हमारे जीवन में खुशियाँ बहुत हैं लेकिन हम उसका पासवर्ड भूल गए हैं। कई लोग खुशी को भविष्य में ढूँढते रहते हैं। जो कि ठीक नहीं है। भूतकाल सपना है, भविष्य काल कल्पना है किन्तु वर्तमान तो अपना है। इसलिए वर्तमान में हर छोटी सी छोटी चीज में खुशियाँ ढूँढने का प्रयास करें। खुशियों का रिमोट कन्ट्रोल अपने पास रखें। पैसा हमको कम्फर्ट दे सकता है खुशी नहीं। खुशी के लिए हमारी सोंच जिम्मेदार है। मन में उत्पन्न नकारात्मक विचार हमें बीमार बना रहे हैं।
तनाव से बचने हेतु मन को दोस्त बना लें:
अधिकांश बीमारियाँ मन से पैदा होती हैं। चिन्ता, तनाव, भय, दु:ख और अशान्ति के कारण बीमारियाँ बढ़ रही हैं। इसलिए खुश रहने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि मन को अपना दोस्त बना लो। जब हम तनाव में होते हैं तो इससे हमारी धमनियों में ब्लाकेज होना शुरू हो जाता है। कोलस्ट्रोल बढ़ता जाता है। इससे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है।
पद और पोजीशन को भूल बच्चा बन जाएं:
निगेटिव एनर्जी को खत्म करने का अच्छा तरीका है कि हम मुस्कुराना सीखें। मुस्कुराने से हम पचास प्रतिशत से अधिक बीमारियों से बच जाते हैं। इससे हमारे अन्दर की नकारात्मकता तो खत्म होती ही है साथ ही वायुमण्डल में सकारात्मक उर्जा का संचार होता है। एक बच्चा सारे दिन में तीन सौ से अधिक बार मुस्कुराता है। उसी प्रकार आप भी पद और पोजीशन भूलकर बच्चा बन जाइए तो तनावमुक्त हो जाएंगे।
बाहरी स्वच्छता के साथ मन की स्वच्छता भी जरूरी:
यदि खुश रहना है तो स्वयं को डस्टबिन न बनने दें। कोई आकर आपसे निन्दा ग्लानि, चुगली करता है तो हाथ जोडक़र उससे कहें कि मैं डस्टबिन नहीं हूँ। अपना कचरा कहीं और जाकर डालें। बीमारियों से बचना है तो स्वच्छ बनना पड़ेगा। हमारे देश में स्वच्छता अभियान चल रहा है। लेकिन सिर्फ बाहरी स्वच्छता से काम नहीं चलेगा। आन्तरिक स्वच्छता भी जरूरी है। ब्रह्माकुमारी संस्थान मन को स्वच्छ बनाने का काम कर रही है।
सोच बदल लो, जीवन बदल जाएगा… अपनी सोच को बदलने से जीवन बदल जाएगा। अनुसंधान से पता चला है कि हमारे मन में पूरे दिन भर में साठ हजार के लगभग विचार पैदा होते हैं जिसमें से साठ प्रतिशत फालतू (व्यर्थ) होते हैं। अब हमें इन विचारों की गति को कम करना है। ताकि हमारी शक्ति व्यर्थ में खत्म न हो। लोगों के पास सोफासेट, ड्राईंग सेट, क्राकरी सेट, ज्वेलरी सेट आदि सभी सेट रखे हुए हैं लेकिन उनका माइण्ड सेट नहीं है। वह अपसेट पड़ा हुआ है।
माइण्ड को सेट करने के लिए मेडिटेशन जरूरी:
इस देश में बड़े-बड़े मेडिकल कालेज, इन्जीनियरिंग कालेज, लॉ कालेज आदि सब मिल जाएंगे लेकिन माइण्ड को सेट करना सिखाने के लिए कोई कालेज नहीं है। यह कार्य ब्रह्माकुमारी संस्थान में सिखलाया जाता है। माइण्ड को सेट करने के लिए राजयोग मेडिटेशन सबसे अच्छा तरीका है। जैसे मोबाईल की बैटरी को रोज चार्ज करते हैं, उसी प्रकार माइण्ड को भी रोज चार्ज करने की जरूरत है। रात को जब हम सोते हैं तो सिर्फ शरीर को आराम मिलता है किन्तु मेडिटेशन करने से आत्मा को शान्ति की अनुभूति होती है।
मेडिटेशन से खराब रिलेशन भी सुधरते है: निगेटिव एनर्जी से आत्मा रूपी बैटरी डिस्चार्ज होती है। घर में यदि कलह-क्लेष है इसका मतलब है कि बैटरी डिस्चार्ज है। मेडिटेशन के माध्यम से परमात्मा को याद करने से परमात्म शक्ति हमें प्राप्त होती है। यदि लगातार इक्कीस दिनों तक खराब रिलेशन वाले व्यक्ति को पाजिटिव वायब्रेशन दिए जाएं तो उसके प्रभाव से खराब रिलेशन भी ठीक हो जाते हैं।
अध्यात्म से भाई-चारा बढ़ता है:
निगेटिविटी को दूर करने का सबसे अच्छा उपाय यह है कि हम सभी आत्माएं एक पिता परमात्मा की सन्तान होने के कारण आपस में भाई-भाई हैं। जब यह ईश्वरीय ज्ञान हमें मिल जाता है और हम सामने वाले को जो है, जैसा है स्वीकार कर लेते हैं तो अस्सी प्रतिशत झगड़ा समाप्त हो जाता है। आत्मा एक सूक्ष्म शक्ति है। वह शरीर के द्वारा कर्म करती है। हम सारे दिन में जितने भी लोगों के सम्पर्क में आते हैं उनके साथ हमारा कार्मिक एकाउण्ट बनता जाता है। जो कि हमें अपने जीवन में चुकाकर बराबर करना होता है। इसलिए जीवन में जब भी कोई विपरीत परिस्थिति आए, दु:ख या संकट आए तो सदैव यह समझना कि पिछले जन्म का हिसाब-किताब खत्म हो रहा है। इससे स्ट्रेस फ्री बने रहेंगे।