दीदी मनमोहिनी के स्मृृति दिन पर व्यक्त विचार
शिव आमंत्रण, बहल। ब्रह्माकुमारीज के बहल(हरियाणा) सेवाकेंद्र पर बीके भाई बहनों के लिए एक दिवसीय रिफ्रेशर कोर्स रखा गया। संस्था की पूर्व सह मुख्य प्रशासिका दीदी मनमोहिनी के 38 वें पुण्य स्मृति दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित इस कार्यक्रम को तोशाम सेवाकेंद्र प्रभारी बीके मंजू ने सम्बोधित किया ।
उन्होंने कहा, कि संसार विभिन्न प्रकार के रोल निभाने वाले भिन्न भिन्न कर्म व स्वभाव वाले लोगों का एक विशाल ड्रामा है। इसमें जो भगवान को साथी बनाकर और साक्षी भाव अपनाकर कर्म करता है वह विजयी बनता है। उन्होंने कहा, कि आप सब इस युद्ध क्षेत्र, कर्मक्षेत्र पर अर्जुन की तरह अपना किरदार निभाते चलें, फल की कामना नही रखें। जमीन पर चलने वाले युद्ध से कहीं अधिक दुखदायी मन मे चलने वाला शंका कुशंका का युद्ध है जो भीतर ही भीतर मनुष्य को कमजोर कर देता है। उन्होंने आगे कहा, की विपत्ति कितनी भी भयंकर हो परन्तु मनुष्य के मनोबल के आगे वह भी तुच्छ प्रतीत होती है। उन्होंने कहा, कि विघ्न और समस्याएं जीवन रूपी क्लास को आगे बढाने की परीक्षाएं हैं, ऐसा समझकर चलेंगे तो ये कष्ट भी उन्नति का आधार बन जाएंगे। राजयोग का नियमित अभ्यास आपको शक्ति शाली बनने में मदद करेगा।
बहल सेवाकेंद्र प्रभारी बीके शकुन्तला ने कहा, कि दीदी मनमोहिनी के जीवन मे लव और लॉ का गजब का संतुलन था। उन्होंने अपने प्रशासन अवधि में कभी किसी को गलती पर डांटा नही बल्कि इतना रूहानी और ममता भरा प्यार दिया जो गलती करने वाले ने स्वयम् ही महसूस कर अपने को परिवर्तन किया। आगे उन्होंने कहा, कि हम भी अपने अपने कार्य स्थल पर प्रेम की गंगा और जमुना बहाएं तो हर घर स्वर्ग बन जायेगा ।
कार्यक्रम में बीके चन्दा, बीके कुसुम, बीके जगमति, बीके अंजू, बीके सोमबीर, बीके मनोज ने अपने अनुभव सबके साथ साझा करते हुए कहा, कि ईश्वरीय ज्ञान का पहला पाठ मैं कौन हूं पक्का होने से ही हमारी भय व चिंता समाप्त हो गई हैं ।