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“मनोबल वृद्धि कैसे करें” विषय पर ज्ञानवर्धक कार्यक्रम - Shiv Amantran | Brahma Kumaris
“मनोबल वृद्धि कैसे करें” विषय पर ज्ञानवर्धक कार्यक्रम

“मनोबल वृद्धि कैसे करें” विषय पर ज्ञानवर्धक कार्यक्रम

राज्य समाचार हरियाणा

बहल(हरियाणा):- कोरोना काल पूरे विश्व के लिए निःसंदेह बहुत दुखदाई है। अनेक लोगों के लिए अनेक प्रकार की समस्याएं लेकर भी आया है। लेकिन अपने निजी जीवन के लिए इस काल को हम नई आदतें और नई समझ पैदा करते हुए परिवर्तनकारी और जीवन उपयोगी भी बना सकते हैं। अपनी दैनिक क्रियाओं से संबंधित हमारी बहुत सारी आदतें कूप्रभावित हो चुकी थी, जैसे खानपान की शुद्धि का ध्यान न रखना, अपने आस-पड़ोस में  गलियों की साफ सफाई का ध्यान न रखना या अपने हाथों या अपने कपड़ों की साफ सफाई का ध्यान न रखना, जिसकी वजह से अनेक बीमारियां पैदा होती थी, ऐसी सभी आदतों को हम इस कोरोना महामारी के समय में बहुत ही आसानी से ठीक कर पाए हैं।  हमें  कोरोना बीत जाने के बाद भी  ऐसे सुधारों की प्रक्रिया को  संगठित रूप से जारी रखना है  क्योंकि जब पूरा समाज संगठित रूप से कोई सुधार का प्रयास करता है तो वह आसानी से सफलता को प्राप्त करता है । उक्त विचार प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के माउंट आबू स्थिति मुख्यालय के ग्लोबल हॉस्पिटल से दंत रोग विशेषज्ञ डॉक्टर नीलम ने आज बहल के गीता भवन में आयोजित कार्यक्रम के दौरान कही।कार्यक्रम का आरंभ कोरोना के कारण असमय जान गंवाने वाले लोगों को मोन श्रद्धांजलि देकर किया गया । डॉक्टर नीलम ने दातों के स्वास्थ्य को बनाए रखने के गुर के साथ-साथ अपने मानसिक स्वास्थ्य को भी श्रेष्ठ बनाने के लिए मनोविज्ञान और अध्यात्म से ओतप्रोत ज्ञान रत्नों की वर्षा की। उन्होंने कहा कि आज के समय में मनुष्य मनोवैज्ञानिक रूप से कमजोर होता जा रहा है। छोटी सी बात पर बहुत ज्यादा गुस्सा आने की संभावना बनी रहती है।  छोटी-छोटी बातों पर दिमाग खराब हो जाता है। चाहे किसी गली मोहल्ले की बात करें या किसी सरकारी या गैर सरकारी संस्थान की बात करें, एक दूसरे के बीच जेल्सी एक आम बात हो गई है। इससे सिद्ध होता है कि मनुष्य सब कुछ होते हुए भी अपने को अभाव ग्रस्त महसूस कर रहा है जिसकी वजह से भय पनपता है। वास्तव में मनुष्य के पास अभाव साधनों का नहीं है अपितु चित्त की शांति और अध्यात्म की समझ का अभाव है । अगर इंसान सच्चे दिल से अपने परमपिता परमात्मा पर निश्चय करते हुए हर कर्म करें तो वह निश्चिंत रह सकता है और कीचड़ में कमल की तरह जी सकता है। उन्होंने बताया कि परमात्मा शिव धरा पर अवतरित होकर मनुष्य के आत्म उत्थान के लिए ज्ञान रतन लुटा रहा है। इसलिए सभी मनुष्य आत्माओं को इसका भरपूर फायदा उठाना चाहिए । 

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