– चार दिवसीय वैश्विक शिखर सम्मेलन का समापन
– वसुधैव कुटुम्बकम्- एक ईश्वर, विश्व एक परिवार विषय पर समापन सत्र आयोजित
शिव आमंत्रण, आबू रोड (राजस्थान)। चार दिन चले वैश्विक शिखर सम्मेलन के छह सत्रों में देश-विदेश से आईं जानीं-मानीं हस्तियों ने चिंतन-मंथन कर निष्कर्ष निकाला कि वसुधैव कुटुम्बकम की भावना और एक ईश्वर-विश्व एक परिवार के ज्ञान के आधार पर ही नए युग की संकल्पना साकार हो सकती है। अध्यात्म-राजयोग का परमात्म दिव्य ज्ञान ही नए युग का सूत्रपात कर सकता है। नए युग के लिए दिव्य ज्ञान विषय पर ब्रह्माकुमारीज़ के अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय शांतिवन के डायमंड हाल में यह सम्मेलन आयोजित किया गया।
समापन सत्र में उप्र के कैबिनेट कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही ने कहा कि वसुधैव कुटुम्बकम वैदिक काल से हमारी परिपाटी है कि हमने संपूर्ण विश्व काे अपना परिवार समझा है। भारत ने इस संस्कृति का सदैव पालन और अनुसरण किया है। भारत ने कभी भी राज्यसत्ता के लिए साम्राज्यवादी विचारधारा से दूसरे देशों पर आक्रमण नहीं किया है। भगवान बुद्ध ने अपने विचारों को दुनियाभर में फैलाया। स्वामी विवेकानंद जी ने भी दुनिया को भारत के विचारों से अवगत कराया।
साधना एक सतत प्रक्रिया है-
मंत्री शाही ने कहा कि हम देखते हैं कि आज चर्चा इस बात की होती है कि किसी ने कितनी भौतिक तरक्की कर ली, पद पा लिया। लेकिन इस बात की चर्चा नहीं होती है कि हम कैसे हैं, हमारा जीवन कैसा है? हमारा स्वास्थ्य अच्छा है? हम लोगों की सेवा में लगे हैं इन बातों की चर्चा कम होती है। ऋषियों, संतों के सान्निध्य में जाकर हमें नए विचारों की प्रेरणा मिलती है। ब्रह्माकुमारीज़ एक ईश्वर- विश्व एक परिवार के संकल्प के साथ आगे बढ़ रही है यह गौरव की बात है। शांतिवन साधना और तपस्या की तपस्थली है। जीवन के क्रम में साधना एक सतत प्रक्रिया है जहां से अनुभूति का मार्ग प्रशस्त होता है।
आज दुनिया बदल रही है-
बिजनेसमैन ऑफ द ईयर अवार्ड से सम्मानित यूएसए के लैप ग्रुप के ऑपरेशन एवं सेल्स के वाइस प्रेसिडेंट पीटर कुमार ने कहा कि इस सम्मेलन में भाग लेना भाग्य की बात है। धर्म धर्मों का कहना है कि दुनिया बदल रही है, नई दुनिया आ रही है। साइंस और फिजिक्स भी दावा कर रहा है कि दुनिया बदल रही है। बदलती दुनिया के साथ हमें खुद को भी बदलना है। हमें पूज्यनीय बनना है नर से देव-देवी के समान बनना है तो हमें दिव्यगुण अपनाने होंगे। जब यहां से जाएं तो अपनी झोली दिव्यगुणों से भरकर ले जाएं। बता दें कि आपने अब तक सैकड़ों कैंसर पीड़ित मरीजों का इलाज कराया है। साथ ही सैकड़ों बेघर लोगों को घर बनाने में मदद की है।
बीसीसीआई और आईपीएल के मेंबर कमेटी सदस्य पीवी सेट्टी ने कहा कि किसी भी प्रतियोगिता, खेल में सफल होने के लिए मानसिक रूप से मजबूत होना जरूरी है। अध्यात्म और मेडिटेशन से हम अपने मन को सशक्त और मजबूत बना सकते हैं। अध्यात्म में ही वह शक्ति है जो वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना को साकार रूप दिया जा सकता है। शांतिवन में आकर बेहद खुशी हुई। यहां का मैनेजमेंट सबकुछ सीखने लायक है।
जहां ज्ञान की पूजा-आराधना होती है वह भारत है-
पुणे के एमआईटी-डब्ल्यूपीयू ग्रुप के संस्थापक प्रो. डॉ. विश्वनाथ के. करद ने कहा कि शिकागो में पहली बार स्वामी विवेकानंद ने भारतीय संस्कृति का संदेश दिया। भारत का अर्थ है- भा अर्थात् प्रकाश। एक होता है सूर्य प्रकाश जो पूरी पृथ्वी को रोशनी देता है। दूसरा होता है ज्ञान प्रकाश जो ज्ञान प्रकाश में रत है वो है भारत। ज्ञान की जहां पूजा, साधना होती है वह भारत है। आज सारी दुनिया भारत की तरफ देख रही है। भारत माता की नई दिशा, नया स्वरूप सबके सामने है। शांतिवन के कण-कण में भगवान की अनुभूति होती है। सभी धर्म ग्रंथों का संदेश है कि जीवन कैसे जीना है, कैसे नहीं जीना है। आत्मा और मन ये अध्यात्म शास्त्र है। इसे जानना सबके लिए जरूरी है। ब्रह्माकुमारीज़ के भाई-बहन लोगों को जीवन का रास्ता दिखा रहे हैं।
