- उत्तर प्रदेश के विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने राजयोग व्यक्तित्व विकास शिविर को किया संबोधित
- दो दिवसीय प्रवास पर पहुंचे थे माउंट आबू
- राजस्थानी पगड़ी पहनाकर ब्रह्माकुमारीज़ में किया गया स्वागत
शिव आमंत्रण/आबू रोड (राजस्थान)। सिंध से प्रारंभ हुआ शांति के संदेश का कारवां आज वटवृक्ष बन गया है। ब्रह्मा बाबा ने ज्ञान की ऐसी रोशनी बिखेरी जो आज भी मिल रही है। मैं वर्षों से ब्रह्माकुमारीज़ सेवाकेंद्रों के संपर्क में हूं। कई दशकों से ब्रह्माकुमारी बहनों का समर्पण, त्याग की भाव, आत्मीयता, मधुरता, स्नेह का साक्षी रहा हूं। यहां से यह सब सीखने लायक है। ऐसे लोगों से जुड़कर ज्ञान और विचारों को कनेक्शन हो जाता है। हम जीवन में अच्छाइयों को आत्मसात करते हैं। मुझे ऐसा लगता है कि जितने भी लोग यहां जुड़े हैं सभी अपने स्वविवेक, स्व प्रेरणा और स्वभाव के कारण जुड़े हैं। मैंने कभी अपने जीवन में ऐसा विज्ञापन नहीं देखा कि जिसमें लिखा हो कि ब्रह्माकुमारीज़ से जुड़ने के लिए संपर्क करें।
यह बात उप्र के विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने राजयोग व्यक्तित्व विकास शिविर को संबोधित करते हुए कही। ब्रह्माकुमारीज़ के शांतिवन परिसर स्थित कॉन्फ्रेंस हॉल में कार्यक्रम आयोजित किया गया। बता दें कि अध्यक्ष महाना दो दिवसीय प्रवास पर माउंट आबू आए थे। यहां से लौटते हुए वह कार्यक्रम में शामिल हुए।
अच्छे विचारों से बनता है हमारा चरित्र-
विस अध्यक्ष महाना ने कहा कि जब हम अपने विकारों को शांत करने के लिए यहां से जुड़ेंगे तो हमें शांति मिलेगी। यदि हम अपने स्वार्थ के कारण जुड़ेंगे तो शांति नहीं मिलेगी। जब हम अच्छे विचारों को पढ़कर, उन्हें जीवन में आत्मसात कर आचरण और व्यवहार में उतारते हैं तो हमारा चरित्र बनता है। एक दिन में अच्छे विचार आत्मसात नहीं हो जाते हैं। इसके लिए धैर्य और सामूहिक चिंतन चाहिए। जिन्होंने सारा जीवन इसमें खपा दिया है उनमें कोई न कोई तो विशेष बात होगी। बचपन में हम मुंशी प्रेमचंद की कहानियां पढ़ते थे उनमें भी कुछ न कुछ जीवन की सीख होती थी। गीता प्रेस गोखरपुर की छोटी सी पुस्तक जो पांच रुपये में मिलती थी उसमें जीवन का सारा ज्ञान समाया हुआ रहता है। ज्ञान हमें कहीं से भी मिल सकता है।
पहले हम खुद शांत हों…
विस अध्यक्ष महाना ने कहा कि जो किसी को ऊपर उठाने की बात करता है वह सदैव ऊपर रहता है। जब हम खुद को परमात्मा से जोड़ते हैं, खुद शांत रहते हैं तो दूसरों को शांत कर पाएंगे। अपने से प्यार करें, अपनों से प्यार करें। संस्था से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति का आचरण, व्यवहार संस्था का परिचय देता है। इसलिए समाज में प्रेरक बनकर व्यवहार करें। आपका व्यवहार, चरित्र, आचरण देखकर लोग संस्था के चरित्र से जोड़ते हैं, इसलिए ऐसे कर्म करें कि संस्था की पहचान बनें।
उत्तर प्रदेश से बाबा का रहा है खास कनेक्शन-