– आध्यात्मिक सशक्तिकरण द्वारा दया एवं करुणा विषय पर पांच दिवसीय राजनेता सम्मेलन शांतिवन में जारी
शिव आमंत्रण,25 सितंबर, आबू रोड/राजस्थान। आध्यात्मिक सशक्तिकरण द्वारा दया एवं करुणा विषय पर पांच दिवसीय राजनेता सम्मेलन ब्रह्माकुमारीज के शांतिवन परिसर में जारी है।
सम्मेलन के शुभारंभ सत्र में लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने संदेश भेजकर कहा कि मुझे यह जानकर अति प्रसन्नता हो रही है कि ब्रह्माकुमारीज द्वारा राजनेताओं के आध्यात्मिक सशक्तिकरण के लिए सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है। इससे लाभ लेकर राजनेताओं में दया, करुणा और जनहित की भावना का विकास होगा। ब्रह्माकुमारीज संस्थान जल कल्याण के लिए कई वर्षों से निरंतर कार्य कर रहा है।
मप्र खनिज निगम अध्यक्ष व वारासिवनी से विधायक प्रदीप जायसवाल ने कहा कि हमारा भारत समृद्ध भारत तभी बनेगा, जब हमारे राजनेताओं के जीवन में आध्यात्मिकता होगी। लोकतंत्र को विधायिका, कार्यपालिका और व्यवस्थापिका चला रही है। जब तक विधायिका पर नियंत्रण नहीं होगा तब तक जनप्रतिनिधि सही कार्य नहीं करेंगे। करुणा और दयालुता हमारे संस्कृति के मूल हैं। यहां आकर आध्यात्मिक शांति की अनुभूति हुई। यहां दिए जा रहे ज्ञान और अच्छी बातों का सभी राजनेता ज्यादा से ज्यादा प्रचारित करें। नेताओं की बड़ी जवाबदारी होती है।
हम बदलेंगे, जग बदलेगा-
नेपाल के नेपालगंज से आए सांसद अमर शर्मा देवराज ने कहा कि दुनिया में यदि कहीं असली स्वर्ग है तो माउंट आबू में है। यहां आकर तीन दिन से आत्मिक शांति, खुशी की अनुभूति हो रही है। यहां जो ज्ञान दिया जाता है कि पहले खुद को बदलो, हम बदलेंगे तो विश्व बदलेगा। इसलिए सबसे पहले हमें खुद को बदलना होगा। एक दिन जरूर पूरी दुनिया में स्वर्ग होगा। ब्रह्माकुमारीज द्वारा सामाजिक क्षेत्र में कई कार्य किए जा रहे हैं।
एक-दूसरे के प्रति क्षमा भाव रखें-
संस्थान की मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी ने कहा कि शांति के सागर, सदा सुखदादा, परमपिता परमात्मा के इस घर में सभी राजनेताओं का स्वागत है। हम सभी एक परमपिता परमात्मा की संतान आपस में भाई-बहन एक ही ईश्वरीय परिवार के हैं। इस स्मृति को बार-बार याद करने से आत्मा स्वयं को शक्तिशाली अनुभव करती है। परमात्मा की संतान होने के नाते हम जिससे भी मिलें तो सभी को खुशियां बांटें। एक-दूसरे के प्रति क्षमा की भावना, शुभभावना रखें। इससे ही दुआओं का खाता बढ़ता जाता है।
जब तक आध्यात्म पर चलेंगे नहीं तो अनुभूति नहीं होगी-
मप्र के दमोह, हटा से विधायक पुरुषोत्तम लाल ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज
हमें ज्ञान के माध्यम से वहां ले जाने का प्रयास कर रही है जहां हमें साक्षात् परमात्मा के दर्शन होंगे। आध्यात्म जगत में हमारे भाई-बहन जो शोध, अध्ययन कर रहे हैं जब तक हम उस मार्ग पर चलेंगे नहीं तो हमें अनुभूति नहीं होगी। उनके बताए मार्ग पर चलकर ही हम मानव सेवा, समाज सेवा और देश में सेवा में अग्रसर हो सकते हैं।
यहां से खुशी बिखेरने का कार्य किया जा रहा-
बिहार के मुंगेर से आए विधायक प्रणव कुमार ने कहा कि यहां आध्यात्म के रूप में प्रेम, भाईचारा, खुशी को बिखेरने का कार्य किया जा रहा है। मुंगेर में विश्व के एक मात्र योग का विश्वविद्यालय है जहां से योग की शिक्षा दी जाती है। योग भारत की ही देन है जिसे आज दुनिया अपना रही है। ब्रह्माकुमारीज आध्यात्म के द्वारा लोगों के जीवन में खुशी लाने के लिए कार्य कर रही है। हमारी संस्कृति बहुत पुरानी है। उस समय हमारे यहां पुष्पक विमान हुआ करते थे, आज हम हवाई जहाज में चलते हैं।
इन्होंने भी व्यक्त किए विचार-
– गुजरात से आए पूर्व मंत्री व विधायक गिरीश चंद्र परमार ने कहा कि संस्था द्वारा बदलाव के कार्य किए जा रहे हैं। परमात्मा के बुलावे पर यहां आया हूं।
– मप्र के ग्वालियार से विधायक डॉ. सतीश सिंह सिकरवार ने कहा कि यहां आकर बहुत खुशी हुई। साथ ही शांति की अनुभूति हुई। यहां बहुत ही सेवाभाव से भाई-बहनें समाज के कल्याण में जुटे हुए हैं। साथ ही यहां आध्यात्मिक ज्ञान को समझने का मौका मिला। इसके लिए ब्रह्माकुमारीज संस्थान का आभारी रहूंगा।
– उप्र के बदायूं से आए विधायक महेश चंद्र गुप्ता ने कहा कि जो हमारे ब्रह्माकुमार भाई-बहन बोलते हैं कि इस धरती पर फिर से स्वर्ण युग आएगा तो एक दिन जरूर वह दिन आएगा, दुनिया बदलेगी। ब्रह्मा बाबा ने इस कार्य की नींव 1936 में ही रख दी थी।
– संस्थान के अतिरिक्त महासचिव बीके बृजमोहन ने कहा कि दया धर्म का मूल है और अभिमान पाप का मूल है। हम अपने को शरीर मानने लगे हैं इसलिए हमें अहंकार हो जाता है। जबकि मूलरूप में हम सभी आत्माएं हैं। हम आत्माओं के पिता एक परमपिता शिव परमात्मा हैं।
– ओआरसी की निदेशिका बीके आशा दीदी ने कहा कि जब हमारे जीवन में दिव्य गुणों होंगे तो यह भारत फिर से भरपूर बनेगा। दैवी गुण, दैवी संस्कार और दैवी संस्कृति हमारी धरोहर है। आध्यात्मिकता हमारी संस्कृति है, हमारी पहचान है। हम कैसा संसार चाहते हैं यह हमारे ऊपर है। दया और करुणा ऐसे दिव्य गुण हैं जिनसे यह दुनिया फिर से सुखमय बन सकती है। हम सभी को आगे आकर दुनिया को फिर से स्वर्णिम दुनिया बनाने की दिशा में सहयोग रूपी अंगुली बढ़ाना होगी।
-बड़ोदरा से आईं बीके अरुणा दीदी ने राजयोग मेडिटेशन की गहन अनुभूति कराई। संचालन बीके श्रीनिधि भाई ने किया। मधुरवाणी ग्रुप के कलाकारों ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। साथ ही लघु नाटिका की प्रस्तुति गुरुग्राम ओआरसी से आए कलाकारों की टीम द्वारा दी गई।