संतुष्टता जीवन की सबसे बड़ी पूंजी है-
अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी बीके मोहिनी दीदी ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज़ का मुख्य संदेश है- ईश्वर एक है, विश्व एक परिवार है। संस्था में प्रत्येक भाई-बहन खुद को निमित्त मानकर सेवा करते हैं। प्रसन्नता, संतुष्टता की निशानी है। परमात्मा कहते हैं कुछ भी हो जाए खुशी, प्रसन्नता नहीं जाए। प्रसन्नचित्त रहें, प्रश्नचित्त न रहें। आपसी संबंधों में सदा प्रसन्नता बनी रहे। संतुष्टता सबसे बड़ी पूंजी है। यहां से संकल्प लेकर जाएं कि सदा मैं संतुष्ट रहूंगा और अपने व्यवहार, कर्म से दूसरों को भी संतुष्ट करुंगा।
तीन बिंदू की गिफ्ट लेकर जाएं-
अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी बीके जयंती दीदी ने कहा कि सभी जाते समय गिफ्ट के रूप में तीन बातें साथ लेकर जाएं। पहला है- मैं आत्मा बिंदू हूं और मेरे पिता परमात्मा भी ज्योतिर्बिंदू स्वरूप हैं। तीसरा है इस ड्रामा चक्र में हर सीन को साक्षी भाव से देखते हुए आगे बढ़ते चलें। क्योंकि जो हो रहा है हर बात में कल्याण समाया हुआ है।
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एक नजर में, किसने क्या कहा
– मुंबई मुलुंद की निदेशिका राजयोगिनी गोदावरी दीदी ने कहा कि आज लाखों लोग राजयोग मेडिटेशन सीखकर अपने जीवन को गुणवान, मूल्यवान बनाने की दिशा में समर्पित भाव से ज्ञान-योग सीखकर आगे बढ़ रहे हैं। जब हमारे मन में सदा वसुधैव कुटुम्बकम की भावना रहेगी तो कभी नकारात्मक विचार आ नहीं सकते हैं।
– रशिया सेवाकेंद्रों की निदेशिका राजयोगिनी चक्रधारी दीदी ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज़ मात्र ईश्वरीय विश्व विद्यालय नहीं है। यह ईश्वरीय परिवार है, जिसके सदस्य पूरे विश्व में फैले हुए हैं। दुनिया में अनेक धर्म हैं लेकिन प्रत्येक व्यक्ति में जो अजर-अमर, अविनाशी आत्मा विराजमान है उसका कोई धर्म नहीं है। सभी मनुष्य आत्माओं के पिता परमपिता शिव परमात्मा हैं।
– दिल्ली के वरिष्ठ पत्रकार जयदीप कार्निक ने कहा कि जब से कलम थामी है तब से कोशिश यही रही है कि अपने भीतर प्रस्फुटित विचारों को समाज तक कैसे पहुंचाया जाए। वसुधैव कुटुम्बकम आज पूरी दुनिया के लिए ध्येय वाक्य बन गई है। आज पूरी दुनिया के देश इस सूत्र वाक्य से जुड़ गए हैं। ब्रह्माकुमारीज़ पूरे विश्व में लोगों को इस सूत्र वाक्य में बांधने का कार्य कर रही है। पूरी दुनिया उपभोक्तावाद से आध्यात्मवाद की ओर आ रही है।
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इन्होंने भी व्यक्त किए अपने विचार-
मूल्य शिक्षा कार्यक्रम के निदेशक डॉ. बीके पांड्यामणि, फरीदाबाद के विधायक नीरज शर्मा, एजुकेशन विंग की बीके सुप्रिया, ज्ञानामृत पत्रिका के मुख्य संपादक बीके आत्मप्रकाश भाई ने भी अपने विचार व्यक्त किए। संचालन अहमदाबाद की वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका बीके नेहा दीदी ने किया। आभार वरिष्ठ राजयोगी बीके प्रकाश भाई ने माना।
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कार्यक्रम के खास पल-
– उप्र मिर्जापुर के विंध्य डांस ग्रुप के कलाकारों ने दुर्गा, भैरवी आदि की जोरदार सांस्कृतिक प्रस्तुति देकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।
– मधुरवाणी ग्रुप के कलाकारों ने गीत प्रस्तुत किया।
– अतिथियों का माला, मुकुट, शॉल पहनाकर स्वागत-सम्मान किया गया।
– मणिपुर इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी और एजुकेशन विंग वैल्यू एजुकेशन प्रोग्राम के साथ मिलकर शुरू किए गए नए वैल्यू एजुकेशन कोर्स की लांचिंग भी की गई।