करती हैं। सबसे पहली चीज जो हम सुन रहे हैं उसका ध्यान रखना है। अगर हम सुबह एक घंटा आत्मा की शक्ति बढ़ाने के लिए सुनना शुरू करें तो जीवन में बदलाव आने लगेंगे। आत्मा एक बैटरी के समान है जिसे सुबह-सुबह चार्ज करना जरूरी है। सारे दिन में हम कुछ दूसरा सुन, पढ़, देखकर इसे भर देते हैं। जिससे ये डिस्चार्ज हो जाती है। लेकिन चार्ज करने के लिए हम कुछ नहीं करते हैं।
आज से एक छोटी सी आदत बनाते हैं कि सुबह उठते ही सबसे पहले फोन की तरफ नहीं देखेंगे। यह एक बहुत गहरी आदत है, जिसका मन की स्थिति पर गहरा प्रभाव पड़ता है। अगर पहले घंटे में हमने फोन देख लिया तो दुनिया की बातें, सोशल मीडिया की बातें और काम संबंधी बातें हमारे मन पर आ जाती हैं। हमारे मन को वो समय ही नहीं मिलता जिससे परमात्मा की ज्ञान की बातें, स्वचिंतन की बातें जीवन में ला सकें। सुबह-सुबह आधी आंख खोल के दुनिया की सारी बातों को मन में भर दिया तो स्वधर्म की बातें कब हमारे मन पर आएंगी। बचपन से आपने और मैनें सुना था कि सुबह-सुबह उठकर पढ़ो तो अच्छे से याद रहेगा। तो सबसे पहली चीज कि सुबह फोन को इस्तेमाल नहीं करेंगे एक घंटे के लिए। कम से कम आधा घंटा आध्यात्मिक अध्ययन मतलब परमात्मा का ज्ञान सुनेंगे क्योंकि वो मन के लिए खुराक है।
आज मन अच्छा क्यों नहीं सोच पा रहा क्योंकि मन कमजोर है, आत्मा कमजोर हो गई है। खुराक का विपरीत तो मन के अंदर सारे दिन में हमने बहुत दिया, जिससे यह कमजोर हो गया। इसको आधा घंटा रोज अच्छी खुराक दें। ऐसी बातें मन के अंदर भरें जिनके अंदर दिव्यता है। परमात्मा के प्रति, सृष्टि के प्रति आभार है। मन में आभार भरेंगे तो सारा दिन शिकायत नहीं करेंगे, दिव्यता भरेंगे तो सारा दिन चिंता नहीं करेंगे। प्यार भरेंगे तो सारा दिन किसी से नाराज नहीं होंगे। निश्चय भरेंगे तो सारा दिन डरेंगे नहीं। तो सुबह सुबह हमें ये खुराक भरनी है। आधा घंटा आध्यात्मिक अध्ययन और आधा घंटा या १५ मिनट मेडिटेशन। मतलब जो भरा है उसको अच्छे से मनन-चिंतन करके उसे मन की प्रोग्रामिंग में सेट कर दें। आज के समय के हिसाब से हम दस संकल्प कर रहे हैं। ये वे संकल्प हैं जिसे हम सृष्टि पर लाना चाहते हैं।
कुछ शाक्तिशाली संकल्प करें
मैं शक्तिशाली आत्मा हूं, मैं शांत आत्मा हूँ, मैं निर्भय आत्मा हूं, मेरा शरीर निरोगी है, स्वस्थ है और हमेशा रहेगा। परमात्मा की शक्तियों का सुरक्षा कवच मेरे और मेरे परिवार के चारों तरफ है। परमात्मा की शक्तियों का कवच मेरे कार्य करने के स्थान के चारों तरफ है। मेरा काम, मेरी नौकरी सुरक्षित है। मेरा धन भरपूर है। परमात्मा की शक्तियों का सुरक्षा कवच मेरे देश और विश्व के चारों तरफ है। ये वे संकल्प हैं जिन्हें हम सिद्ध करना चाहते हैं। तो सुबह का एक घंटा आत्मा की बैटरी को चार्ज करना है। और रात को सोने से पहले इन संकल्पों को दोहरा लेना है। सबसे जरूरी बात, जब हम खाना खाते और पानी पीते हैं तो उस समय भी इसे दोहरा लें। हम सबको पता है कि जैसा अन्न, वैसा मना जैसा पानी, वैसी वाणी। तो इस समय हमें सात्विक आहार ही जरूरी है। मांसाहार हमारे मन की स्थिति और शरीर के लिए ठीक नहीं है। भोजन खाने और पानी पीने से पहले परमात्मा को याद करके अपने संकल्प फिर दोहराएं। अगर दस-पंद्रह बार ये संकल्प दिन में दोहरा लिए तो आठ-दस दिन के अंदर वो संकल्प हमारे स्वभाविक संकल्प बन जाएंगे। हम उनका स्वरूप बन जाएंगे। फिर हमारे संकल्प सिद्ध होने शुरू हो जाएंगे, फिर भाग्य तो अपने आप बदल जाएगा।

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